भरतपुर. बाणासुर की नगरी के रूप में पहचाने जाने वाले बयाना कस्बा के कई ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व के स्थलों को पर्यटन स्थल की दृष्टि से विकसित करने की मांग विधानसभा में उठी है. इनमें बाणासुर का विजय दुर्ग और भगवान श्री कृष्ण के नाती अनिरुद्ध एवं बाणासुर की बेटी ऊषा के प्रेम के प्रतीक माने जाने वाले ऊषा मंदिर को विकसित करने की मांग बयाना विधायक डॉ ऋतु बनावत ने उठाई है. इतिहासकारों का मानना है कि विजय दुर्ग और ऊषा मंदिर दोनों ही द्वापर युगीन विरासत हैं, जो कि अभी तक पर्यटन की दृष्टि से गुमनामी में हैं.
ऊषा मंदिर का इतिहास: भरतपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित बयाना कस्बे में ऊषा मंदिर स्थित है. यह प्राचीन मंदिर 96 स्तंभ और 24 गोल स्तंभ पर बना हुआ है. मंदिर परिसर की लंबाई 120 फीट 9 इंच एवं चौड़ाई 85 फीट है. मंदिर में लगे शिलालेख के अनुसार 956 ईस्वी में इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. जबकि इतिहासकार इसे और भी पुराना मानते हैं. मंदिर के पुजारी चंद्र प्रकाश ने बताया कि इतिहास में ऊषा मंदिर को लेकर एक किवदंती प्रचलित हैं. बताया जाता है कि बाणासुर की पुत्री ऊषा को एक रात स्वप्न में भगवान श्री कृष्ण के नाती अनिरुद्ध दिखाई दिए. ऊषा को अनिरुद्ध से प्रेम हो गया. ऊषा ने अपनी सहेली चित्रलेखा से स्वप्न के बारे में चर्चा की, जिसके बाद मायावी चित्रलेखा ने अनिरुद्ध का चित्र बनाया.
ऊषा ने अनिरुद्ध से विवाह की इच्छा जताई जिस पर मायावी चित्रलेखा द्वारिका से अनिरुद्ध को अपहरण कर बाणासुर की नगरी बयाना ले आई. जब भगवान श्री कृष्ण को अपने नाती अनिरुद्ध के अपहरण की सूचना मिली, तो उन्होंने बयाना पर चढ़ाई कर दी. भगवान श्री कृष्णा और बाणासुर में भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने बाणासुर को पराजित कर दिया. इसके बाद बाणासुर की पुत्री ऊषा एवं अनिरुद्ध का विवाह संपन्न कर दिया गया, जिसकी याद में इस मंदिर का नामकरण ऊषा मंदिर किया गया. किवदंती यह भी है कि ऊषा ने अनिरुद्ध को अपहरण के बाद इसी परिसर में रखा था.
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विधानसभा में उठा मुद्दा: बयाना कस्बा में ऐतिहासिक महत्व के कई स्थल हैं. जिसमें बाणासुर के किले के रूप में पहचाना जाने वाला विजय दुर्ग, ऊषा मंदिर प्रमुख हैं. बयाना विधायक डॉ ऋतु बनावत ने हाल ही में विधानसभा में इन दोनों ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन स्थल की दृष्टि से विकसित करने की मांग उठाई. इसके अलावा रूपवास स्थित प्राचीन तालाब, लाल महल, इमलिया कुंड, सप्त कुंड, ग्वालखो धाम, दर्र बरहाना, दाऊजी मंदिर आदि के लिए भी विकसित करने की मांग की.