भिवानी: दीपावली पर्व की तैयारियां शुरू होने लगी है. दीपोत्सव के लिए घरों व मंदिरों में साज-सज्जा व रंग-रोगन का कार्य शुरू हो गया है. दीपावली पर्व के लिए मिट्टी के दीपक भी बनाए जा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षो से आमजन में आई जागरूकता के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल फॉर वोकल अभियान के तहत चाइनीज सामान का बहिष्कार भी होने लगा है. ऐसे में मिट्टी के दीपों की मांग भी पिछले सालों से अधिक बढ़ी है. बाजार में मांग बढ़ने के साथ-साथ दीपक बनाने का कार्य भी कुम्हार समाज द्वारा जोर-शोर से किया जा रहा है.
दिवाली पर कुम्हारों की खुशी दोगुनी: गौरतलब है कि गांवों से लेकर हर कस्बा व शहर में दीपावली पर्व पर पहले मिट्टी के दीपक का प्रयोग किया जाता रहा है. इससे कुम्हार समाज को आजीविका के साथ-साथ उनकी सांस्कृतिक विरासत भी जीवित रहती आई है. भिवानी के हनुमान ढ़ाणी क्षेत्र, जिसे कुम्हारों का एरिया कहा जाता है, जो कि करीब दो माह से दिन रात मिट्टी के दीए बनाने के काम में जुटी हुई है. कुम्हार समाज से राजू ने कहा कि मिट्टी के दीयों से ना केवल वायु प्रदूषण कम होता है, बल्कि स्वदेशी वस्तुओं को भी बढ़ावा मिलता है. अब धीरे-धीरे लोग इस बात को समझने लगे है. जिसके चलते मिट्टी के बर्तनों व दीपावली के लिए मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ने लगी है.
'पीएम मोदी का आभार': प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वदेशी अपनाओं व आत्मनिर्भर भारत के नारे के बाद ही ये संभव हो पाया है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के इस नारे ने कुम्हार समाज को सबसे अधिक राहत पहुंचाने का काम किया है. क्योंकि पहले दीपावली पर्व पर चाइनीज लाइटों की मांग अधिक रहती थी. तथा उन्हे घर-घर जाकर लोगों को दीये बेचने पड़ते थे. लेकिन अब लोगों में बदलाव आ रहा है. तथा लोग उनके घर आकर मिट्टी के दीये खरीद रहे हैं.
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