चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव में हरियाणा का शराब घोटाला एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. मार्च और अप्रैल 2020 में कोरोना की पहली लहर में जब पूरी तरह लॉकडाउन लगा था तब हरियाणा में शराब की तस्करी हो रही थी. पुलिस के सील किए गये गोदाम से शराब की बोतलें गायब हो गई और उन्हें 5 गुना से ज्यादा दाम पर बेचा गया. जब अवैध रूप से बेचने के लिए शराब नहीं बची तो माफिया नकली शराब बनाने लगे. जिसके चलते नवंबर 2020 में जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
याचिकाकर्ता ने की सीबीआई जांच की मांग
2020 में लॉकडाउन के दौरान हुई शराब की तस्करी और जहरीली शराब पीने से मौत के मामले में हाईकोर्ट में पहले से सुनवाई चल रही है. इस केस में याचिका लगाने वाले वकील प्रदीप कुमार रापड़िया ने अब हरियाणा के सीएम, चीफ सेक्रेटरी और एसीबी के प्रमुख को पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी से कराने की सिफारिश करने की मांग की है. इस पत्र में याचिकाकर्ता के वकील ने एसआईटी रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है कि शराब घोटाला करीब 9519.98 करोड़ रुपए का है.
तीन आईपीएस विशेष जांच टीम
शराब घोटाले की जांच केलिए तत्कालीन गृह मंत्री अनिल विज ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी. याचिकाकर्ता के मुताबिक IPS अधिकारियों की इस रिपोर्ट में CBI और ED से जांच करवाने की सिफारिश की गई है. उन्होंने सरकार से कहा है कि वो इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी से नहीं कराते तो वो 23 मई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान इसकी मांग करेंगे.
याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में करेंगे सीबीआई जांच की मांग
दरअसल मामले की पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में सरकार ने कहा था कि उनके पास एसआईटी की रिपोर्ट नहीं आई है. लेकिन अब एसआईटी रिपोर्ट याचिकाकर्ता के वकील के पास आ गई है. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले की इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी को देने की मांग पत्र लिखकर नायब सैनी सरकार से की है.
दुष्यंत चौटाला के पास था आबकारी विभाग
लॉकडाउन में हुए शराब घोटाले और जहरीली शराब से मौतों के समय हरियाणा का आबकारी विभाग उस समय डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत चौटाला के पास था. ये सारा मामला सामने आने के बाद जमकर हंगामा हुआ था. यहां तक कि गृह मंत्री अनिल विज और दुष्यंत चौटाला के बीच भी जुबानी जंग हुई थी. एसईटी की जांच रिपोर्ट को दुष्यंत चौटाला ने खारिज कर दी थी. वहीं मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि किसी के ना मानने से कानून नहीं चलता.
याचिकाकर्ता के मुताबिक SIT रिपोर्ट में मुख्य खुलासे:
- SIT ने कहा जहरीली शराब पीने से हुई 50 मौतों के लिए शराब माफिया, एक्साइज विभाग और पुलिस विभाग की मिली भगत जिम्मेवार
- शराब घोटाले से हरियाणा सरकार को 9519.98 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ.
- गुजरात में 70-80% तक शराब की तस्करी हरियाणा से होती है.
- पिछले 3 सालों में हरियाणा से दिल्ली में शराब की तस्करी बढ़ी है.
- बिहार में 43.52% शराब की तस्करी हरियाणा से है.
- उतर प्रदेश में हरियाणा से शराब की तस्करी की जाती है.
- जांच में IAS/HCS अधिकारियों ने जांच में नहीं दिया सहयोग. SIT को गलत और भ्रामक जानकारी दी गई
- राजनीतिज्ञ, Excise विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी घोटाले में संलिप्त हैं.
- शराब के कारोबार पर अपराधियों का वर्चस्व है
- पुलिस कभी भी अवैध शराब के मूल स्रोत तक नहीं पहुंच पाई.
- लोगों की जान बचाने, राजस्व हानि को रोकने और राजनेताओं-अपराधियों-शराब व्यापारियों-भ्रष्ट अधिकारियों के NEXUS को तोड़ने के लिए CBI/ED से जांच कराना जरूरी.
हरियाणा में साल 2020 में सोनीपत के खरखौदा में हरियाणा सरकार द्वारा पकड़ी गई शराब को एक गोदाम में रखा गया था. जिस गोदाम में रखा गया था, उसी गोदाम के मालिक ने पुलिस के साथ मिलकर उस गोदाम में चोरी करवाई और अवैध रूप से करोड़ों रुपये की विदेशी शराब बेच डाली गई. शराब घोटाला सामने आने के बाद पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के आदेश पर गृह सचिव विजय वर्धन ने पूरे राज्य में जांच के लिए सीनियर आईएएस टीसी गुप्ता की अध्यक्षता में विशेष जांच टीम का गठन किया था.
लॉकडाउन में कैसे हुआ शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा गोदाम से मार्च-अप्रैल 2020 में कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के दौरान शराब की तस्करी की गई. इस गोदाम में पुलिस ने जब्त की हुई शराब रखी थी. हैरान करने वाली बात ये है कि ये गोदाम शराब तस्करी के करीब 14 मामले में आरोपी भूपेंद्र का है, जो उसके मां के नाम पर किराये पर लिया था. पुलिस ने इस सील किया था उसके बावजूद करीब 5500 पेटियां गायब हो गईं.
आबकारी विभाग और पुलिस ने 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी, जिसे सील कर दिया गया था. इसके साथ ही पुलिस अपनी कार्रवाई के दौरान सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इसी गोदाम में रखी दी थी. पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से गोदाम की दीवार तोड़कर धीरे-धीरे पूरी शराब गायब कर दी गई, जबकि गोदाम की सुरक्षा में पुलिसकर्मी भी तैनात किए गये थे.
घोटाला सामने आने के बाद शराब तस्करी के आरोप में गोदाम मालिक भूपेंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके अलावा खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी.