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अतुल सुभाष की तरह हर साल हजारों विवाहित पुरुष कर रहे आत्महत्या, पुरुष उत्पीड़न रोकने को आयोग गठन की मांग उठी - DEMAND FOR MAN COMMISSION

Demand for Man Commission : सामाजिक कार्यकर्ता ने रखा हर वर्ष जान देने वाले पुरुषों का आंकड़ा. समाज के कई वर्गों ने उठाई मांग.

खास खबर
खास खबर (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2024, 1:50 PM IST

लखनऊ : बेंगलुरू में अतुल सुभाष (34) ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वह अपनी पत्नी की ओर से लगाए गए आरोपों से परेशान हो चुका था. उसका आरोप था कि एक के बाद एक धाराएं उस पर और उसके परिवारवालों पर लगाई गईं. हमारे समाज में सिर्फ अतुल का ही नहीं बल्कि बहुत सारे ऐसे मामले आए हैं जिनमें पुरुषों ने महिलाओं के आरोपों से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली. महिलाओं की समस्या के लिए तमाम कानून बनाए गए हैं, यहां तक की महिला आयोग का भी गठन किया गया है, लेकिन पुरुषों की दिक्कतें सुनने के लिए कोई भी नहीं है.

पुरुष आयोग की मांग कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता इंदु प्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि हमारे समाज में जब पुरुष के ऊपर अत्याचार होता है तो उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं होता है. उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुत सारे ऐसे मामले आते हैं, जिसमें पुरुष अपनी ही पत्नी से प्रताड़ित रहता है. पत्नी के द्वारा गलत आरोप लगाकर पारिवारिक न्यायालय में केस दर्ज कराया जाता है. इस तरह के केसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसके पीछे कई कारण हैं. उन्होंने कहा कि हर महिला या हर पुरुष एक समान नहीं होता है. कुछ महिलाएं जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती हैं, उनके मन मुताबिक जब चीज नहीं होती है तो उस पर वह तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय जाती हैं. केस दर्ज करते समय तमाम धाराओं के साथ पति पर केस दर्ज करा देती हैं.

देखिए खास खबर (Video credit: ETV Bharat)



उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों से इस तरह के केस तेजी से बढ़े हैं. आज इंजीनियर अतुल सुभाष के साथ ऐसा हुआ है, कल किसी और के साथ ऐसा होगा, ऐसे में सरकार को पुरुषों के हित में कोई न कोई कानून जरूर बनना चाहिए. अतुल पढ़े लिखे शख्स थे. उन्होंने अपनी आपबीती पूरी दुनिया को सुनाई, फिर उसके बाद उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया, लेकिन बहुत सारे ऐसे पुरुष हैं जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं होती है. वह अंदर ही अंदर परेशानियों से लड़ते, झगड़ते व जूझते हैं, केस के चक्कर में घर, जमीन, जायदाद सब बिक जाता है. लेकिन, किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती है. हमें उन बेकसूरों को भी इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठानी है, ताकि भविष्य में कभी किसी दूसरे अतुल के साथ इस तरह की घटना न हो.

उन्होंने कहा कि अतुल ने करीब 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा. डेढ़ घंटे का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें वह अपनी तमाम दिक्कतों को बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उसे इंसाफ नहीं मिला है. अगर डेढ़ घंटे का वीडियो बनाते समय वह अपने इस निर्णय पर अडिग रहे तो सोचिए उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी. इस तरह के एक नहीं बल्कि 100 मामले मेरे पास हैं. ऐसे में हम काउंसलिंग करते हैं. हमारे पास जो भी पुरुष आते हैं अपनी दिक्कतों को बताते हैं, हम उनकी पत्नियों से भी मिलते हैं और उनसे कन्फर्म बातें करते हैं कि आखिरकार उन्हें चाहिए क्या है. क्या दिक्कत हो रही है. कोशिश करते हैं कि दोनों की सहमति से बात बन जाए. बहुत सारे ऐसे पुरुष हमारे पास आए, जो सुसाइड तक करने के लिए मजबूर हो गए थे. हालांकि समय रहते उनकी काउंसलिंग हुई तो वह बच गए. उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ा जो सरकार का डाटा है वह खुद कह रहा है कि 92 हजार पुरुष हर वर्ष आत्महत्या कर रहा है, जिसमें 67 हजार विवाहित पुरुष होता है. महिलाओं की संख्या 29 हजार है.

पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि पारिवारिक न्यायालय में बहुत सारे ऐसे केस आते हैं, जिसमें पत्नी के द्वारा पति के ऊपर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, तमाम धाराएं होती हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होती है कि पति-पत्नी दोनों को एक साथ बुलाकर दोनों की काउंसलिंग की जाए और दोनों की म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ केस को जल्द से जल्द बंद किया जाए. कई केस में देखा गया है कि पति-पत्नी जब पारिवारिक न्यायालय में आते हैं उनकी काउंसलिंग की जाती है.

दोनों के म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग होती है कि वह दोबारा से अपनी जिंदगी को शुरू करना चाहते हैं. उस स्थिति में केस को बंद कर दिया जाता है. इसके अलावा काउंसलिंग के बाद भी अगर वह तलाक लेने के लिए इच्छुक रहते हैं तो उन्हें यही समझाया जाता है कि एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप ना करें, इससे आपका केस वर्षों तक साल चलेगा. क्योंकि, जितना एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाया जाएगा उतना अलग-अलग सुनवाई होगी. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप की जगह सीधे तलाक लेकर केस को बंद किया जाए. उन्होंने कहा कि इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में अभी कुछ कह पाना बहुत मुश्किल है. क्योंकि, अभी उनकी पत्नी का कोई प्वाइंट सामने नहीं आया है. सिर्फ एक वीडियो और सुसाइड नोट के आधार पर हम किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं. पुलिस अपना काम कर रही है, हालांकि पुरुषों के उत्पीड़न के बहुत सारे मामले सामने आते हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में भी पुरुष आयोग के लिए भी बातें चल रही हैं.

लखनऊ के जानकीपुरम निवासी रजत शर्मा ने कहा कि यह बहुत ही बुरी खबर थी जिसने भी सुना वह परेशान हो उठा. पुरुषों को लेकर के पुरुष आयोग बनना चाहिए. पुरुष की सुनवाई हो सके. पुरुष रोता नहीं है, पुरुष दिखावा नहीं करता है. इसका यह अर्थ नहीं है कि उनके साथ उत्पीड़न नहीं होता है. पुरुष भी तमाम उत्पीड़न को झेलते हैं. कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं कि जब उन्हें कुछ नहीं समझ में आता है तो तलाक लेते समय पति के ऊपर गलत और गंभीर धाराओं में केस दर्ज करा देती हैं. ऐसा नहीं है कि हर महिला इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती है. लेकिन, कुछ महिलाएं सुरक्षा में बनाए गए कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल करती हैं. जिसके कारण पारिवारिक न्यायालय में हजारों केस दर्ज हैं.


यह था मामला : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बीते दिन मंगलवार को इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपने घर पर सुसाइड कर लिया था. वह उत्तर प्रदेश के निवासी थे. अतुल ने सुसाइड करने से पहले 24 पेज का एक सोसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवारवालों पर प्रताड़ना के आरोप और झूठे मुकदमे का आरोप लगाया था. अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि मैं पैसे देने से मना करता हूं और मैं मौत को गले लगाता हूं क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि मेरे विरोधी इन पैसों का प्रयोग मेरे परिजनों को परेशान करने के लिए करें. उसने आगे लिखा कि कोर्ट के बाहर गटर में उसकी अस्थियों को बहा दिया जाए.


यह भी पढ़ें : अतुल सुभाष की आत्महत्या पर फूटा गुस्सा, एक्टिविस्ट बोलीं- सिर्फ लड़कियों की होती है सुनवाई

यह भी पढ़ें : अतुल सुभाष की मौत के बाद आयशा की दर्दनाक कहानी की हो रही चर्चा, जानें

लखनऊ : बेंगलुरू में अतुल सुभाष (34) ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वह अपनी पत्नी की ओर से लगाए गए आरोपों से परेशान हो चुका था. उसका आरोप था कि एक के बाद एक धाराएं उस पर और उसके परिवारवालों पर लगाई गईं. हमारे समाज में सिर्फ अतुल का ही नहीं बल्कि बहुत सारे ऐसे मामले आए हैं जिनमें पुरुषों ने महिलाओं के आरोपों से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली. महिलाओं की समस्या के लिए तमाम कानून बनाए गए हैं, यहां तक की महिला आयोग का भी गठन किया गया है, लेकिन पुरुषों की दिक्कतें सुनने के लिए कोई भी नहीं है.

पुरुष आयोग की मांग कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता इंदु प्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि हमारे समाज में जब पुरुष के ऊपर अत्याचार होता है तो उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं होता है. उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुत सारे ऐसे मामले आते हैं, जिसमें पुरुष अपनी ही पत्नी से प्रताड़ित रहता है. पत्नी के द्वारा गलत आरोप लगाकर पारिवारिक न्यायालय में केस दर्ज कराया जाता है. इस तरह के केसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसके पीछे कई कारण हैं. उन्होंने कहा कि हर महिला या हर पुरुष एक समान नहीं होता है. कुछ महिलाएं जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती हैं, उनके मन मुताबिक जब चीज नहीं होती है तो उस पर वह तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय जाती हैं. केस दर्ज करते समय तमाम धाराओं के साथ पति पर केस दर्ज करा देती हैं.

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उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों से इस तरह के केस तेजी से बढ़े हैं. आज इंजीनियर अतुल सुभाष के साथ ऐसा हुआ है, कल किसी और के साथ ऐसा होगा, ऐसे में सरकार को पुरुषों के हित में कोई न कोई कानून जरूर बनना चाहिए. अतुल पढ़े लिखे शख्स थे. उन्होंने अपनी आपबीती पूरी दुनिया को सुनाई, फिर उसके बाद उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया, लेकिन बहुत सारे ऐसे पुरुष हैं जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं होती है. वह अंदर ही अंदर परेशानियों से लड़ते, झगड़ते व जूझते हैं, केस के चक्कर में घर, जमीन, जायदाद सब बिक जाता है. लेकिन, किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती है. हमें उन बेकसूरों को भी इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठानी है, ताकि भविष्य में कभी किसी दूसरे अतुल के साथ इस तरह की घटना न हो.

उन्होंने कहा कि अतुल ने करीब 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा. डेढ़ घंटे का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें वह अपनी तमाम दिक्कतों को बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उसे इंसाफ नहीं मिला है. अगर डेढ़ घंटे का वीडियो बनाते समय वह अपने इस निर्णय पर अडिग रहे तो सोचिए उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी. इस तरह के एक नहीं बल्कि 100 मामले मेरे पास हैं. ऐसे में हम काउंसलिंग करते हैं. हमारे पास जो भी पुरुष आते हैं अपनी दिक्कतों को बताते हैं, हम उनकी पत्नियों से भी मिलते हैं और उनसे कन्फर्म बातें करते हैं कि आखिरकार उन्हें चाहिए क्या है. क्या दिक्कत हो रही है. कोशिश करते हैं कि दोनों की सहमति से बात बन जाए. बहुत सारे ऐसे पुरुष हमारे पास आए, जो सुसाइड तक करने के लिए मजबूर हो गए थे. हालांकि समय रहते उनकी काउंसलिंग हुई तो वह बच गए. उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ा जो सरकार का डाटा है वह खुद कह रहा है कि 92 हजार पुरुष हर वर्ष आत्महत्या कर रहा है, जिसमें 67 हजार विवाहित पुरुष होता है. महिलाओं की संख्या 29 हजार है.

पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने बताया कि पारिवारिक न्यायालय में बहुत सारे ऐसे केस आते हैं, जिसमें पत्नी के द्वारा पति के ऊपर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, तमाम धाराएं होती हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सबसे पहली प्राथमिकता होती है कि पति-पत्नी दोनों को एक साथ बुलाकर दोनों की काउंसलिंग की जाए और दोनों की म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ केस को जल्द से जल्द बंद किया जाए. कई केस में देखा गया है कि पति-पत्नी जब पारिवारिक न्यायालय में आते हैं उनकी काउंसलिंग की जाती है.

दोनों के म्युचुअल अंडरस्टैंडिंग होती है कि वह दोबारा से अपनी जिंदगी को शुरू करना चाहते हैं. उस स्थिति में केस को बंद कर दिया जाता है. इसके अलावा काउंसलिंग के बाद भी अगर वह तलाक लेने के लिए इच्छुक रहते हैं तो उन्हें यही समझाया जाता है कि एक दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप ना करें, इससे आपका केस वर्षों तक साल चलेगा. क्योंकि, जितना एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाया जाएगा उतना अलग-अलग सुनवाई होगी. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप की जगह सीधे तलाक लेकर केस को बंद किया जाए. उन्होंने कहा कि इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले में अभी कुछ कह पाना बहुत मुश्किल है. क्योंकि, अभी उनकी पत्नी का कोई प्वाइंट सामने नहीं आया है. सिर्फ एक वीडियो और सुसाइड नोट के आधार पर हम किसी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं. पुलिस अपना काम कर रही है, हालांकि पुरुषों के उत्पीड़न के बहुत सारे मामले सामने आते हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में भी पुरुष आयोग के लिए भी बातें चल रही हैं.

लखनऊ के जानकीपुरम निवासी रजत शर्मा ने कहा कि यह बहुत ही बुरी खबर थी जिसने भी सुना वह परेशान हो उठा. पुरुषों को लेकर के पुरुष आयोग बनना चाहिए. पुरुष की सुनवाई हो सके. पुरुष रोता नहीं है, पुरुष दिखावा नहीं करता है. इसका यह अर्थ नहीं है कि उनके साथ उत्पीड़न नहीं होता है. पुरुष भी तमाम उत्पीड़न को झेलते हैं. कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं कि जब उन्हें कुछ नहीं समझ में आता है तो तलाक लेते समय पति के ऊपर गलत और गंभीर धाराओं में केस दर्ज करा देती हैं. ऐसा नहीं है कि हर महिला इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती है. लेकिन, कुछ महिलाएं सुरक्षा में बनाए गए कानून का गलत तरीके से इस्तेमाल करती हैं. जिसके कारण पारिवारिक न्यायालय में हजारों केस दर्ज हैं.


यह था मामला : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बीते दिन मंगलवार को इंजीनियर अतुल सुभाष ने अपने घर पर सुसाइड कर लिया था. वह उत्तर प्रदेश के निवासी थे. अतुल ने सुसाइड करने से पहले 24 पेज का एक सोसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और उसके परिवारवालों पर प्रताड़ना के आरोप और झूठे मुकदमे का आरोप लगाया था. अतुल ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि मैं पैसे देने से मना करता हूं और मैं मौत को गले लगाता हूं क्योंकि मैं यह नहीं चाहता कि मेरे विरोधी इन पैसों का प्रयोग मेरे परिजनों को परेशान करने के लिए करें. उसने आगे लिखा कि कोर्ट के बाहर गटर में उसकी अस्थियों को बहा दिया जाए.


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