नई दिल्लीः दिल्ली के गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ की बदबू और गंदगी से लाखों लोग परेशान हैं. बृहस्पतिवार को संसद में भी राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली में तीनों कूड़े के पहाड़ों का मुद्दा उठाया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली वालों को गर्मियों में हिल स्टेशन जाने की जरूरत ही नहीं है. राजधानी में ही माउंट भलस्वा, माउंट गाजीपुर और माउंट ओखला है. इन कूड़े के पहाड़ों से आसपास के लोगों की जिंदगी नर्क हो गई है.
ETV भारत ने लैंडफिल के आसपास की सोसायटियों के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि कई बार इतनी बदबू आती है कि सांस लेना दुर्भर हो जाता है. बच्चों को उल्टी हो जाती है. मजबूरी में यहां रहना पड़ रहा है क्योंकि यहां घर है. राज्यसभा में स्वाति मालीवाल ने कहा कि दिल्ली वालों को हिल स्टेशन जाने की जरूरत नहीं है. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के शानदार काम के चलते दिल्ली में ही माउंट भलस्वा, माउंट गाजीपुर और माउंट ओखला जैसे कूड़े के पहाड़ हैं.
मालीवाल ने आगे कहा कि ये पहाड़ कुतुब मीनार जितने ऊंचे हो रहे हैं और सुंदर दिल्ली पर एक धब्बा हैं. आसपास रहने वालों की जिंदगी नर्क है. लोगों को बीमारी से जूझना पड़ता है. कई बार आग लग जाती है. गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट पर पूरी दिल्ली का कूड़ा आता है. बता दें, दिल्ली में ओखला लैंडफिल साइट पर सारा कूड़ा निस्तारण की समय सीमा 2024, भलस्वा की 2025 और गाजीपुर की 2026 रखी गई है.
आग लगने पर धुएं की जद में आ जाते हैं दर्जनों इलाकेः आए दिन कूड़े के ढेर में आग लग जाती है. इससे उठने वाला धुआं कई किलोमीटर तक आवासीय एरिया में जाता है. इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है. साथ ही प्रदूषण भी होता है. कूड़े के पहाड़ से हमेशा बदबू आते रहती है. इससे कई किलोमीटर तक के आवासीय एरिया के लोग परेशान रहते हैं. जिस तरफ हवा जाती है. दुर्गंध से उधर के लोग परेशान हो जाते हैं. बारिश होने पर कूड़ा सड़ने लगता है. इससे और ज्यादा दुर्गंध होती है.
"मेरी सोसायटी गाजीपुर कूड़े के पहाड़ से कुछ ही दूरी पर है. सोसायटी में 300 से अधिक परिवार रहते हैं. बदसे सभी लोग परेशान हैं. कई बार सांस लेने में परेशानी होने लगती है. बदबू और गंदगी से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है."
अभिषेक कुमार, एओए अध्यक्ष, मिगसन होम्स सोसायटी कौशांबी
13 हजार टन कूड़ा निस्तारित हो रहाः एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष जगदीश ममगांई ने बताया कि तीनों लैंडफिल साइट पर रोजाना 10 से 11 हजार टन कूड़ा आता है. वहीं, सिर्फ 13 हजार टन कूड़ा निस्तारित हो पाता है. इस हिसाब से रोजाना सिर्फ दो हजार टन कूड़ा निस्तारित हो पा रहा है. दूसरा नया कूड़ा आ जाता है. कूड़ा निस्तारण के बाद जो मिट्टी है वह हट नहीं रही है. इससे भी कूड़े के पहाड़ खत्म नहीं हो रहे हैं. जब तक इन साइटों पर कूड़ा डालना बंद नहीं किया जाएगा तब तक समस्या से निजात नहीं मिल सकती है.
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कूड़े से बन रही मिट्टी दूसरी जगह डालने की जगह नहींः जगदीश ममगांई ने बताया कि तीनों लैंडफिल साइट पर करीब दो दर्जन कूड़ा निस्तारण करने वाली मशीनें लगी हैं, जो कूड़े को मिट्टी बनाती हैं. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निर्देश पर कूड़े से बनी मिट्टी को पहले सड़कों में प्रयोग किया जा रहा था लेकिन इंजीनियरों ने इसे सड़क में प्रयोग करने से मना कर दिया. दिल्ली में सराय काले खां के पास पार्क बनाने में मिट्टी का प्रयोग किया गया. लेकिन अब दिल्ली नगर निगम के पास मिट्टी ले जाने की जगह ही नहीं है. मिट्टी न हटने से कूड़े के पहाड़ जस के तस बने हुए हैं.
भलस्वा लैंडफिल साइट से 2025 तक हटेगा कूड़ा: दिल्ली की दो बड़ी लैंडफिल साइट भलस्वा और ओखला भी हैं. इनमें से भलस्वा एसएलएफ की नई डेडलाइ तय की जा चुकी हैं. भलस्वा लैंडफिल साइट से कूड़ा हटाने की डेडलाइन 2025 तक बढ़ा दी गई है. वहीं, ओखला लैंडफिल साइट की डेडलाइन नहीं बढ़ाई गई है. इस साइट के कूड़े को 2024 में ही खत्म करने के उम्मीद एमसीडी जता रही है. इसके चलते इसको नई तारीख देने की जरूरत महसूस नहीं की गई है.