नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से संबद्ध विभिन्न कॉलेजों में पिछले दो साल में लगभग 55 कॉलेजों में 4600 सहायक प्रोफेसर की स्थायी नियुक्ति हुई है, जिन शिक्षकों का प्रोबेशन काल पूरा हो गया है, वे अब अपनी प्रमोशन के लिए आवेदन करना चाहते हैं. बता दें कि अभी तक दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति के बाद तदर्थ शिक्षकों की चार साल की सर्विस काउंट होती थीं.
दिल्ली विश्वविद्यालय में एक साथ इतनी स्थायी नियुक्ति नहीं हुई थीं और शिक्षकों द्वारा आसानी से चार साल की एडहॉक सर्विस काउंट के बाद प्रमोशन ले लेते थे. लेकिन, इन शिक्षकों में 5 साल से लेकर 25 साल तक अनुभव वाले एडहॉक शिक्षक हैं, इसलिए उन्होंने अपनी पूरी सर्विस काउंट कराने के लिए मोर्चा खोल दिया है. परमानेंट होने वालों में 35 से 55 साल के भी शिक्षक इन शिक्षकों ने डूटा को अपना मांग पत्र दिया है, जिसमें मांग की गई है कि उनकी पूरी एडहॉक सर्विस काउंट कराई जाए जैसे कि 2014 से पहले पूरी सर्विस काउंट होती रही है.
शिक्षकों की ये है अपील
डूटा को मांग पत्र देने के साथ इन्होंने गूगल फॉर्म भरने की शिक्षकों से अपील की है कि वह कितने साल से एडहॉक टीचर्स के रूप में रहे हैं यह जानकारी गूगल फॉर्म में दें. अरबिंदो कॉलेज के एक शिक्षक ने बताया है कि अभी तक लगभग 1100 शिक्षकों ने गूगल फॉर्म भरा है. उनका कहना है नए शैक्षिक सत्र 2024-25 के प्रारंभ होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा और अपनी पूरी सर्विस काउंट कराएंगे.
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन को डूटा ऑफिस आए कॉलेज शिक्षकों ने बताया कि सहायक प्रोफेसर के पदों पर स्थायी नियुक्ति एक दशक बाद हुई है. कुछ कॉलेजों में तो 12 साल या उससे भी बाद में हुई है. यदि विश्वविद्यालय प्रशासन व कॉलेज प्रिंसिपल इन शिक्षकों की समय पर नियुक्ति कर लेता तो एडहॉक टीचर्स अपनी पूरी सर्विस काउंट की मांग नहीं करते. कॉलेज स्तर पर 10 फीसदी से ज्यादा एडहॉक टीचर्स रखने का प्रावधान नहीं था. लेकिन, कुछ कॉलेजों में 50 से 60 फीसदी या उससे अधिक टीचर्स एडहॉक के रूप में कार्यरत थे. विश्वविद्यालय के विभागों व उससे संबद्ध विभिन्न कॉलेजों में हुई स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया में अभी तक लगभग 4600 टीचर्स परमानेंट हुए हैं. इन परमानेंट टीचर्स में लगभग 15 फीसदी ऐसे टीचर्स हैं, जिनके पास 10 वर्ष से लेकर 20-22 साल तक का शिक्षण अनुभव है. एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट न किए जाने को लेकर 35 से 55 साल से अधिक उम्र के शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है. उनका कहना है कि हमारी एडहॉक सर्विस काउंट नहीं होगी तो हम एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर पद से वंचित रह जाएंगे.
पूरी सर्विस काउंट नहीं होने से एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफ़ेसर के पद से रहेंगे वंचित
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को पत्र लिखकर उन्हें बताया है कि पिछले दो साल में नियुक्त हुए शिक्षकों में 45 से 55 या उससे अधिक उम्र पार कर गए हैं उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद न तो पेंशन का लाभ मिलेगा और न ही वे एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर बन पायेंगे. उनका कहना है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन इन एडहॉक टीचर्स की समय पर स्थायी नियुक्ति कर देता तो उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के साथ-साथ सेवानिवृत्ति के पश्चात पेंशन का भी अधिक लाभ मिलता. हालांकि, ये शिक्षक न्यू पेंशन स्कीम के तहत आएंगे.
डॉ. सुमन ने कुलपति प्रो. सिंह को यह भी बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले एडहॉक टीचर्स डीयू के विभागों में एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर जब आवेदन करते हैं तो उनकी पूरी पास्ट सर्विस काउंट होती है और उन्हें विभागीय साक्षात्कार में बुलाया जाता है और उनकी नियुक्ति भी हुई है. उनका कहना है कि जब विभागों में एडहॉक टीचर्स की पास्ट सर्विस काउंट करके उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर का लाभ दिया जा सकता है तो कॉलेजों में क्यों नहीं.
कॉलेज शिक्षकों पर भी इसी नियम को लागू करते हुए पास्ट सर्विस काउंट किया जाये ताकि एडहॉक टीचर्स को पूरा लाभ मिल सके. यदि विश्वविद्यालय ऐसा करता है तो हाल ही में एडहॉक टीचर्स से स्थायी हुए ये टीचर्स एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर बन सकते है.
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