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दिल्ली दंगा मामले में ट्रायल कोर्ट को आरोप तय करने पर अंतिम फैसला 23 सितंबर तक जारी नहीं करने का आदेश - 2020 Delhi riots case

2020 Delhi riots case: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को ट्रायल कोर्ट से कहा कि वह 2020 के दिल्ली दंगों की कथित बड़ी साजिश के एक मामले में 23 सितंबर तक आरोप तय करने पर अंतिम आदेश पारित न करे. न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने देवांगना कलिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए ट्रायल कोर्ट से 23 सितंबर तक आदेश पारित नहीं करने को कहा.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 12, 2024, 3:51 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के मामले की सुनवाई कर रहे ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो आरोप तय करने के मामले में 23 सितंबर तक अंतिम आदेश पारित नहीं करें. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने ये आदेश दिया. दरअसल, इस मामले की एक आरोपी और पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगन कलीता ने जाफराबाद में फरवरी 2020 को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के वीडियो फुटेज की कॉपी मांगने वाली याचिका दायर किया है.

दिल्ली पुलिस की वकील ने की मांग: याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनके पास केस की फाइल नहीं है. उन्होंने सुनवाई टालने की मांग की. इसका देवांगन कलीता की ओर से पेश वकील ने विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर दलीलें रखी जा रही है. उसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर 23 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने का आदेश देते हुए ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि वो 23 सितंबर तक आरोप तय करने पर कोई भी अंतिम आदेश जारी नहीं करें. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट आरोप तय करने पर दलीलें सुन सकती है, लेकिन वो अंतिम आदेश जारी नहीं करे.

यह भी पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट ने लांच की व्हाट्सऐप, ई-म्यूजियम और ह्यूमर इन कोर्ट की सेवाएं, जानें इसमें क्या होगा

याचिका में कहा गया है: याचिका में देवांगन कलीता ने 23 फरवरी 2020 को जाफराबाद में हुए प्रदर्शन की फुटेज की कॉपी देने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है. उसके बावजूद उसे इलेक्ट्रॉनिक तथ्य उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. कलीता पर आरोप है कि उसने 22 फरवरी 2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. कलीता को यूएपीए के मामले में जमानत मिल चुकी है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.

यह भी पढ़ें- खुली जेल में अस्पताल का प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया तो सीएस को भी वहां रहने जाना पड़ सकता है : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा की साजिश रचने के मामले की सुनवाई कर रहे ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो आरोप तय करने के मामले में 23 सितंबर तक अंतिम आदेश पारित नहीं करें. जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने ये आदेश दिया. दरअसल, इस मामले की एक आरोपी और पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य देवांगन कलीता ने जाफराबाद में फरवरी 2020 को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के वीडियो फुटेज की कॉपी मांगने वाली याचिका दायर किया है.

दिल्ली पुलिस की वकील ने की मांग: याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनके पास केस की फाइल नहीं है. उन्होंने सुनवाई टालने की मांग की. इसका देवांगन कलीता की ओर से पेश वकील ने विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर दलीलें रखी जा रही है. उसके बाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर 23 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने का आदेश देते हुए ट्रायल कोर्ट को आदेश दिया कि वो 23 सितंबर तक आरोप तय करने पर कोई भी अंतिम आदेश जारी नहीं करें. हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट आरोप तय करने पर दलीलें सुन सकती है, लेकिन वो अंतिम आदेश जारी नहीं करे.

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याचिका में कहा गया है: याचिका में देवांगन कलीता ने 23 फरवरी 2020 को जाफराबाद में हुए प्रदर्शन की फुटेज की कॉपी देने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है. उसके बावजूद उसे इलेक्ट्रॉनिक तथ्य उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. कलीता पर आरोप है कि उसने 22 फरवरी 2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. कलीता को यूएपीए के मामले में जमानत मिल चुकी है. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.

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