नई दिल्ली: दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और मुख्य विपक्षी दल भाजपा पूरी तरह से विधानसभा चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह से जुट गई हैं. इसको देखते हुए आम आदमी पार्टी हर वर्ग को लुभाने की कोशिश कर रही है. इसी क्रम में अब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेयर शैली ओबेरॉय को पत्र लिखकर अगले मेयर का चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू कराने को कहा है.
बता दें कि दिल्ली में अगला मेयर अनुसूचित जाति से चुना जाना है. अगले साल फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी जल्दी से मेयर का चुनाव कराकर दलितों को संदेश देना चाहती है कि हम भी दलितों के शुभचिंतक हैं. इसलिए कानूनी अड़चन दूर होने के बाद हमने चुनाव कराने में देरी नहीं की. केजरीवाल के पत्र के बाद मेयर शैली ओबेरॉय ने निगम सचिव को मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कह दिया.
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जिसके बाद निगम सचिव ने निगमायुक्त को और निगमायुक्त मेयर को अक्टूबर माह में निगम सदन की बैठक की तारीख तय करने के लिए फाइल भेज दी है. अब मेयर निगम सदन की बैठक की तारीख तय करके फाइल आगे बढ़ाएंगी. फिर बैठक के दिन ही मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव संपन्न हो जाएगा.
अप्रैल से लंबित है मेयर का चुनाव
बता दें कि दिल्ली में अप्रैल में ही मेयर का चुनाव होना था. इस बार मेयर का पद अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित है. लेकिन, अप्रैल माह में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में होने के चलते पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए चुनाव की फाइल मुख्यमंत्री द्वारा उप-राज्यपाल कार्यालय नहीं जा पाई थी. चुनाव की फाइल सीधे दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज द्वारा उप-राज्यपाल कार्यालय को भेजी थी. लेकिन, इसको अस्वीकार करते हुए एलजी कार्यालय की तरफ से यह टिप्पणी करते हुए वापस कर दी गई कि नियम के अनुसार फाइल मुख्यमंत्री के माध्यम से ही आनी चाहिए. यह कहकर उपराज्यपाल ने मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं की थी, जिसके चलते मेयर का चुनाव टल गया था. इसके बाद नियमानुसार तत्कालीन मेयर शैली ओबेरॉय ही निरंतर मेयर का कार्यभार संभाल रही हैं.
अब नई मुख्यमंत्री आतिशी के द्वारा एलजी ऑफिस भेजी जाएगी फाइल
बता दें कि सितंबर माह में केजरीवाल को जमानत देते समय कोर्ट ने मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने और सचिवालय जाने पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया. इसलिए अब मेयर द्वारा निगम सचिव को पत्र लिखकर मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के बाद अंत में सीएम आतिशी के बाद उपराज्यपाल कार्यालय को फाइल भेजी जाएगी.
मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी का पलड़ा भारी
बता दें कि मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी के पास पर्याप्त संख्या बल है. 250 सदस्यीय निगम सदन में आप के पास 120 से ज्यादा पार्षद हैं. साथ ही आप के 12 विधायक और तीन राज्यसभा सांसद भी हैं, जो निगम चुनाव में वोट डालने के लिए पात्र हैं. जबकि भाजपा के पास 110 से ज्यादा पार्षद, सात सांसद, एक विधायक और 12 मनोनीत पार्षद हैं.
मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए ये कर चुके हैं नामांकन
बता दें कि अप्रैल माह में मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के दौरान मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी की ओर से मेयर औऱ डिप्टी मेयर के पद पर अपने-अपने प्रत्याशियों के नामांकन करा दिए गए थे. लेकिन चुनाव टलने पर सारी प्रक्रिया रुक गई. निगम मामलों के जानकार जगदीश ममगाईं ने बताया कि अब फिर से चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने पर वही नामांकन वैध माने जाएंगे और आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. अब फिर से नामांकन की जरूरत नहीं पड़ेगी.
मेयर पद
आप प्रत्याशी महेश कुमार खींची
भाजपा प्रत्याशी कृष्ण लाल
डिप्टी मेयर पद
रवींद्र भारद्वाज आप
नीता बिष्ट भाजपा
मेयर चुनाव में संख्या बल
आप | 124 पार्षद |
भाजपा | 115 पार्षद |
कांग्रेस | 9 |
निर्दलीय | एक |
रिक्त | एक |
आप सांसद | तीन |
भाजपा सांसद | सात |
आप विधायक | 12 |
भाजपा विधायक | एक |
मनोनीत पार्षद | 12 |
दिवाली से पहले दिल्ली को मिल सकता है नया मेयर
बता दें कि मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. निगमायुक्त की ओर से मेयर चुनाव कराने के लिए फाइल मेयर के पास पहुंच चुकी है. मेयर को अब निगम सदन की बैठक के लिए तारीख तय करनी है. संभवतः मेयर दिवाली से पहले ही इस सप्ताह या अगले सप्ताह निगम सदन की बैठक बुलाने की तारीख तय कर सकती हैं. उसी बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव संपन्न हो जाएगा. साथ ही दिवाली से पहले दिल्ली को नया मेयर मिल जाएगा.
दिल्ली में पांच साल में पांच मेयर चुने जाने का है नियम
बता दें कि दिल्ली में निगम का कार्यालय पांच साल के लिए होता है. लेकिन, मेयर का का कार्यकाल एक साल के लिए होता है. इस तरह से पांच साल में पांच मेयर चुने जाते हैं. चुनाव के लिए अप्रैल का महीना तय है. अप्रैल महीने की जिस तारीख को निगम सदन की बैठक होती है उसी बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होता है. पहले साल मेयर की सीट महिला के लिए, दूसरे साल सामान्य वर्ग, तीसरे साल अनुसूचित जनजाति के लिए, चौथे और पांचवें साल भी यह पद किसी के लिए आरक्षित नहीं रहता है.
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