नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार में तैनात रहे IAS अधिकारी उदित प्रकाश राय से जुड़े हस्ताक्षर जालसाजी के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. राय पर अपनी पोस्टिंग की विभिन्न अवधियों के दौरान अपनी वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) पर दिल्ली और अंडमान और निकोबार प्रशासन के मुख्य सचिवों के कथित रूप से जाली हस्ताक्षर करने का आरोप है. यह अधिकारी कभी केजरीवाल के करीबी अधिकारियों में जाने जाते थे. विवादास्पद आईएएस अधिकारी उदित प्रकाश राय के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देते हुए उपराज्यपाल ने आगे की कार्रवाई के लिए मामले की सिफारिश गृह मंत्रालय से भी की है.
उदित प्रकाश पर जालसाजी के आरोप: 2007 के आईएएस अधिकारी और सीएम अरविंद केजरीवाल के करीबी उदित प्रकाश राय ने 2017 और 2021 के बीच अपने समीक्षा प्राधिकारी, दिल्ली के मुख्य सचिव के कथित तौर पर जाली हस्ताक्षर किए थे. इस बाबत उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 465/471 के तहत जालसाजी का एक आपराधिक मामला विशेष सचिव (सतर्कता) की शिकायत पर आईपी एस्टेट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है. शिकायत के अनुसार, उदित राय ने 01.04.2017 से 08.10.2017 और 09.10.2017 से 31.03.2018 की अवधि के लिए अपने एपीएआर में, अपने तत्कालीन रिपोर्टिंग प्राधिकारी, तत्कालीन प्रमुख सचिव (राजस्व) एससीएल दास के हस्ताक्षर भी नकली किए थे.
उदित प्रकाश ने किए थे फर्जी हस्ताक्षर: अंडमान एवं निकोबार प्रशासन में और समीक्षा प्राधिकारी, अंडमान एवं निकोबार के तत्कालीन मुख्य सचिव अनिंदो मजूमदार के हस्ताक्षर भी फर्जी किए थे. इसके अलावा 01.04.2019 से 30.07.2019 की अवधि के लिए एपीएआर में, राय ने रिपोर्टिंग प्राधिकारी, प्रशासन में तत्कालीन प्रमुख सचिव (राजस्व) विक्रम देव दत्त के हस्ताक्षर और समीक्षा प्राधिकारी, चेतन भूषण सांघी के हस्ताक्षर जाली बनाए, जो तब अंडमान एवं निकोबार के तत्कालीन मुख्य सचिव थे. गौरतलब है कि इन अवधियों के दौरान राय अंडमान एवं निकोबार प्रशासन में डीएम के पद पर तैनात थे.
केजरीवाल के करीबी माने जाते हैं उदित: दिल्ली में अपने स्थानांतरण के बाद राय को दिल्ली सरकार ने निदेशक (शिक्षा) के रूप में तैनात किया था और उन्हें अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार का करीबी विश्वासपात्र माना जाता था. 31. 08.2020 से 31.03.2021 की अवधि के लिए क्रमिक एपीएआर में उदित प्रकाश राय ने अपने रिपोर्टिंग प्राधिकारी, एच राजेश प्रसाद, तत्कालीन प्रमुख सचिव (शिक्षा), जीएनसीटीडी के हस्ताक्षर और समीक्षा प्राधिकारी, और दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय कुमार देव के हस्ताक्षर जाली किए.
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जांच के दौरान पूछताछ में सामने आई ये बात: जांच के दौरान यह बात सामने आई कि उदित प्रकाश राय ने जानबूझकर तकनीकी खामियां बताकर अपना एपीएआर ऑनलाइन नहीं बल्कि स्पैरो पोर्टल के माध्यम से मैन्युअल रूप से भरा था. हालाँकि, पूछताछ के दौरान, अनिंदो मजूमदार और विजय कुमार देव नामक दो आईएएस अधिकारियों ने उदित प्रकाश राय के एपीएआर की समीक्षा करने से इनकार किया और पुष्टि की कि उनके एपीएआर पर हस्ताक्षर जाली थे. यहां तक कि एफएसएल रिपोर्ट ने भी पुष्टि की कि अनिंदो मजूमदार और विजय कुमार देव के नमूना हस्ताक्षर और लिखावट राय के एपीएआर पर मौजूद हस्ताक्षरों और लिखावट से मेल नहीं खाते.
उपराज्यपाल से कार्रवाई करने की सिफारिश: जिसके बाद मामला पहले उपराज्यपाल के समक्ष रखा गया था और गंभीरता को देखते हुए उन्होंने राय के खिलाफ अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की थी, जो अब मिजोरम में तैनात हैं और निलंबित हैं. इसके अलावा, चूंकि उदित प्रकाश राय दिल्ली से बाहर तैनात हैं, इसलिए उनके मामले को एनसीसीएसए के माध्यम से भेजने की आवश्यकता नहीं थी.
बता दें कि उदित प्रकाश राय भ्रष्टाचार के एक अन्य मामले में निलंबित हैं, जिसमें उन पर दिल्ली कृषि विपणन बोर्ड के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए एक इंजीनियर से रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था. उन पर दिल्ली के जल विहार में अपने आधिकारिक आवास के निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपये की भारी लागत पर एक विरासत संरचना को ध्वस्त करने का भी आरोप लगाया गया है, जब वह दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ के रूप में कार्यरत थे.
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