नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बस मार्शलों/नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के लिए नीति निर्धारण बनाने के लिए मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव पर कि उपराज्यपाल को बस मार्शलों के लिए एक योजना तैयार करनी चाहिए और नई योजना को अंतिम रूप देने और लागू होने तक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को बस मार्शल के रूप में नामित करने के लिए एकमुश्त छूट देनी चाहिए.
उपराज्यपाल का कहना है, “यह सुझाव देना एक अस्वीकार्य प्रस्ताव है कि सरकार के संवैधानिक प्रमुख द्वारा बस मार्शलों को शामिल करने की एक योजना तैयार की जानी चाहिए. उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि," मुझे निराशा है कि भले ही मुख्यमंत्री को मामले के तथ्यों की पूरी जानकारी है, फिर भी उन्होंने इसे चुना है."
क्या बोले मंत्री सौरभ भारद्वाजः उपराज्यपाल द्वारा लिखे गए नोट में बिंदु नंबर 252 का हवाला देते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इसमें साफ तौर पर यह सिद्ध होता है, कि बस मार्शलों को दोबारा से उनके पद पर बहाल करने का काम उपराज्यपाल का ही है. उन्होंने कहा दूसरी बड़ी बात यह है कि इस नोट के मुताबिक यदि आप 3 महीने के लिए इन बस मार्शलों को एयर पॉल्यूशन मिटिगेशन एक्टिविटीज के लिए रख सकते हैं, तो इन्हें पहले की तरह से उनके पुराने पदों पर बहाल क्यों नहीं कर सकते?
मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब उपराज्यपाल ने इन सभी बस मार्शलों को नौकरी से निकला था, तब उनसे यह झूठ बोला था कि हम आप सभी को होमगार्ड के तौर पर दोबारा नौकरी पर रख लेंगे. उन्होंने कहा कि किसी भी पद पर पक्की भर्ती की प्रक्रिया के लिए आयु सीमा होती है, शैक्षिक योग्यता होती है, कई पैमाने होते हैं. बिना इन नियमों का पालन किए कोई भी पक्की भर्ती नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा यही कारण है कि उपराज्यपाल द्वारा जारी किए गए नोट में बिंदु 253 में लिखी बात के मुताबिक इन सभी सिविल डिफेंस वॉलिंटियरों को होमगार्ड के तौर पर भर्ती करने की प्रक्रिया में 1669 वॉलिंटियर्स में से केवल 263 सिविल डिफेंस वालंटियर ही चयनित हो पाए, बाकी सभी को या तो अधिक उम्र होने के कारण या फिर शैक्षिक योग्यता पर्याप्त न होने के कारण या अन्य किसी ऐसे ही कारण से बाहर कर दिया गया. मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इन आंकड़ों को देखकर यह बात साबित हो जाती है, कि यदि बस मार्शलों को पक्का करने की प्रक्रिया के तहत इम्तिहान देना पड़ा तो एक भी बस मार्शल इन पैमानों में फिट नहीं बैठेगा और किसी को भी दोबारा से नौकरी पर नहीं रखा जाएगा.
'एलजी साहब ने एक झटके में नौकरी से निकाल दिया'
बस मार्शलों के मुद्दे पर मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि लगभग 1 साल बीत चुका है, दिल्ली के 10 हजार से भी अधिक नौजवान जो डीटीसी की बसों में बस मार्शल के रूप में कार्य कर रहे थे, दिल्ली की महिलाओं को सुरक्षा देने का काम कर रहे थे और इस बहाने से उन सभी के घरों के चूल्हे भी जल रहे थे, भाजपा शासित केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए LG साहब ने एक झटके में नौकरी से निकाल दिया. पहले एक षड्यंत्र के तहत उन सभी का वेतन रोका गया और बाद में सभी को नौकरी से निकाल दिया गया.
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि पिछले कई महीनो से भारतीय जनता पार्टी के नेता बस मार्शलों को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे थे. उन्होंने बताया की लगातार बस मार्शल उनसे संपर्क किया करते थे और वह इस बात को कहते थे कि हमारी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं जैसे विजेंद्र गुप्ता, वीरेंद्र सचदेवा एवं मनोज तिवारी आदि से बात हुई है और भारतीय जनता पार्टी के सभी नेता इस बात को कह रहे हैं कि यदि दिल्ली कैबिनेट के सारे मंत्री बस मार्शलों की दोबारा से बहाली के लिए कह दें, तो उपराज्यपाल तुरंत प्रभाव से सभी बस मार्शलों को उनके पद पर दोबारा से बहाल कर देंगे. उन्होंने कहा कि जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री आतिशी से मिलने आए थे उस वक्त भी भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता ने यही बात कही थी. उन्होंने बताया की विजेंद्र गुप्ता जी और भाजपा के लोगों की बात मानते हुए उसी समय मुख्यमंत्री आतिशी की अगवाई में सभी कैबिनेट मंत्रियों ने एक नोट पास किया और उपराज्यपाल को भिजवाया, परंतु दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली के बस मार्शलों के हित में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया.
इस मामले से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि लगभग 10 दिन पहले दिल्ली सरकार के मंत्रियों की कैबिनेट ने दोबारा से एक प्रस्ताव बस मार्शलों की पुनः बहाली के लिए उपराज्यपाल को भेजा है. उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव में उपराज्यपाल को दिल्ली कैबिनेट मंत्रियों की ओर से यह सुझाव दिया गया है, कि जब तक आपके कहे मुताबिक बस मार्शलों को पक्का करने के लिए जो पॉलिसी बनाने का काम किया जाना है, नियुक्ति के पैमाने तय किए जाने हैं, पदों की संख्या तय की जानी है, क्योंकि इस कार्य को करने में कई महीनो का समय लग सकता है, तब तक के लिए इन सभी बस मार्शलों को जिस तरह से यह पहले जिन पदों पर तैनात थे, उसी तरह से इन सभी को उनके पुराने पदों पर ले लिया जाए. उपराज्यपाल के अधीन आने वाले चीफ सेक्रेटरी साहब और वर्तमान के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर साहब भी इस बात को कह रहे हैं, कि बस मार्शलों को पक्का करने के लिए पॉलिसी बनाने का काम सर्विसेज विभाग के अधीन आता है, जो कि सीधे तौर पर उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में है. परंतु पिछले एक साल से इन सभी बस मार्शलों को भारतीय जनता पार्टी और उपराज्यपाल के द्वारा केवल और केवल छल किया जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः