नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना ने करीब 80 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के एक मामले की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जांच कराने के आदेश दिए हैं. मामला पश्चिमी दिल्ली के पालम क्षेत्र में नालों की सफाई से जुड़ा है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों के खिलाफ यह मामला कुछ समय पहले सामने आया था.
पालम क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के साउथ वेस्ट रोड- एक और साउथ वेस्ट रोड- दो डिवीजनों में नालों की सफाई को लेकर LG के प्रधान सचिव ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर उनके आदेशों से अवगत कराया है. एमसीडी वार्ड 127, नजफगढ़ के निगम पार्षद एडवोकेट अमित खरखरी ने 11 अगस्त को LG को लिखित शिकायत दी थी.
एक ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का आरोपः शिकायत में आरोप लगाया गया कि क्षेत्र के इस बड़े नाले से संबंधित परियोजना में शामिल अधिकारी सार्वजनिक धन के दुरुपयोग, टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी में लिप्त है. एक ठेकेदार को अनुचित तरीके से फायदा पहुंचाया गया और निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए नालों से गाद निकालने का ठेका दिया गया और इस तरह सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ. अपनी शिकायत में अमित खरखरी ने कई अनियमितताओं का आरोप लगाया था. इसमें 2022 के मानसून के दौरान नालों से गाद निकालने में भ्रष्टाचार, जाफरपुर में विभिन्न संवेदनशील स्थानों पर सीवरेज पंपों की स्थापना में अनियमितताएं, कार्य की माप में अनियमितता, एक ही कार्य का दोहरा भुगतान, उप-विभाजन निविदाओं का दुरुपयोग आदि शामिल है.
इन पर लगाया था आरोपः शिकायतकर्ता ने कार्यकारी अभियंता आशीष गुप्ता, कनिष्ठ अभियंता अजय कुमार मीना, सहायक अभियंता धर्म सिंह मीना के साथ-साथ ठेकेदार सुरेंद्र सिंह और अन्य पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों को सीधे तौर पर गलत कामों में शामिल होने का आरोप लगाया था. शिकायत में कहा है कि चूंकि दोनों डिवीजन उच्च पदस्थ पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की देखरेख में आते हैं, जिनमें अधीक्षण अभियंता राजपाल शिवरेन और शैलेन्द्र मिश्रा, साथ ही मुख्य अभियंता दक्षिण (एम) मनोज कुमार अग्रवाल शामिल हैं, इसलिए यह संभव है वे ऐसी भ्रष्ट गतिविधियों से अवगत थे और हो सकता है कि उन्होंने पहले भी इनके साथ मिलीभगत भी की हो.
शिकायत में कहा गया है कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां ठेकेदार को अधिक भुगतान करने के लिए उपरोक्त अधिकारियों द्वारा दर्ज किए गए उपायों को जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. शिकायत में भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत के साथ कथित अनियमितताओं की गंभीरता और पैमाने को ध्यान में रखते हुए LG ने इस मामले की गहराई से जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) को भेजने को मंजूरी दी है. यह भी कहा है कि मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट जल्द से जल्द उपराज्यपाल सचिवालय को भेजी जाए.
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