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Delhi: BCI द्वारा हटाए गए दिल्ली के वकीलों की किन-किन चीजों में मिली खामियां, जानिए

-फर्जी पाए गए दस्तावेजों और डिग्री के कारण वकीलों की मान्यता रद्द -बीसीडी की ओर से की गई थी कार्रवाई की सिफारिश

दिल्ली वकील लाइसेंस रद्द मामला
दिल्ली वकील लाइसेंस रद्द मामला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 29, 2024, 10:19 PM IST

नई दिल्लीः बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा 26 अक्टूबर को दिल्ली के 107 वकीलों को हटाए जाने के मामले में एक और नई जानकारी सामने आई है. रोल से हटाए गए इन फर्जी वकीलों में से 67 वकीलों की डिग्रियां फर्जी निकली है. इसके अलावा बाकी वकीलों के बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) में पंजीकरण के समय दिए गए दस्तावेज विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से मैच नहीं हुए. इनमें कुछ वकीलों के मार्कशीट में दिए हुए नंबर और विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में दर्ज हुए नंबर भी मैच नहीं हुए.

वहीं, एक दो ऐसे भी वकील मिले जिनका रिजल्ट घोषित नहीं हुआ था और उनका पंजीकरण बीसीडी में हो गया था. कुछ वकीलों को विश्वविद्यालय ने डिग्री नहीं दी थी. इसके अलावा कई वकीलों के रोल नंबर भी विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से मैच नहीं हुए.

बीसीआई द्वारा जारी फर्जी वकीलों की सूची के बारे में जानकारी देते हुए बीसीडी के वाइस चेयरमैन एडवोकेट संजीव नसियर ने बताया कि जिन वकीलों पर बीसीआई द्वारा रोल से हटाने की कार्रवाई की गई है, उनमें वर्ष 2018 से 2024 तक बीसीडी द्वारा जांच में फर्जी पाए गए वकील शामिल हैं. इनको रोल से हटाने की सिफारिश बीसीडी ने अलग-अलग समय पर बीसीआई से की थी. साथ ही इनके खिलाफ फर्जीवाड़ा करने की एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.

फर्जी पाए गए दस्तावेजों और डिग्री के कारण वकीलों की मान्यता रद्द (etv bharat)

बीसीडी द्वारा 2018 से 2024 के बीच छह सालों में दिल्ली के कुल 107 वकीलों को रोल से हटाने की सिफारिश की गई थी. जिस पर 26 अक्टूबर को बीसीआई ने कार्रवाई की. संजीव नसियर ने बताया कि जब कोई वकील बीसीडी में पंजीकरण के लिए आवेदन करता है तो उसके दस्तावेजों को प्राथमिक स्तर पर बीसीडी द्वारा देखकर पंजीकरण कर दिया जाता है. उसके बाद फिर उस लॉयर की डिग्री और अन्य दस्तावेजों की जांच के लिए विश्वविद्यालय को भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में भी काफी समय लगता है. जब प्रक्रिया पूरी होने के बाद विश्वविद्यालय की रिपोर्ट बीसीडी के पास आती है, तब तक वकील प्रैक्टिस करते रहते हैं. इसलिए पंजीकरण होने के बाद कार्रवाई में समय लग जाता है.

बीसीडी के वाइस चेयरमैन ने बताया कि जो वकील फर्जी दस्तावेज पाए जाने के बाद बीसीडी के नोटिस पर अपना वकील का लाइसेंस और सदस्यता को सरेंडर कर देते हैं, उनके नाम फिर बीसीडी द्वारा हटा दिए जाते हैं. वहीं, जो वकील बीसीडी के निर्णय़ को चुनौती देते हैं उनके नाम आगे की कार्रवाई के लिए बीसीआई को भेजे जाते हैं. एडवोकेट एक्ट के नियम 26 में वकीलों को रोल से हटाने की शक्ति बीसीआई के पास ही है. उन्होंने बताया कि बीसीआई द्वारा अभी वकीलों को रोल से हटाने की कार्रवाई फिलहाल दिल्ली के वकीलों पर ही की गई है. समय-समय पर अन्य राज्यों की बार काउंसिल के द्वारा इस तरह की शिकायत मिलने पर भी बीसीआई द्वारा कार्रवाई की जाती रही है.

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नई दिल्लीः बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा 26 अक्टूबर को दिल्ली के 107 वकीलों को हटाए जाने के मामले में एक और नई जानकारी सामने आई है. रोल से हटाए गए इन फर्जी वकीलों में से 67 वकीलों की डिग्रियां फर्जी निकली है. इसके अलावा बाकी वकीलों के बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) में पंजीकरण के समय दिए गए दस्तावेज विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से मैच नहीं हुए. इनमें कुछ वकीलों के मार्कशीट में दिए हुए नंबर और विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में दर्ज हुए नंबर भी मैच नहीं हुए.

वहीं, एक दो ऐसे भी वकील मिले जिनका रिजल्ट घोषित नहीं हुआ था और उनका पंजीकरण बीसीडी में हो गया था. कुछ वकीलों को विश्वविद्यालय ने डिग्री नहीं दी थी. इसके अलावा कई वकीलों के रोल नंबर भी विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से मैच नहीं हुए.

बीसीआई द्वारा जारी फर्जी वकीलों की सूची के बारे में जानकारी देते हुए बीसीडी के वाइस चेयरमैन एडवोकेट संजीव नसियर ने बताया कि जिन वकीलों पर बीसीआई द्वारा रोल से हटाने की कार्रवाई की गई है, उनमें वर्ष 2018 से 2024 तक बीसीडी द्वारा जांच में फर्जी पाए गए वकील शामिल हैं. इनको रोल से हटाने की सिफारिश बीसीडी ने अलग-अलग समय पर बीसीआई से की थी. साथ ही इनके खिलाफ फर्जीवाड़ा करने की एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी.

फर्जी पाए गए दस्तावेजों और डिग्री के कारण वकीलों की मान्यता रद्द (etv bharat)

बीसीडी द्वारा 2018 से 2024 के बीच छह सालों में दिल्ली के कुल 107 वकीलों को रोल से हटाने की सिफारिश की गई थी. जिस पर 26 अक्टूबर को बीसीआई ने कार्रवाई की. संजीव नसियर ने बताया कि जब कोई वकील बीसीडी में पंजीकरण के लिए आवेदन करता है तो उसके दस्तावेजों को प्राथमिक स्तर पर बीसीडी द्वारा देखकर पंजीकरण कर दिया जाता है. उसके बाद फिर उस लॉयर की डिग्री और अन्य दस्तावेजों की जांच के लिए विश्वविद्यालय को भेजा जाता है. इस प्रक्रिया में भी काफी समय लगता है. जब प्रक्रिया पूरी होने के बाद विश्वविद्यालय की रिपोर्ट बीसीडी के पास आती है, तब तक वकील प्रैक्टिस करते रहते हैं. इसलिए पंजीकरण होने के बाद कार्रवाई में समय लग जाता है.

बीसीडी के वाइस चेयरमैन ने बताया कि जो वकील फर्जी दस्तावेज पाए जाने के बाद बीसीडी के नोटिस पर अपना वकील का लाइसेंस और सदस्यता को सरेंडर कर देते हैं, उनके नाम फिर बीसीडी द्वारा हटा दिए जाते हैं. वहीं, जो वकील बीसीडी के निर्णय़ को चुनौती देते हैं उनके नाम आगे की कार्रवाई के लिए बीसीआई को भेजे जाते हैं. एडवोकेट एक्ट के नियम 26 में वकीलों को रोल से हटाने की शक्ति बीसीआई के पास ही है. उन्होंने बताया कि बीसीआई द्वारा अभी वकीलों को रोल से हटाने की कार्रवाई फिलहाल दिल्ली के वकीलों पर ही की गई है. समय-समय पर अन्य राज्यों की बार काउंसिल के द्वारा इस तरह की शिकायत मिलने पर भी बीसीआई द्वारा कार्रवाई की जाती रही है.

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