नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने हजरत निजामुद्दीन में संरक्षित स्मारक मजार-ए-गालिब और चौसठ खंबा के पास पेड़ों की कटाई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है. जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने वन विभाग, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली पुलिस और दिल्ली वक्फ बोर्ड को दो हफ्ते के अंदर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी.
याचिका हजरत निजामुद्दीन वेलफेयर एसोसिएशन नामक एनजीओ ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि हजरत निजामुद्दीन औलिया के प्रवेश द्वार के पास मजार-ए-ग़ालिब और चौसठ खंबा के पास खुले स्थान पर करीब सौ वर्ष पुराने पेड़ों को काटा जा रहा है. मजार-ए-गालिब मशहूर ऊर्दु शायर मिर्जा गालिब का मकबरा है.
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने संबंधित प्राधिकारों को निर्देश दिया कि किसी भी पेड़ को काटा नहीं जाए और बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी भी पेड़ को काटा नहीं जाएगा. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मुजीब अहमद ने कहा कि हाईराईज टीन शेड खड़ा कर वहां के सौ साल पुराने पेड़ों को काटा जा रहा है ताकि वहां की भूमि पर अवैध निर्माण खड़ा किया जा सके.
यह भी पढ़ेंः हजरत निजामुद्दीन दरगाह के आसपास बने गैरकानूनी गेस्ट हाउस की CBI जांच का आदेश
उन्होंने कहा कि जुलाई में पेड़ों के चारो ओर टिन शेड लगाए गए और अब वहां लकड़ियों के टुकड़े पड़े हैं. याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पुलिस से शिकायत की थी लेकिन उसके बावजूद बिल्डर माफिया ने पेड़ों को काटने की अपनी गैरकानूनी गतिविधियों को शुरू कर दिया. उसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
यह भी पढ़ेंः निजामुद्दीन दरगाह के पास अवैध निर्माण पुलिस और नगर निगम की मिलीभगत के बिना संभव नहींः हाईकोर्ट