नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के सरकारी और निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS), वंचित वर्ग और सामान्य वर्ग के छात्रों का दाखिला सुनिश्चित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली शिक्षा निदेशालय को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया है.
कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता की मांग पर दो हफ्त में विचार कर फैसला करें. याचिका एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल की ओर से वकील खगेश झा ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि करीब एक लाख छात्रों ने स्कूलों में लाटरी सिस्टम के जरिए दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन उन्हें दाखिला नहीं मिल सका. याचिका में ये भी कहा गया था कि इन छात्रों को शिक्षा व्यवस्था से बाहर का रास्ता नहीं दिखाना चाहिए, क्योंकि ऐसा होने पर वे बाल मजदूरी के रास्ते पर जा सकते हैं.
बता दें, नवंबर में भी दिल्ली हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को निर्देश दिया था कि वो 11 नवंबर को जारी नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करें. नोटिफिकेशन में ईडब्ल्यूएस और वंचित ग्रुप के छात्रों के लिए दाखिले के लिए अलग टाइमलाइन बनाया गया था. याचिका में उस नोटिफिकेशन को निरस्त करने की मांग की गई थी.
याचिका में मांग की गई थी कि शिक्षा के अधिकार कानून की धारा 15 के तहत छात्रों के दाखिले के लिए एक एकीकृत प्रक्रिया के प्रावधान को लागू किया जाए. अगर ईडब्ल्यूएस और वंचित ग्रुप के छात्रों के लिए दाखिले के लिए अलग टाइमलाइन बनाया जाएगा तो ऐसा करना शिक्षा के अधिकार कानून के मूल लक्ष्य को ही खत्म कर देगा. ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 21ए का भी उल्लंघन है.
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