नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली के निजी स्कूलों का प्रबंधन अपने हाथ में लेने का अधिकार उप-राज्यपाल के पास है न कि शिक्षा निदेशालय के पास. बुधवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस सी हरिशंकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के उप-राज्यपाल से कहा कि वे निजी स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में लेने से पहले उनका पक्ष भी सुनें.
दरअसल, हाईकोर्ट एक निजी स्कूल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की ओर से 13 सितंबर 2021 को जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई है. कारण बताओ नोटिस में स्कूल के प्रबंधन और प्रशासनिक कमियों के अलावा वित्तीय और दूसरी गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है. नोटिस में शिक्षा निदेशालय ने कहा था कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट के मुताबिक संबंधित स्कूल का प्रबंधन अपने हाथ में क्यों नहीं ले लिया जाए?
याचिकाकर्ता स्कूल की ओर से पेश वकील कमल गुप्ता ने कहा कि हालांकि शिक्षा निदेशालय ने स्कूल प्रशासन को अपना पक्ष रखने की अनुमति दी थी, लेकिन व्यक्तिगत सुनवाई की स्वीकृति उप-राज्यपाल के अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों के प्रबंधन का अधिग्रहण करने पर फैसला का एकमात्र अधिकार उप-राज्यपाल के पास है.
कोर्ट ने कहा कि किसी चलते स्कूल के प्रबंधन को अपने हाथ में लेना एक चरम स्थिति है. इसके परिणाम आम लोगों को भुगतने होते हैं. ऐसे में निजी स्कूल का प्रबंधन हाथ में लेने का फैसला करते समय उचित प्राधिकार को उसका पक्ष सुनना चाहिए. कोर्ट ने दिल्ली के उप-राज्यपाल से आग्रह किया कि वो निजी स्कूल को जारी कारण बताओ नोटिस पर फैसला करने से पहले स्कूल प्रशासन का व्यक्तिगत रूप से पक्ष सुनें.
यह भी पढ़ेंः राहुल गांधी ने पुराना नांगल में नाबालिग से रेप और हत्या मामले का पोस्ट हटाया