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दिल्ली High Court ने जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों की उम्रकैद की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया - Court On Jaish e Mohammed members

दिल्ली हाईकोर्ट ने जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों को राहत दी है. कोर्ट ने इनकी उम्रकैद की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया है. इन्होंने नवंबर 2022 में निचली अदालत द्वारा उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 21, 2024, 10:02 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं को रिक्रूट करने और ट्रेनिंग देने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों को मिली उम्रकैद की सजा कम करते हुए सश्रम दस वर्ष कैद की सजा में बदल दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने रुसी उपन्यासकार फ्योडोर दोस्तोवस्की की पुस्तक क्राईम एंड पनिशमेंट का हवाला देते हए सजा कम करने का आदेश दिया.

पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद: हाईकोर्ट ने सज्जाद अहमद खान, बिलाल अहमद मीर, मुजफ्फर अहमद भट, अशफाक अहमद भट और मेहराजुद्दीन चोपान की सजा को कम किया है. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 28 नवंबर 2022 को इन पांचों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पांचों दोषियों ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी आतंकियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और यूएपीए की धारा 18 के तहत दोषी करार दिया था.

देश के खिलाफ साजिश में थे शामिल: पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि सभी दोषी भारत के खिलाफ युद्द करने की साजिश में शामिल थे. ये सभी न केवल जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे बल्कि वे जैश-ए-मोहम्मद के सदस्यों को पनाह देकर उन्हें हथियार और गोला-बारुद के अलावा दूसरे सहयोग करते थे. एनआईए के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद ने देश के कई हिस्सों में हमलों की योजना बनाई थी. एनआईए ने मुजफ्फर भट्ट, सज्जाद अहमद खान, बिलाल मीर और तनवीर अहमद गनी को गिरफ्तार किया था.'

यह भी पढ़ें- केरल HC का फैसला: दलित छात्रा से रेप और हत्या मामले में मौत की सजा बरकरार

मुजफ्फर भट्ट को 29 जुलाई 2019 को जम्मू के कोट भलवल जेल से दिल्ली लाया गया था और कोर्ट में पेश किया गया था. मुजफ्फर पर आरोप था कि वो पुलवामा हमले के मुख्य अभियुक्त मुदस्सिर अहमद के लगातार संपर्क में था. मुजफ्फर भट्ट पर आरोप था कि वह जम्मू-कश्मीर में युवाओं की आतंकी गतिविधियों के लिए जैश-ए-मोहम्मद में भर्ती की साजिश में शामिल था. वह जैश-ए-मोहम्मद को भारत में मजबूत करने में मदद कर रहा था.

21 मार्च 2019 को एनआईए ने सज्जाद खान को गिरफ्तार किया था. पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मुदस्सर अहमद खान उर्फ मुहम्मद भाई का दिमाग था. मुदस्सर को मार्च 2019 में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुई इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. सज्जााद मुदस्सर का सहयोगी बताया जा रहा है. सज्जाद खान के दो भाईयों को सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया था.

यह भी पढ़ें- AAP बोली- राज्य स्तर के पार्टियों को भी दिल्ली में पार्टी के लिए मिलती है भूमि तो हमें क्यों नहीं

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने देश भर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं को रिक्रूट करने और ट्रेनिंग देने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों को मिली उम्रकैद की सजा कम करते हुए सश्रम दस वर्ष कैद की सजा में बदल दिया है. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने रुसी उपन्यासकार फ्योडोर दोस्तोवस्की की पुस्तक क्राईम एंड पनिशमेंट का हवाला देते हए सजा कम करने का आदेश दिया.

पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद: हाईकोर्ट ने सज्जाद अहमद खान, बिलाल अहमद मीर, मुजफ्फर अहमद भट, अशफाक अहमद भट और मेहराजुद्दीन चोपान की सजा को कम किया है. बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 28 नवंबर 2022 को इन पांचों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. पांचों दोषियों ने पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी आतंकियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और यूएपीए की धारा 18 के तहत दोषी करार दिया था.

देश के खिलाफ साजिश में थे शामिल: पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि सभी दोषी भारत के खिलाफ युद्द करने की साजिश में शामिल थे. ये सभी न केवल जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य थे बल्कि वे जैश-ए-मोहम्मद के सदस्यों को पनाह देकर उन्हें हथियार और गोला-बारुद के अलावा दूसरे सहयोग करते थे. एनआईए के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद ने देश के कई हिस्सों में हमलों की योजना बनाई थी. एनआईए ने मुजफ्फर भट्ट, सज्जाद अहमद खान, बिलाल मीर और तनवीर अहमद गनी को गिरफ्तार किया था.'

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मुजफ्फर भट्ट को 29 जुलाई 2019 को जम्मू के कोट भलवल जेल से दिल्ली लाया गया था और कोर्ट में पेश किया गया था. मुजफ्फर पर आरोप था कि वो पुलवामा हमले के मुख्य अभियुक्त मुदस्सिर अहमद के लगातार संपर्क में था. मुजफ्फर भट्ट पर आरोप था कि वह जम्मू-कश्मीर में युवाओं की आतंकी गतिविधियों के लिए जैश-ए-मोहम्मद में भर्ती की साजिश में शामिल था. वह जैश-ए-मोहम्मद को भारत में मजबूत करने में मदद कर रहा था.

21 मार्च 2019 को एनआईए ने सज्जाद खान को गिरफ्तार किया था. पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती हमले के पीछे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मुदस्सर अहमद खान उर्फ मुहम्मद भाई का दिमाग था. मुदस्सर को मार्च 2019 में सुरक्षाबलों ने मार गिराया था. 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुई इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. सज्जााद मुदस्सर का सहयोगी बताया जा रहा है. सज्जाद खान के दो भाईयों को सेना ने एनकाउंटर में मार गिराया था.

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