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दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को Law कोर्सेस में अटेंडेंस पर रुख स्पष्ट करने को कहा

दिल्ली हाईकोर्ट में बार कांउसिल ऑफ इंडिया को दिया निर्देश लॉ कोर्सेज़ में अटेंडेंस की अनिवार्यता पर रुख स्पष्ट करने को कहा

हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को law कोर्सेस में अटेंडेंस पर रुख स्पष्ट करने को कहा
हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को law कोर्सेस में अटेंडेंस पर रुख स्पष्ट करने को कहा (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 17, 2024, 8:12 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को निर्देश दिया है कि वो लॉ कोर्सेस की पढ़ाई के दौरान अटेंडेंस की अनिवार्यता को लेकर अपना रुख स्पष्ट करें. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया. हाईकोर्ट ने बीसीआई को निर्देश दिया कि वो अपने लीगल एजुकेशन कमेटी की वर्चुअल बैठक कर इस मामले पर अपना रुख कोर्ट को सूचित करें. सुनवाई के दौरान इस मामले के एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील दायन कृष्णन ने कोर्ट को बताया कि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के सुसाइड की खबरें हैं. उसके बाद कोर्ट ने उन्हें इस मामले पर एक नोट दाखिल करने का निर्देश दिया.

कोर्ट ने एमिटी लॉ यूनिर्सिटी को निर्देश दिया कि वो इस मामले में सुसाइड कर चुके छात्र सुशांत रोहिल्ला के परिजनों को मुआवजा देने पर अपना रुख स्पष्ट करें. दरअसल हाईकोर्ट 2016 में एमिटी यूनिवर्सिटी के एक लॉ स्टूडेंट सुशांत रोहिल्ला के सुसाइड के मामले पर सुनवाई कर रही है, सुशांत रोहिल्ला की उपस्थिति कम होने की वजह से उसे एक सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया. सुनवाई के दौरान एमिटी यूनिवर्सिटी की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुशांत रोहिल्ला के सुसाइड में उनकी कोई गलती नहीं है. उन्होंने कहा कि सुशांत के माता-पिता को कम उपस्थिति के बारे में अवगत करा दिया गया था.

ये मामला पहले सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2017 को इस मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. सुशांत लॉ के थर्ड ईयर का छात्र था और उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था. उसने 10 अगस्त 2016 को अपने घर में ही खुदकुशी कर ली थी. सुशांत के दोस्त की चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था. उसके दोस्त ने एमिटी यूनिवर्सिटी को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस चलाने की मांग की थी.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को निर्देश दिया है कि वो लॉ कोर्सेस की पढ़ाई के दौरान अटेंडेंस की अनिवार्यता को लेकर अपना रुख स्पष्ट करें. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने ये आदेश दिया. हाईकोर्ट ने बीसीआई को निर्देश दिया कि वो अपने लीगल एजुकेशन कमेटी की वर्चुअल बैठक कर इस मामले पर अपना रुख कोर्ट को सूचित करें. सुनवाई के दौरान इस मामले के एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील दायन कृष्णन ने कोर्ट को बताया कि अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के सुसाइड की खबरें हैं. उसके बाद कोर्ट ने उन्हें इस मामले पर एक नोट दाखिल करने का निर्देश दिया.

कोर्ट ने एमिटी लॉ यूनिर्सिटी को निर्देश दिया कि वो इस मामले में सुसाइड कर चुके छात्र सुशांत रोहिल्ला के परिजनों को मुआवजा देने पर अपना रुख स्पष्ट करें. दरअसल हाईकोर्ट 2016 में एमिटी यूनिवर्सिटी के एक लॉ स्टूडेंट सुशांत रोहिल्ला के सुसाइड के मामले पर सुनवाई कर रही है, सुशांत रोहिल्ला की उपस्थिति कम होने की वजह से उसे एक सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया गया. सुनवाई के दौरान एमिटी यूनिवर्सिटी की ओर से पेश वकील ने कहा कि सुशांत रोहिल्ला के सुसाइड में उनकी कोई गलती नहीं है. उन्होंने कहा कि सुशांत के माता-पिता को कम उपस्थिति के बारे में अवगत करा दिया गया था.

ये मामला पहले सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था. सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च 2017 को इस मामले को सुनवाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. सुशांत लॉ के थर्ड ईयर का छात्र था और उसे परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था. उसने 10 अगस्त 2016 को अपने घर में ही खुदकुशी कर ली थी. सुशांत के दोस्त की चिट्ठी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लिया था. उसके दोस्त ने एमिटी यूनिवर्सिटी को आत्महत्या के लिए उकसाने का केस चलाने की मांग की थी.

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