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सरकारी वकीलों की फीस के लिए दो हफ्ते में पोर्टल स्थापित करेगी दिल्ली सरकार, 9 फरवरी को अगली सुनवाई

Delhi government will set up a portal: दिल्ली सरकार दिल्ली की अदालतों में सरकार की ओर से पैरवी करनेवाले वकीलों की फीस के भुगतान के लिए ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित करेगी .दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि आनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम दो हफ्ते में स्थापित कर ली जाएगी.

सरकारी वकीलों की फीस के लिए दो हफ्ते में पोर्टल
सरकारी वकीलों की फीस के लिए दो हफ्ते में पोर्टल
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 23, 2024, 5:35 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली की अदालतों में सरकार की ओर से पैरवी करनेवाले वकीलों की फीस के भुगतान के लिए दिल्ली सरकार ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित करेगी. दिल्ली सरकार ने ये सूचना मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को दी. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी को करने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम दो हफ्ते में स्थापित कर ली जाएगी. सरकारी वकीलों की फीस की समीक्षा और पेशी की संख्या की सीमा तय करने का मामला दिल्ली सरकार के विधि मंत्री के पास लंबित है. उसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो सरकारी वकीलों की फीस की समीक्षा और पेशी की संख्या की सीमा तय करने के मामले पर जल्द फैसला करे.

नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम जल्द स्थापित करे ताकि वकीलों को अपनी फीस के लिए भटकना नहीं पड़े. दरअसल, वकील पीयूष गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है. ये याचिका जनवरी 2021 में दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि फीस का भुगतान नहीं होने से वकील आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 सितंबर 2015 को आदेश दिया था कि वे वकीलों की फीस का भुगतान करें, लेकिन दिल्ली सरकार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है.

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याचिका में दिल्ली सरकार पर इसके लिए भारी जुर्माना लगाने की मांग की गई है. सरकारी वकील न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन को उन वकीलों के जीवन यापन की कोई चिंता नहीं है और वो उनकी फीस का भुगतान लंबे समय से नहीं कर रही है. वकीलों की आमदनी का मुख्य जरिया उनको मिलनेवाली फीस ही होती है.

याचिका में कहा गया है कि सरकारी वकील अपना रोजगार खत्म होने की आशंका से अपनी फीस के भुगतान के लिए सरकार के पास नहीं जा रहे हैं. सरकारी वकीलों ने याचिकाकर्ता से संपर्क किया. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ता ने खुद संबंधित विभाग से सरकारी वकीलों की फीस का भुगतान करने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

ये भी पढ़ें : Explainer: ED के समन को ठुकराते रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कितना सही, क्या है नियम?, जानें

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली की अदालतों में सरकार की ओर से पैरवी करनेवाले वकीलों की फीस के भुगतान के लिए दिल्ली सरकार ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम स्थापित करेगी. दिल्ली सरकार ने ये सूचना मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट को दी. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी को करने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम दो हफ्ते में स्थापित कर ली जाएगी. सरकारी वकीलों की फीस की समीक्षा और पेशी की संख्या की सीमा तय करने का मामला दिल्ली सरकार के विधि मंत्री के पास लंबित है. उसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो सरकारी वकीलों की फीस की समीक्षा और पेशी की संख्या की सीमा तय करने के मामले पर जल्द फैसला करे.

नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो ऑनलाइन सिंगल विंडो सिस्टम जल्द स्थापित करे ताकि वकीलों को अपनी फीस के लिए भटकना नहीं पड़े. दरअसल, वकील पीयूष गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है. ये याचिका जनवरी 2021 में दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि फीस का भुगतान नहीं होने से वकील आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 सितंबर 2015 को आदेश दिया था कि वे वकीलों की फीस का भुगतान करें, लेकिन दिल्ली सरकार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है.

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याचिका में दिल्ली सरकार पर इसके लिए भारी जुर्माना लगाने की मांग की गई है. सरकारी वकील न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन को उन वकीलों के जीवन यापन की कोई चिंता नहीं है और वो उनकी फीस का भुगतान लंबे समय से नहीं कर रही है. वकीलों की आमदनी का मुख्य जरिया उनको मिलनेवाली फीस ही होती है.

याचिका में कहा गया है कि सरकारी वकील अपना रोजगार खत्म होने की आशंका से अपनी फीस के भुगतान के लिए सरकार के पास नहीं जा रहे हैं. सरकारी वकीलों ने याचिकाकर्ता से संपर्क किया. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिकाकर्ता ने खुद संबंधित विभाग से सरकारी वकीलों की फीस का भुगतान करने की मांग की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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