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द‍िल्‍ली का एक और अस्पताल फायर सेफ्टी निरीक्षण में फेल, जानिए- इस सरकारी हॉस्पिटल में और क्या निकली कमियां - Delhi Govt Hospital Fire Safety

Delhi Govt Hospital Fire Safety: सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. यदि कभी यहां आग लगने की घटना होती है तो लोगों की जान को खतरा हो सकता है. यहां डॉक्टरों, अन्य स्टाफ, मरीजों और तीमारदारों सहित करीब तीन हजार लोगों की हर दिन आवाजाही रहती है. इसके बावजूद प्रबंधन की ओर से आग से बचाव के इंतजामों को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है.

सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 31, 2024, 8:43 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में आए दिन आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. खासकर दिल्ली का नरेला इलाके ऐसा है जहां इन द‍िनों सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की जा रही हैं. बावजूद इसके नरेला का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इस तरह की घटनाओं को लेकर कोई ज्‍यादा गंभीर नहीं द‍िख रहा है. इसका ताजा उदाहरण यह है कि सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल दूसरी बार फायर सेफ्टी निरीक्षण में फेल हो गया है. द‍िल्‍ली अग्‍न‍िशमन व‍िभाग की तरफ से जिन कम‍ियों को दूर करने को कहा गया था, उन पर गंभीरता से काम नहीं क‍िया गया.

इस बीच देखा जाए तो दिल्ली फायर सर्विस विभाग के अधिकारियों की ओर से राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में आग से निपटने के लिए किए गए सुरक्षा इंतजामों का जून माह में बारीकी से जायजा लिया गया था. फायर व‍िभाग ने अस्‍पताल के बेसमेंट ग्राउंड और चार मंजिला भवन के संचालन का बारीकी से निरीक्षण किया था. इस दौरान फायर विभाग के अधिकारियों की ओर से अलग-अलग तरह की सात बड़ी खामियां ग‍िनाई गईं थीं जिनको दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए गए थे. फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट को इन सभी कम‍ियों के चलते र‍िन्‍युअल नहीं क‍िया गया था और एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया था.

सके बाद अब अस्पताल प्रशासन की ओर से एक बार फिर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट रिन्‍युअल एप्लीकेशन 26 जून 2024 को अप्लाई की गई. आवेदन म‍िलने के बाद दिल्ली फायर सर्विस विभाग की ओर से बिल्डिंग का पुनर्निरीक्षण किया गया. यह पुनर्निरीक्षण 19 जुलाई को अस्‍पताल के इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर एसएन शर्मा की मौजूदगी में किया गया. इस पुनर्निरीक्षण के दौरान दिल्ली अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की तरफ से पाया गया कि पूर्व में बताई गई 7 कम‍ियों में से सिर्फ 2 को ही दूर करने का काम अस्पताल प्रशासन की ओर से किया गया. इमसें मैन्युअल ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म सिस्टम को चालू करना और पंपिंग सिस्टम ऑटो मोड में रखना शाम‍िल है. बाकी कमियों को दूर करना अस्‍पताल प्रशासन ने जरूरी नहीं समझा जोक‍ि इस तरह से हैं:-

  • नए कंस्ट्रक्शन की वजह से 6 मीटर की इंटरनल रोड बाधित है.
  • फायर चेक डोर्स के डोर क्लोजर्स अभी भी हटे हुए हैं.
  • बेसमेंट के फायर चेक डोर्स अभी भी टूटी-फूटी हालत में है.
  • होज बॉक्सेज जो मिले हैं उनमें होज पाइप नहीं पाई गई.
  • फायर कंट्रोल रूम और पेशेंट रजिस्ट्रेशन रूम को सेपरेट नहीं किया गया है.

दिल्ली फायर विभाग के निदेशक अतुल गर्ग की ओर से सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल के हेड ऑफ ऑफ‍िस डॉ. आशुतोष गुप्‍ता को एक पत्र भेजकर इन सभी मौजूदा कम‍ियों से अवगत कराया है. न‍िदेशक ने कहा क‍ि इस स्‍तर पर अस्‍पताल बिल्डिंग/परिसर में इन सभी फायर सेफ्टी इंतजामों की कमी पाए जाने पर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट को र‍िन्‍युअल नहीं क‍िया जा सकता. इसल‍िए एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया है. निदेशक ने यह भी साफ किया है कि बिल्डिंग परिसर का संचालन इन सभी कम‍ियों के साथ क‍िया जाता है तो यह सब अस्‍पताल के ऑनर और संचालक के र‍िस्‍क पर ही होगा और उनकी इसके ल‍िए जवाबदेही होगी.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के सीलमपुर कपड़ा मार्केट की दो दुकानों में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर खाक

दादा देव चाइल्ड केयर एंड मेटरनिटी हॉस्पिटल को नहीं म‍िली एनओसी: इसके अलावा दिल्ली सरकार के विकासपुरी के नसीरपुर इलाके के दादा देव चाइल्ड केयर एंड मेटरनिटी हॉस्पिटल को भी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट देने से फिलहाल इनकार कर दिया गया है. अस्‍पताल के न्यू ब्लॉक-ए का न‍िर्माण/र‍िनोवेशन का काम किया जा रहा है जबकि ब्लॉक-बी और ब्‍लॉक-सी मौजूदा हालात में संचालित हैं. फायर सर्विस विभाग के डायरेक्टर की ओर से अस्पताल प्रशासन को 18 जुलाई 2024 को अप्लाई किए गए आवेदन का जवाब देते हुए कहा है कि 11 जून, 2024 को अस्पताल का निरीक्षण किया गया था और फायर सेफ्टी इंतजामों का जायजा लिया गया था.

कंस्ट्रक्शन वर्क पूरा होने के बाद फ‍िर से अप्लाई करें आवेदन: इस दौरान पाया गया कि अस्पताल के ब्लॉक-ए में कंस्ट्रक्शन और रिनोवेशन वर्क किया जा रहा है. इस दौरान कई तरह की कमियां पाई गई जिनको पहले दूर किया जाना जरूरी है. निदेशक ने अस्पताल प्रशासन से आग्रह किया है कि वह इन सभी कम‍ियों को पहले दूर करे और कंस्ट्रक्शन/रिनोवेशन वर्क पूरा होने के बाद फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए एप्लीकेशन अप्लाई करे. उसके बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई किया जाना संभव है.

दादा देव अस्‍पताल में म‍िलीं ये तमाम खाम‍ियां: दादा देव अस्पताल के निरीक्षण के दौरान फायर फाइटिंग इंतजामों के रूप में अस्पताल के ओल्ड बिल्डिंग में अंडरग्राउंड वॉटर स्टोरेज टैंक और पंप इंस्टॉल मिले थे जोकि चालू हालत में थे जबकि स्प्रिंकलर और स्मोक डिटेक्टर्स को लेफ्ट आउट एरिया में इंस्टॉल किया जाना जरूरी है. नए ब्लॉक में सीढ़‍ियों की स्थिति गतिरोध पैदा कर रही है जिसको पूर्ण तरीके से निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही हटाया जा सकता है. लिफ्ट लॉबी और लिफ्ट साफट में प्रेशराइजेशन सिस्टम उपलब्ध नहीं पाया गया. वेंटीलेशन सिस्टम अपर फ्लोर्स नई ब्लॉक में फंक्शनल हालत में नहीं मिला. इसके अलावा नवनिर्मित ब्लॉक और पुराने ब्लॉक को सभी फ्लोर पर अलग करना आवश्यक है जोक‍ि लिफ्ट लॉबी और दूसरे अन्य क्षेत्र एरिया के बीच में आते हैं. यहां पर 2 घंटे की अग्नि रेटिंग के मुताबिक फायर चेक डोर्स उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं.

ये भी पढ़ें: द‍िल्‍ली में केंद्र सरकार के इस बड़े अस्‍पताल में नहीं है 'फायर सेफ्टी' के इंतजाम, र‍िजेक्‍ट हुई अप्‍लीकेशन

नई दिल्ली: दिल्ली में आए दिन आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. खासकर दिल्ली का नरेला इलाके ऐसा है जहां इन द‍िनों सबसे ज्यादा आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड की जा रही हैं. बावजूद इसके नरेला का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल इस तरह की घटनाओं को लेकर कोई ज्‍यादा गंभीर नहीं द‍िख रहा है. इसका ताजा उदाहरण यह है कि सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल दूसरी बार फायर सेफ्टी निरीक्षण में फेल हो गया है. द‍िल्‍ली अग्‍न‍िशमन व‍िभाग की तरफ से जिन कम‍ियों को दूर करने को कहा गया था, उन पर गंभीरता से काम नहीं क‍िया गया.

इस बीच देखा जाए तो दिल्ली फायर सर्विस विभाग के अधिकारियों की ओर से राजा हरिश्चंद्र अस्पताल में आग से निपटने के लिए किए गए सुरक्षा इंतजामों का जून माह में बारीकी से जायजा लिया गया था. फायर व‍िभाग ने अस्‍पताल के बेसमेंट ग्राउंड और चार मंजिला भवन के संचालन का बारीकी से निरीक्षण किया था. इस दौरान फायर विभाग के अधिकारियों की ओर से अलग-अलग तरह की सात बड़ी खामियां ग‍िनाई गईं थीं जिनको दूर करने के लिए अस्पताल प्रशासन को निर्देश दिए गए थे. फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट को इन सभी कम‍ियों के चलते र‍िन्‍युअल नहीं क‍िया गया था और एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया था.

सके बाद अब अस्पताल प्रशासन की ओर से एक बार फिर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट रिन्‍युअल एप्लीकेशन 26 जून 2024 को अप्लाई की गई. आवेदन म‍िलने के बाद दिल्ली फायर सर्विस विभाग की ओर से बिल्डिंग का पुनर्निरीक्षण किया गया. यह पुनर्निरीक्षण 19 जुलाई को अस्‍पताल के इलेक्ट्रिकल सुपरवाइजर एसएन शर्मा की मौजूदगी में किया गया. इस पुनर्निरीक्षण के दौरान दिल्ली अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की तरफ से पाया गया कि पूर्व में बताई गई 7 कम‍ियों में से सिर्फ 2 को ही दूर करने का काम अस्पताल प्रशासन की ओर से किया गया. इमसें मैन्युअल ऑपरेटेड इलेक्ट्रॉनिक फायर अलार्म सिस्टम को चालू करना और पंपिंग सिस्टम ऑटो मोड में रखना शाम‍िल है. बाकी कमियों को दूर करना अस्‍पताल प्रशासन ने जरूरी नहीं समझा जोक‍ि इस तरह से हैं:-

  • नए कंस्ट्रक्शन की वजह से 6 मीटर की इंटरनल रोड बाधित है.
  • फायर चेक डोर्स के डोर क्लोजर्स अभी भी हटे हुए हैं.
  • बेसमेंट के फायर चेक डोर्स अभी भी टूटी-फूटी हालत में है.
  • होज बॉक्सेज जो मिले हैं उनमें होज पाइप नहीं पाई गई.
  • फायर कंट्रोल रूम और पेशेंट रजिस्ट्रेशन रूम को सेपरेट नहीं किया गया है.

दिल्ली फायर विभाग के निदेशक अतुल गर्ग की ओर से सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल के हेड ऑफ ऑफ‍िस डॉ. आशुतोष गुप्‍ता को एक पत्र भेजकर इन सभी मौजूदा कम‍ियों से अवगत कराया है. न‍िदेशक ने कहा क‍ि इस स्‍तर पर अस्‍पताल बिल्डिंग/परिसर में इन सभी फायर सेफ्टी इंतजामों की कमी पाए जाने पर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट को र‍िन्‍युअल नहीं क‍िया जा सकता. इसल‍िए एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया गया है. निदेशक ने यह भी साफ किया है कि बिल्डिंग परिसर का संचालन इन सभी कम‍ियों के साथ क‍िया जाता है तो यह सब अस्‍पताल के ऑनर और संचालक के र‍िस्‍क पर ही होगा और उनकी इसके ल‍िए जवाबदेही होगी.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के सीलमपुर कपड़ा मार्केट की दो दुकानों में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर खाक

दादा देव चाइल्ड केयर एंड मेटरनिटी हॉस्पिटल को नहीं म‍िली एनओसी: इसके अलावा दिल्ली सरकार के विकासपुरी के नसीरपुर इलाके के दादा देव चाइल्ड केयर एंड मेटरनिटी हॉस्पिटल को भी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट देने से फिलहाल इनकार कर दिया गया है. अस्‍पताल के न्यू ब्लॉक-ए का न‍िर्माण/र‍िनोवेशन का काम किया जा रहा है जबकि ब्लॉक-बी और ब्‍लॉक-सी मौजूदा हालात में संचालित हैं. फायर सर्विस विभाग के डायरेक्टर की ओर से अस्पताल प्रशासन को 18 जुलाई 2024 को अप्लाई किए गए आवेदन का जवाब देते हुए कहा है कि 11 जून, 2024 को अस्पताल का निरीक्षण किया गया था और फायर सेफ्टी इंतजामों का जायजा लिया गया था.

कंस्ट्रक्शन वर्क पूरा होने के बाद फ‍िर से अप्लाई करें आवेदन: इस दौरान पाया गया कि अस्पताल के ब्लॉक-ए में कंस्ट्रक्शन और रिनोवेशन वर्क किया जा रहा है. इस दौरान कई तरह की कमियां पाई गई जिनको पहले दूर किया जाना जरूरी है. निदेशक ने अस्पताल प्रशासन से आग्रह किया है कि वह इन सभी कम‍ियों को पहले दूर करे और कंस्ट्रक्शन/रिनोवेशन वर्क पूरा होने के बाद फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के लिए एप्लीकेशन अप्लाई करे. उसके बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई किया जाना संभव है.

दादा देव अस्‍पताल में म‍िलीं ये तमाम खाम‍ियां: दादा देव अस्पताल के निरीक्षण के दौरान फायर फाइटिंग इंतजामों के रूप में अस्पताल के ओल्ड बिल्डिंग में अंडरग्राउंड वॉटर स्टोरेज टैंक और पंप इंस्टॉल मिले थे जोकि चालू हालत में थे जबकि स्प्रिंकलर और स्मोक डिटेक्टर्स को लेफ्ट आउट एरिया में इंस्टॉल किया जाना जरूरी है. नए ब्लॉक में सीढ़‍ियों की स्थिति गतिरोध पैदा कर रही है जिसको पूर्ण तरीके से निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही हटाया जा सकता है. लिफ्ट लॉबी और लिफ्ट साफट में प्रेशराइजेशन सिस्टम उपलब्ध नहीं पाया गया. वेंटीलेशन सिस्टम अपर फ्लोर्स नई ब्लॉक में फंक्शनल हालत में नहीं मिला. इसके अलावा नवनिर्मित ब्लॉक और पुराने ब्लॉक को सभी फ्लोर पर अलग करना आवश्यक है जोक‍ि लिफ्ट लॉबी और दूसरे अन्य क्षेत्र एरिया के बीच में आते हैं. यहां पर 2 घंटे की अग्नि रेटिंग के मुताबिक फायर चेक डोर्स उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं.

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