नई दिल्ली: दिल्ली में बरसात के मौसम में होने वाली वॉटर लॉगिंग और फ्लड जैसी समस्या से निपटने को लेकर अब दिल्ली सरकार ने फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद गठित की गई इंटीग्रेटेड ड्रेनेज मैनेजमेंट सेल (IDMC) इस दिशा में बड़े स्तर पर कार्रवाई में जुटी हुई है. सभी विभागों के साथ कोआर्डिनेशन कर काम करने वाली सेल ने अब दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने की बड़ी योजना तैयार की है जिसके अंतर्गत दिल्ली के अलग-अलग विभागों की सभी बड़ी 22 ओपन ड्रेनेज का जिम्मा एक ही एजेंसी/विभाग को सौंपा गया है. इससे विभाग की जवाबदेही भी तय हो सकेगी और संबंधित अधिकारी लापरवाही बरतने के मामले में नहीं बच सकेंगे.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की सभी 22 बड़ी ड्रेनेज का जिम्मा अब दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को सौंपा जा चुका है. यह सभी ड्रेन मल्टीपल अथॉरिटी के अंतर्गत आती हैं, कोर्ट के कड़े रूख के बाद ही सरकार ने इन सभी नालों की जिम्मेदारी अब सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को दी है. सरकार की ओर से एक एक्शन टेकन रिपोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट में भी पेश की गई थी. कोर्ट को अवगत कराया था कि तीन ड्रेनों की सिल्ट की क्वांटिटी का असेसमेंट किया गया है. बाकी 19 ओपन ड्रेन का भी असेसमेंट किया जाएगा. अब सरकार ने सिंगल एजेंसी के रूप में सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी है जिसकी डिटेल्ड रिपोर्ट 22 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश की जाएगी.
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की अध्यक्षता में इंटीग्रेटेड ड्रेन मैनेजमेंट सेल की एक इंटर डिपार्टमेंटल मीटिंग भी की गई है जिसमें कई मसलों पर खास चर्चा की गई है और उन बिंदुओं, उन रिपोर्ट्स को फाइनल टच भी दिया गया जिनको कोर्ट के सामने रखा जाना है.
जवाबदेही तय करना होगा आसान
सूत्रों की माने तो 22 खुले नाले जोकि सीधे तौर पर यमुना नदी में गिरते हैं, इन सभी का रखरखाव और संचालन अलग-अलग एजेंसियां/विभाग देखते हैं. इसकी वजह से इनकी साफ सफाई और बरसात के दौरान होने वाले जल भराव और यमुना नदी में पानी बढ़ने की स्थिति में बैकफ्लो रोकने के मामले में भी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगते रहे हैं. अब जब एक एजेंसी के पास सभी ड्रेनों की जिम्मेदारी रहेगी तो किसी मामले पर एक विभाग और अधिकारियों की जवाबदेही तय करना भी आसान हो सकेगा.
ड्रेनों की डिसिल्टिंग के लिए तय की गईं डेडलाइन
दिल्ली सरकार का सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग इन सभी 22 बरसाती नालों की गाद की मात्रा का आकलन करेगा और इन नालों से सिल्ट निकालने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाएगा. इनकी साफ-सफाई को लेकर एक डेडलाइन भी तय की गई हैं. इन सभी 22 नालों में से एक अकेले नजफगढ़ ड्रेन की सिल्ट निकालने का कार्य पूरा करने की डेडलाइल 30 जून, 2025 तय की गई है जबकि 21 नालों की डीसिल्टिंग का काम 31 दिसंबर, 2024 तक पूरा किए जाने की संभावना जताई गई है. सरकार की ओर से इन ड्रेनो की मेंटेनेंस और रखरखाव को लेकर एक ऑपरेटिव प्लेन भी तैयार किया जा रहा है जिससे कि इन ड्रेनों में सॉलिड वेस्ट की डंपिंग को रोका जा सकेगा. साथ ही आम लोगों को इनमें कचरा फेंकने से रोका जा सकेगा और डिफॉल्टरों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी. इन ड्रेनों के किनारो को बायो फेंसिंग से लैस करने की भी योजना है जिस पर काम किया जाएगा.
दिल्लीभर में कुल 3740.31 किलोमीटर लंबी स्टॉर्म वॉटर ड्रेन
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में कुल 3740.31 किलोमीटर लंबी स्टॉर्म वॉटर ड्रेन अलग-अलग विभागों के अंतर्गत आती हैं. इनमें लोक निर्माण विभाग के पास कुल 2064.08 किलोमीटर और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अंतर्गत 426.55 किमी की ड्रेन का प्रबंध करना शामिल है जबकि केंद्र सरकार के अधीनस्थ आने वाले नई दिल्ली नगरपालिका परिषद, दिल्ली छावनी बोर्ड और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अलावा दिल्ली नगर निगम (MCD) के अंतर्गत भी कई ड्रेन आती हैं. दिल्ली नगर निगम 521.87 किमी लंबी अलग-अलग ड्रेनों का प्रबंध करती है. वहीं, एनडीएमसी के पास 335.29 किलोमीटर की अलग-अलग ड्रेन हैं. डीडीए के पास 251.30 किमी, डीएसआईआईडीसी (एक कॉरपोरेशन है) भी 98.12 किमी लंबी अलग-अलग ड्रेन का रखरखाव और प्रबंधन का जिम्मा संभालता है. इसके अतिरिक्त दिल्ली छावनी बोर्ड पर भी 39.68 किमी लंबी ड्रेन के प्रबंधन का जिम्मा है. एनटीपीसी भी 3.42 किलोमीटर लंबी ड्रेन का रखरखाव करती है.
एमसीडी के पास हैं यह खास ड्रेन
दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाली खास ड्रेनों में महारानी बाग, तैमूर नगर, बारापूला नाला, खैबरपास, चंद्रावल, मैटकॉफ हाउस, विजय घाट, दिल्ली गेट, कुदेशिया बाग, अरूणा नगर और मोरी गेट समेत अन्य प्रमुख रूप से शामिल हैं.
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