नई दिल्ली: दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में सभी राजनीतिक दलों की निगाहें अब छोटे तपके के वोट बैंक पर टिकी है. केंद्र और दिल्ली सरकार का खास फोकस शहर के अलग-अलग इलाकों में बसी झुग्गी-झोपड़ियों और बस्तियों पर है. दूसरी तरह तरफ दिल्ली सरकार के शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (ड्यूसिब) ने जेजे बस्तियों के पुनर्वास करने की दिशा में कवायद तेज कर दी है. दरअसल, जेजे बस्तियों के रिसेटलमेंट करने को लेकर एक मामला दिल्ली हाई कोर्ट के विचाराधीन है, जिस पर 10 सितंबर को सुनवाई होनी है.
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों शहरी विकास विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी की चेयरमैनशिप में सब कमेटी की एक अहम मीटिंग की गई. इस मामले को लेकर गठित हाई पावर कमेटी की मीटिंग में जिन मुद्दों पर खास चर्चा हुई उन पर सब-कमेटी में विचार विमर्श किया गया है. दिल्ली की जेजे बस्तियां के पुनर्वास को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों के अनुपालन करने में अब सरकार तेजी से जुट गई है. इस मामले को लेकर 10 सितंबर को होने वाली सुनवाई में किसी तरह की नाराजगी या फटकार सरकार को ना पड़े, इसको लेकर भी पूरी तैयारी की जा रही है.
सब-कमेटी के चेयरमैन और अतिरिक्त चीफ सेक्रेटरी (शहरी विकास विभाग) और दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड के सीईओ की अध्यक्षता में सभी प्रतिभागियों की खास मीटिंग की गई. जिसमें जेजे बस्तियों में रहने वाले लोगों को मकानों के आवंटन को लेकर एक शॉर्ट टर्म योजना तैयार करने पर चर्चा की गई है. इस दौरान उन सभी भूमि स्वामित्व एजेंसियों और लाभार्थियों से प्राप्त इनपुट के आधार पर ही मकानों के आवंटन की अल्पकालिक योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए. इसके अलावा चेयरमैन ने सभी भूस्वामित्व एजेंसियों के प्रतिनिधियों के साथ इस बात पर भी खास चर्चा की है कि वह आखिर क्या चाहते हैं?
आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि इस विचार विमर्श के बाद ड्यूसिब ने प्रोजेक्ट के पात्र लाभार्थियों के पुनर्वास के लिए तैयारी करने का निर्देश भी दिया है. प्रोजेक्ट वाइज जेजे बस्तियों का पुनर्वास किया जाएगा. दिल्ली के जिन इलाकों में जेजे बस्तियों का पुनर्वास किया जाना है, वो सभी अलग-अलग विभागों की भूमि पर बसी हुई हैं. इनमें खासतौर पर दिल्ली नगर निगम, एल एंड डीओ, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया, लोक निर्माण विभाग, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं. इन सभी भूमि स्वामित्व वाली एजेंसियों की जमीन पर कई कॉलोनियां बसी हुई हैं, जिनको अब रिसेटेलमेंट किया जाना है.
दिल्ली नगर निगम की जमीन पर कुशक नाला, आईएनए और ईस्ट किदवई नगर (एनबीसीसी) के मध्य बसी जेजे बस्ती शामिल है. इसके अलावा एक अन्य बस्ती कल्याणपुरी के कल्याण वास की इंदिरा कैंप जेजे बस्ती भी एमसीडी की जमीन पर है. केंद्र सरकार के लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस की जमीन पर तीन झुग्गी बस्ती बसी हैं जिनमें गोल मार्केट (आरएमएल) जी-पॉइंट, कनक दुर्गा कैंप, आरके पुरम, सेक्टर-12 (सीपीडब्ल्यूडी) और निवेदिता कुंज, आरके पुरम, सेक्टर 10 की झुग्गियों प्रमुख रूप से शामिल हैं.
डीएमआरसी और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की जमीन पर भी दो झुग्गियां बसी है, जिनमें जेजे लोहार बस्ती, टी पॉइंट, मां आनंदमयी मार्ग (डीएमआरसी) और राजीव कैंप, मंडावली (एनएचएआई) प्रमुख रूप से शामिल हैं. दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग की जमीन पर भी एक जेजे बस्ती बसी है जो न्यू संजय कैंप, ओखला है. इसके अलावा दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग की लैंड पर भी दो जेजे बस्ती हैं जिनमें खिचड़ीपुर (गाजीपुर ड्रेन) और के एंड एल ब्लॉक, वजीरपुर की भी जेजे बस्ती शामिल है जिसका रिलोकेट किया जाना है.
पूर्व की यूपीए सरकार में तैयार की गई थी ये योजना: गौरतलब है कि दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों की पुनर्वास योजना तैयार की गई है. दिल्ली की पूर्व कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने 2007 में इस योजना को तैयार किया था. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को मिलकर इस योजना पर काम करना था. इस योजना के तहत केंद्र सरकार के आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय की ओर से जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत 52, 344 फ्लैट्स बनाने की योजना को मंजूरी दी गई थी. इनमें से अधिकांश संख्या में मकानों को तैयार किया जा चुका है लेकिन अभी उनका आवंटन पूरी तरह से नहीं किया गया है. हालांकि, चरणबद्ध तरीके से पात्र लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए कुछ पक्के मकान आवंटित भी किए गए हैं, लेकिन अभी पूरी तरह से जेजे बस्तियों को रिलोकेट नहीं किया जा सका है.