नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए पांच अक्टूबर को मतदान होगा. चुनाव प्रचार के लिए महज तीन दिन से शेष होने से आम आदमी पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान होने के बाद शुरुआती कुछ दिनों तक आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा से पार्टी के नेता चुनाव प्रचार को लेकर रणनीति नहीं बना सके थे. लेकिन जब गठबंधन नहीं हुआ तब आम आदमी पार्टी ने अपने दम पर चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देने में जुटी हुई है.
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को जब जमानत मिल गई तब पार्टी ने एक रणनीति के तहत हरियाणा के अलग-अलग विधानसभाओं में जहां संगठन पहले से मजबूत है वहां पर चुनाव प्रचार शुरू किया. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए 3 अक्टूबर की शाम चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा. ऐसे में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता की बागडोर आतिशी को सौंप दी. अब केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी के नेता ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार कर रहे हैं.
हरियाणा में चुनाव प्रचार करेंगी आतिशी
आज सोमवार को पहली बार दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी आतिशी हरियाणा में जाकर चुनाव प्रचार करेंगी. आज शाम आतिशी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चरखी दादरी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगी. तो वही अन्य चुनावी कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढा, संजय सिंह समेत अन्य नेताओं का भी अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में जनसभा और रोड शो है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आज करनाल जिले में चुनावी जनसभा करेंगे. तो वहीं, राघव चढ़ा महेंद्रगढ़ में रोड शो में शामिल होंगे. पार्टी ने हरियाणा के प्रभारी और पूर्व सांसद सुशील गुप्ता को संगठनात्मक जिम्मेदारी दी हुई है वह उसे देख रहे हैं, लेकिन सामने में राघव चढ़ा सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. आम आदमी पार्टी के पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पिछले दिनों अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में जाकर पार्टी प्रत्याशियों के समर्थन में रोड शो किया था, जनता से वोट मांग रहे थे. लेकिन पिछले दिनों अस्वस्थ होने के कारण वह अभी चुनाव प्रचार से दूर हैं.
अपने दम पर चुनाव लड़ रही AAP
बता दें कि आम आदमी पार्टी के महासचिव और राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक ने कहा है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब की तरह पड़ोसी राज्य हरियाणा में अपने दम पर चुनाव लड़ रही है. पार्टी का मानना है कि दिल्ली मॉडल की चर्चा सभी जगहों पर हो रही है. जो पड़ोसी राज्य है वहां के लोग बखूबी आम आदमी पार्टी की कार्यप्रणाली, सरकार चलाने के तरीके से वाकिफ हो चुके हैं. इसलिए पूरी उम्मीद है कि दिल्ली से दूरदराज के राज्यों की बजाय पड़ोसी राज्य हरियाणा में चुनाव बेहतर तरीके से लड़ा जाए तो नतीजा पक्ष में आ सकते हैं. जुलाई महीने में ही हरियाणा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के फैसले के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी ने 20 जुलाई को आम आदमी पार्टी टाउनहॉल मीटिंग कर हरियाणा की जनता के लिए “केजरीवाल की गारंटी” की घोषणा भी कर दी थी.
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