नई दिल्लीः मंगलवार दोपहर 4.45 बजे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. एलजी आवास में वह अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ गए और इस्तीफा देने के बाद अकेले ही गाड़ी से निकल गए. उन्होंने इस दौरान मीडिया से कोई बात नहीं की. इससे पहले सुबह 11 बजे अरविंद केजरीवाल ने आज मंगलवार को हुई विधायक दल की बैठक में आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी विधायकों ने अपनी सहमति जताई. इसके बाद आतिशी का नाम नए सीएम के लिए ऐलान किया गया.
बता दें, 13 सितंबर को शराब नीति केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने 15 सितंबर को मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि, 'अब जनता तय करे कि मैं ईमानदार हूं या बेईमान. जनता ने दाग धोया और विधानसभा चुनाव जीता तो फिर से कुर्सी पर बैठूंगा.'
3 प्वॉइंट में जानिए, केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया
मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन पावर नहींः दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जमानत पर जेल से बाहर आए. सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वे CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे, यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रहा.
सिर्फ 5 महीने का कार्यकाल बचाः दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है. यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं. इस दौरान सरकारें लोक-लुभावन चुनावी फैसले लेती हैं. केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं. जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है. दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे.
ईमानदार नेता की छवि को मजबूत करेंगेः दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे थे. केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है. अब वे भाजपा नेताओं को सीधे कह सकेंगे कि सिर्फ आरोप रहते मैंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया. अब मेरी ईमानदारी का फैसला जनता करेगी.