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Delhi: दिल्ली की पटपड़गंज सीट से 'बाहरी' को ही मिली जीत, जो जीता उसी की सरकार बनी - DELHI ASSEMBLY ELECTION

मनीष सिसोदिया तीन बार से जीत रहे, इस बार अवध ओझा हैं आम आदमी पार्टी से उम्मीदवार.

पटपड़गंज सीट से जो पार्टी हारी सत्ता से हुई बाहर
पटपड़गंज सीट से जो पार्टी हारी सत्ता से हुई बाहर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अगले महीने से होने वाले विधानसभा चुनाव की आहट चारों ओर सुनाई देने लगी है. राज्य की तीनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. आप ने जहां चुनाव की घोषण से पहले ही 32 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर तैयारी में सबसे आगे होने का सबूत दिया है तो वहीं, 12 दिसंबर को कांग्रेस ने भी 21 प्रत्याशियों की सूची जारी करके चुनाव के लिए पूरी तरह से कमर कसने का संकेत दिया है.

वहीं, भाजपा भी अपने प्रत्याशियों को अंतिम रूप देने के लिए लगातार बैठकें कर रही है. साथ ही भाजपा की ओऱ से बूथ से लेकर जिला स्तर पर नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी देकर प्रचार शुरू कर दिया गया है. ऐसे में अब दिल्ली के लोगों के लिए यह जानने की उत्सुकता बढ़ना भी लाजिमी है कि दिल्ली की किस विधासनभा सीट पर मौजूदा समय में क्या स्थिति है. मनीष सिसोदिया के चुनाव लड़ने से हॉट और वीआईपी सीट रही पटपड़गंज से इस बार सिसोदिया के चुनाव न लड़ने के बाद कौन-कौन आमने सामने होंगे. साथ ही इस बार इस विधानसभा चुनाव के क्या मुद्दे हैं और अब तक का राजनीतिक इतिहास क्या रहा है.

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दिल्ली बीजेपी बना रही अपने पार्षदों का रिपोर्ट कार्ड, सर्वेक्षण पर उठे सवाल


अब तक हुए सात चुनावों में कभी स्थानीय प्रत्याशी को नहीं मिली जीत
अगर वर्ष 1993 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव से लेकर वर्ष 2020 तक हुए सातवीं विधानसभा के चुनाव तक एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब इस सीट पर किसी स्थानीय नेता को जीत नसीब हुई हो. हमेशा स्थानीय नेता को हार औऱ बाहरी नेता को इस विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जीत का ताज पहनाया. 1993 से लेकर 2008 तक यह सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित रही. वर्ष 2008 में हुए नए परिसीमन में इस सीट को एससी से सामान्य सीट कर दिया गया. उसके बाद हुए चुनाव में पटपड़गंज विधान सभा के क्षेत्रफल में बड़ा बदलाव हुआ. इस सीट पर हुए अब तक के सात चुनाव में एक बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस और तीन बार आम आदमी पार्टी को जीत मिली है. सबसे पहले चुनाव में भाजपा के ज्ञानचंद विजयी रहे थे. वह कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र के घोंडली गांव रहने वाले थे. बाहरी प्रत्याशी के तौर पर उन्हें यहां से जीत मिली.

पटपड़गंज से अब तक रहे विधायक
पटपड़गंज से अब तक रहे विधायक (ETV Bharat GFX)

इसके बाद 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के अमरीश सिंह गौतम विजयी रहे. वह भी कल्याणपुरी के रहने वाले थे. उनकी खुद की विधानसभा सीट तब कल्याणपुरी हुआ करती थी. लेकिन, एससी वर्ग से होने के चलते उन्होंने पटपड़गंज एससी सीट से चुनाव लड़कर बाहरी प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में यह सीट सामान्य हो गई. उस दौरान युवा कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भी बाहरी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हुए मात्र 600 वोट से भाजपा के नकुल भारद्वाज को हराकर जीत दर्ज की. अनिल चौधरी भी कोंडली विधानसभा क्षेत्र के गांव दल्लूपुरा के निवासी हैं.

पटपड़गंज सीट बाहरी प्रत्याशियों के लिए लकी

कोंडली सीट के एससी के लिए आरक्षित होने के चलते उन्होंने पटपड़गंज से चुनाव लड़ा था. इसके बाद वर्ष 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी मनीष सिसोदिया ने जीत दर्ज की. मनीष सिसोदिया भी बाहरी प्रत्याशी थे और आम आदमी पार्टी के गठन के समय वह गाजियाबाद के कौशांबी में रहते थे. चुनाव लड़ने के लिए ही उन्होंने अपनी पटपड़गंज में सक्रियता बढ़ाई थी. इन तथ्यों से यह बात साफ हो जाती है कि पटपड़गंज सीट बाहरी प्रत्याशियों के लिए लकी साबित हुई है. पटपड़गंज सीट को लेकर पांडव नगर स्थित जनता वेलफेयर एसोसिएशन आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष रूपेंद्र शर्मा इन सभी तथ्यों की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि मेरी 75 साल की उम्र है. दिल्ली सभी विधानसभा चुनाव में बढ़चढ़कर भाग लिया है और इस स्थिति को बहुत करीब से देखा है. यह सीट अभी तक स्थानीय प्रत्याशियों के लिए चुनौती बनी हुई है. कई बार स्थानीय प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर दी लेकिन, दो बार 600 वोट और 3207 वोट के मामूली अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

पटपड़गंज से जिस पार्टी का विधायक जीता उसी की बनी सरकार
यहां के स्थानीय निवासी और आरडब्ल्यूए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनय पाल सिंह तंवर कहते हैं कि इस सीट के साथ एक मिथक और जुड़ा हुआ है. अब तक हुए सात विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी ने भी यहां से जीत दर्ज की उसी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी. इतना ही नहीं अगर कोई पार्टी एक बार जीती तो एक बार सरकार बनी औऱ तीन-तीन बार जीती तो तीन बार ही सरकार बनी. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले विधानसभा चुनाव में वर्ष 1993 में इस सीट से भाजपा के ज्ञानचंद ने जीत दर्ज की तो दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी थी और मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे.

मनीष सिसोदिया इस बार नहीं

उसके बाद 1998, 2003, 2008 के तीन चुनाव में लगातार कांग्रेस को जीत मिली तो कांग्रेस की 15 साल तक सरकार रही और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं. इसी तरह 2013, 2015 और 2020 के चुनाव में तीन बार आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की तो तीनों ही बार आप की ही सरकार बनी है. 2013 के विधान सभा चुनाव में आप के मनीष सिसोदिया विधायक बने. मुख्यमंत्री के बाद वह दिल्ली सरकार में नंबर-2 रहे. कथित आबकारी घोटाले में जेल जाने तक बतौर सिसोदिया ने दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाई.

इस सीट पर जीत दर्ज करने के साथ ही अरविंद केजरीवाल तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं. अब इस बार देखना होगा कि किस पार्टी का प्रत्याशी यहां से विजयी होता है औऱ किसकी सरकार बनती है. हालांकि, इस बार मनीष सिसोदिया इस सीट को छोड़कर जंगपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, आप ने यहां से सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले शिक्षक अवध ओझा को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी प्रत्याशी हैं तो वहीं भाजपा से अभी प्रत्याशी की घोषणा होनी बाकी है.
अब तक घोषित प्रत्याशी


  • आम आदमी पार्टी - अवध ओझा
    कांग्रेस - अनिल चौधरी
  • प्रमुख स्थानीय मुद्दे...
    सुरक्षा, पार्किंग, अतिक्रण, साफ-सफाई, अवारा पशुओं का जमावड़ा

    पटपड़गंज की मिली-जुली आबादी
    इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नगर निगम के चार वॉर्ड आते हैं. चार में से तीन वार्ड में भाजपा के पार्षद हैं तो वहीं एक वार्ड में आप का पार्षद है. यह सीट पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इसमें मंडावली, विनोद नगर, मयूर विहार फेज दो और पटपड़गंज वार्ड आते हैं. यहां की आबादी में लगभग 16 अवैध कॉलोनियां और तीन गांव शामिल हैं. पटपड़गंज, मंडावली और खिचड़ीपुर गांव इस इलाके में एक अलग पहचान रखते हैं.

इस विधानसभा क्षेत्र में 50 से अधिक ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज भी हैं तो वहीं स्लम एरिया और कुछ पुनर्वास कॉलोनियां भी हैं. कुल मिलाकर पटपड़गंज का इलाका मिला-जुला क्षेत्र है. इस क्षेत्र में मिडिल क्लास से लेकर झुग्गी में रहने वाले मतदाता तक शामिल हैं. यहां पूर्वांचल और उत्तराखंड के मतदाताओं की अच्छी संख्या है. पिछे चुनाव में उत्तराखंड मूल के भाजपा प्रत्याशी रविंदर सिंह नेगी (रवि नेगी) ने मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी थी. सिसोदिया को मात्र 3207 वोट से जीत मिली थी.
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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अगले महीने से होने वाले विधानसभा चुनाव की आहट चारों ओर सुनाई देने लगी है. राज्य की तीनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस ने भी अपनी-अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. आप ने जहां चुनाव की घोषण से पहले ही 32 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर तैयारी में सबसे आगे होने का सबूत दिया है तो वहीं, 12 दिसंबर को कांग्रेस ने भी 21 प्रत्याशियों की सूची जारी करके चुनाव के लिए पूरी तरह से कमर कसने का संकेत दिया है.

वहीं, भाजपा भी अपने प्रत्याशियों को अंतिम रूप देने के लिए लगातार बैठकें कर रही है. साथ ही भाजपा की ओऱ से बूथ से लेकर जिला स्तर पर नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी देकर प्रचार शुरू कर दिया गया है. ऐसे में अब दिल्ली के लोगों के लिए यह जानने की उत्सुकता बढ़ना भी लाजिमी है कि दिल्ली की किस विधासनभा सीट पर मौजूदा समय में क्या स्थिति है. मनीष सिसोदिया के चुनाव लड़ने से हॉट और वीआईपी सीट रही पटपड़गंज से इस बार सिसोदिया के चुनाव न लड़ने के बाद कौन-कौन आमने सामने होंगे. साथ ही इस बार इस विधानसभा चुनाव के क्या मुद्दे हैं और अब तक का राजनीतिक इतिहास क्या रहा है.

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अब तक हुए सात चुनावों में कभी स्थानीय प्रत्याशी को नहीं मिली जीत
अगर वर्ष 1993 में हुए दिल्ली विधानसभा के चुनाव से लेकर वर्ष 2020 तक हुए सातवीं विधानसभा के चुनाव तक एक बार भी ऐसा नहीं हुआ जब इस सीट पर किसी स्थानीय नेता को जीत नसीब हुई हो. हमेशा स्थानीय नेता को हार औऱ बाहरी नेता को इस विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जीत का ताज पहनाया. 1993 से लेकर 2008 तक यह सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित रही. वर्ष 2008 में हुए नए परिसीमन में इस सीट को एससी से सामान्य सीट कर दिया गया. उसके बाद हुए चुनाव में पटपड़गंज विधान सभा के क्षेत्रफल में बड़ा बदलाव हुआ. इस सीट पर हुए अब तक के सात चुनाव में एक बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस और तीन बार आम आदमी पार्टी को जीत मिली है. सबसे पहले चुनाव में भाजपा के ज्ञानचंद विजयी रहे थे. वह कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र के घोंडली गांव रहने वाले थे. बाहरी प्रत्याशी के तौर पर उन्हें यहां से जीत मिली.

पटपड़गंज से अब तक रहे विधायक
पटपड़गंज से अब तक रहे विधायक (ETV Bharat GFX)

इसके बाद 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के अमरीश सिंह गौतम विजयी रहे. वह भी कल्याणपुरी के रहने वाले थे. उनकी खुद की विधानसभा सीट तब कल्याणपुरी हुआ करती थी. लेकिन, एससी वर्ग से होने के चलते उन्होंने पटपड़गंज एससी सीट से चुनाव लड़कर बाहरी प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की. इसके बाद वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में यह सीट सामान्य हो गई. उस दौरान युवा कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने भी बाहरी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हुए मात्र 600 वोट से भाजपा के नकुल भारद्वाज को हराकर जीत दर्ज की. अनिल चौधरी भी कोंडली विधानसभा क्षेत्र के गांव दल्लूपुरा के निवासी हैं.

पटपड़गंज सीट बाहरी प्रत्याशियों के लिए लकी

कोंडली सीट के एससी के लिए आरक्षित होने के चलते उन्होंने पटपड़गंज से चुनाव लड़ा था. इसके बाद वर्ष 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी मनीष सिसोदिया ने जीत दर्ज की. मनीष सिसोदिया भी बाहरी प्रत्याशी थे और आम आदमी पार्टी के गठन के समय वह गाजियाबाद के कौशांबी में रहते थे. चुनाव लड़ने के लिए ही उन्होंने अपनी पटपड़गंज में सक्रियता बढ़ाई थी. इन तथ्यों से यह बात साफ हो जाती है कि पटपड़गंज सीट बाहरी प्रत्याशियों के लिए लकी साबित हुई है. पटपड़गंज सीट को लेकर पांडव नगर स्थित जनता वेलफेयर एसोसिएशन आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष रूपेंद्र शर्मा इन सभी तथ्यों की पुष्टि करते हुए कहते हैं कि मेरी 75 साल की उम्र है. दिल्ली सभी विधानसभा चुनाव में बढ़चढ़कर भाग लिया है और इस स्थिति को बहुत करीब से देखा है. यह सीट अभी तक स्थानीय प्रत्याशियों के लिए चुनौती बनी हुई है. कई बार स्थानीय प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर दी लेकिन, दो बार 600 वोट और 3207 वोट के मामूली अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

पटपड़गंज से जिस पार्टी का विधायक जीता उसी की बनी सरकार
यहां के स्थानीय निवासी और आरडब्ल्यूए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनय पाल सिंह तंवर कहते हैं कि इस सीट के साथ एक मिथक और जुड़ा हुआ है. अब तक हुए सात विधानसभा चुनाव में जिस पार्टी ने भी यहां से जीत दर्ज की उसी पार्टी की दिल्ली में सरकार बनी. इतना ही नहीं अगर कोई पार्टी एक बार जीती तो एक बार सरकार बनी औऱ तीन-तीन बार जीती तो तीन बार ही सरकार बनी. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले विधानसभा चुनाव में वर्ष 1993 में इस सीट से भाजपा के ज्ञानचंद ने जीत दर्ज की तो दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी थी और मदनलाल खुराना मुख्यमंत्री बने थे.

मनीष सिसोदिया इस बार नहीं

उसके बाद 1998, 2003, 2008 के तीन चुनाव में लगातार कांग्रेस को जीत मिली तो कांग्रेस की 15 साल तक सरकार रही और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं. इसी तरह 2013, 2015 और 2020 के चुनाव में तीन बार आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की तो तीनों ही बार आप की ही सरकार बनी है. 2013 के विधान सभा चुनाव में आप के मनीष सिसोदिया विधायक बने. मुख्यमंत्री के बाद वह दिल्ली सरकार में नंबर-2 रहे. कथित आबकारी घोटाले में जेल जाने तक बतौर सिसोदिया ने दिल्ली सरकार में उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभाई.

इस सीट पर जीत दर्ज करने के साथ ही अरविंद केजरीवाल तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं. अब इस बार देखना होगा कि किस पार्टी का प्रत्याशी यहां से विजयी होता है औऱ किसकी सरकार बनती है. हालांकि, इस बार मनीष सिसोदिया इस सीट को छोड़कर जंगपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, आप ने यहां से सिविल सर्विसेज की तैयारी कराने वाले शिक्षक अवध ओझा को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी प्रत्याशी हैं तो वहीं भाजपा से अभी प्रत्याशी की घोषणा होनी बाकी है.
अब तक घोषित प्रत्याशी


  • आम आदमी पार्टी - अवध ओझा
    कांग्रेस - अनिल चौधरी
  • प्रमुख स्थानीय मुद्दे...
    सुरक्षा, पार्किंग, अतिक्रण, साफ-सफाई, अवारा पशुओं का जमावड़ा

    पटपड़गंज की मिली-जुली आबादी
    इस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नगर निगम के चार वॉर्ड आते हैं. चार में से तीन वार्ड में भाजपा के पार्षद हैं तो वहीं एक वार्ड में आप का पार्षद है. यह सीट पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है. इसमें मंडावली, विनोद नगर, मयूर विहार फेज दो और पटपड़गंज वार्ड आते हैं. यहां की आबादी में लगभग 16 अवैध कॉलोनियां और तीन गांव शामिल हैं. पटपड़गंज, मंडावली और खिचड़ीपुर गांव इस इलाके में एक अलग पहचान रखते हैं.

इस विधानसभा क्षेत्र में 50 से अधिक ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज भी हैं तो वहीं स्लम एरिया और कुछ पुनर्वास कॉलोनियां भी हैं. कुल मिलाकर पटपड़गंज का इलाका मिला-जुला क्षेत्र है. इस क्षेत्र में मिडिल क्लास से लेकर झुग्गी में रहने वाले मतदाता तक शामिल हैं. यहां पूर्वांचल और उत्तराखंड के मतदाताओं की अच्छी संख्या है. पिछे चुनाव में उत्तराखंड मूल के भाजपा प्रत्याशी रविंदर सिंह नेगी (रवि नेगी) ने मनीष सिसोदिया को कड़ी टक्कर दी थी. सिसोदिया को मात्र 3207 वोट से जीत मिली थी.
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