देहरादून: राजधानी देहरादून में बीते रविवार को गुलदार ने 10 साल के बच्चे की जान ले ली थी. इससे पहले भी ये गुलदार कई लोगों को अपना निवाला बना चुका है. आलम यह है कि राजधानी देहरादून के राजपुर रोड स्थित मालसी डियर पार्क के आसपास के क्षेत्र में यह गुलदार रोजाना दिखाई दे रहा था. लेकिन रविवार की घटना के बाद जब से इस गुलदार को मारने के आदेश हुए हैं, तब से आज तक यह गुलदार उस क्षेत्र से नदारद है. वन विभाग की पांच टीमें अलग-अलग इलाकों में इस गुलदार को सर्च कर रही हैं. आदमखोर के इस हमले के बाद से सरकार और वन प्रशासन दोनों ही टेंशन में हैं.
दिन रात तैनात वन कर्मी, लेकिन नहीं दिख रहा है गुलदार: राजधानी देहरादून के गलज्वाड़ी क्षेत्र में यह घटना उस वक्त हुई थी जब बच्चा अपने घर के पास ही खेल रहा था. तभी गुलदार 10 वर्ष के बच्चे को उठाकर ले गया. इससे पहले भी जनवरी महीने में यह गुलदार 4 साल के बच्चे को उठा कर ले गया था. उस घटना के बाद 7 दिन बीते भी नहीं थे कि इसी इलाके में गुलदार ने एक और बच्चे पर उस वक्त हमला कर दिया था, जब बच्चा अपने दोस्तों के साथ जंगल में लकड़ियां बीनने गया था. लगातार घटती इन घटनाओं के बाद वन विभाग ने आदमखोर हो चुके इस गुलदार को मारने के आदेश दे दिए हैं. जिसके बाद वन विभाग की टीमें इस पूरे इलाके में अलग-अलग जगह बंदूकों से लैस होकर डेरा डाले हुए हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी? डीएफओ नीतीश मणि त्रिपाठी कहते हैं कि चार दिन हो जाने के बाद भी अब तक गुलदार हमें दिखाई नहीं दिया है. इस बार हम न केवल अपने कर्मचारियों के माध्यम से बल्कि देर शाम तक इस पूरे इलाके में ड्रोन के माध्यम से भी नजर रख रहे हैं. इससे पहले हुई घटना के बाद कॉलोनी में घूमते हुए या आसपास के इलाकों से लोगों द्वारा यह सूचना मिली थी कि लगातार गुलदार उन्हें दिखाई दे रहा है. लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी इस बार किसी माध्यम से भी हमारे कर्मचारियों और अधिकारियों तक यह खबर नहीं आई है कि यह गुलदार दोबारा से दिखाई दिया है. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि इस तरह की घटना दोबारा न हो. हमने अलग-अलग टीमों को अलग-अलग जगह पर तैनात किया हुआ है, ताकि लोगों में एक विश्वास बनाए जा सके.
बढ़ती गुलदारों की संख्या है हमलों की एक वजह: आपको बता दें कि राजधानी देहरादून ही नहीं राज्य के अलग-अलग इलाकों में भी लगातार गुलदारों का आतंक बढ़ रहा है. इसके पीछे की वजह गुलदारों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी है. साल 2008 में जब गुलदारों की गिनती की गई थी, तब 2,335 गुलदार राज्य में पाए गए थे. साल 2023 में उत्तराखंड में गुलदार बढ़कर 3,115 हो गए. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. सबसे अधिक गुलदारों की संख्या देहरादून, पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल और हरिद्वार के साथ-साथ उधमसिंह नगर जिले में देखी जा रही है. बीते साल 2023 में गुलदारों ने 18 लोगों की जान ली थी. 90 से अधिक लोग गुलदार के हमलों में घायल हुए थे. पिछले 4 सालों की बात करें तो राज्य में 18 गुलदारों को मारा भी जा चुका है.
सरकार ने दिया 6 लाख का चेक: फ़िलहाल देहरादून वन प्रभाग और सरकार का एक ही मकसद है कि किसी तरह से ये गुलदार या तो ट्रेंकुलाइज कर लिया जाए. या इसको मौत के घाट उतार दिया जाए, ताकि लोग राहत की सांस ले सकें. उधर मृतक बच्चे के परिवार के लोगों को सरकार ने ₹6 लाख की सहायता राशि दे दी है. सरकार में कैबिनेट मंत्री और मसूरी से विधायक गणेश जोशी ने बच्चे के परिजनों को ये चेक सौंपा. इसमें 4 लाख केंद्र सरकार और दो लाख राज्य की तरफ से परिजनों को दिए गए हैं.
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