देहरादून: नगर निगम की उधारी चुकाने से परहेज करने वालों को कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, कई बड़े संस्थान लाखों का बकाया होने के बावजूद निगम को ठेंगा दिखा रहे हैं. उधर नगर निगम भी अब तक उदार रवैया दिखाकर बड़े संस्थानों के हौसले बुलंद करता रहा है.लेकिन अब नगर निगम में ऐसे बड़े संस्थानों की सूची तैयार कर इन्हें सीज करने का इरादा बना लिया है. यह कार्रवाई इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हजारों या लाखों नहीं बल्कि नगर निगम का करोड़ों रुपया इन संस्थानों में फंसा हुआ है.
बकाया चुकाने में दिलचस्पी नहीं: नगर निगम के लिए हाउस टैक्स आमदनी का एक बड़ा जरिया है और इसी आमदनी के जरिए निगम कई योजनाओं के माध्यम से नगर वासियों को सुविधाएं भी उपलब्ध कराता है. लेकिन देहरादून नगर निगम में हाउस टैक्स को लेकर निगम प्रशासन का उदार रवैया उनके लिए मुसीबत बन गया है. हैरानी की बात यह है कि नगर निगम के बकायदारों की एक लंबी फेहरिस्त तैयार हो चुकी है, जो लाखों का बकाया होने के बावजूद इसे चुकाने में दिलचस्पी नहीं रख रहे हैं.
नगर निगम के नुकसान का ग्राफ बढ़ा: इसके पीछे भी खुद नगर निगम ही जिम्मेदार है, क्योंकि इन बड़े बकायदारों पर नगर निगम हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. हर साल बकाए की रकम बढ़ने से नगर निगम के नुकसान का ग्राफ भी बढ़ने लगा है. उधर निगम ने भी इन हालातों में अपना रुख बदलने का फैसला किया है. अब निगम प्रशासन सख्त रुख के साथ कार्रवाई करने जा रहा है.
नगर निगम देहरादून में हाउस टैक्स को लेकर क्या है स्थिति जानिए
- नगर निगम देहरादून में एक लाख से अधिक बकाये वाले संस्थानों की 565 हैं संख्या
- ऐसे बकायेदारों से अब तक कुल 35 करोड़ की होनी है वसूली
- बड़े बकायेदारों में विभिन्न सरकारी विभाग और बड़े संस्थान हैं शामिल
- नगर निगम देहरादून अब ऐसे बड़े बकायेदारों को नोटिस सर्व करने की कर रहा तैयारी
- किसी भी स्थिति में बकाया न देने वालों के सार्वजनिक किए जा सकते हैं नाम
- नगर निगम देहरादून करीब 125000 घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर लगाता है टैक्स
देहरादून नगर निगम ने ऐसे बकायदारों की सूची तैयार कर ली है जिन्हें एक लाख से अधिक रुपए हाउस टैक्स के रूप में देने हैं. इन बकायदाओं को नगर निगम जल्द ही नोटिस जारी करने जा रहा है. ऐसे 565 बकायदारों से 35 करोड रुपए वसूले जाने हैं. जिसके लिए नगर निगम अलग से कार्रवाई करने जा रहा है. इसमें सरकारी संस्थानों से लेकर कई बड़े निजी क्षेत्र भी हैं. इसमें सबसे चौकाने वाली बात यह है कि बड़े बकायदारों में सरकारी विभाग भी शामिल है. साथ ही निजी क्षेत्र के जाने वाले लोग भी हाउस टैक्स न देने वालों में शुमार है. नगर निगम में इस बार भी स्पष्ट कर लिया है कि जो भी विभाग या बड़े कारोबारी प्रॉपर्टी टैक्स नहीं देंगे उनकी प्रॉपर्टी को सीज किया जाएगा.
देहरादून नगर निगम लेगा एक्शन
- उत्तराखंड में 12000 से ज्यादा लोगों या संस्थानों ने समय से नहीं भरा टैक्स
- घरों पर लगे टैक्स की जगह व्यावसायिक प्रतिष्ठानों या संस्थान पर है नगर निगम का फोकस
- टैक्स वसूली को लेकर नगर निगम में चल रही टैक्स छूट से जुड़ी योजनाएं
- नगर निगम की विभिन्न योजनाओं में काम आ सकता है करोड़ों का यह बजट
- लाखों रुपए का टैक्स जमा नहीं करने वालों पर अब तक नगर निगम नहीं दिखा पाया कार्रवाई की हिम्मत
निगम का उदासीन रवैया दे रहा ताकत: नगर निगम का टैक्स देने वालों में सबसे आगे निर्धन और मध्यम वर्ग के लोग है. जबकि नगर निगम का पैसा दबाए रखने वालों में बड़े संस्थान और निजी बड़े प्रतिष्ठान शामिल हैं. यह स्थिति तब है जब नगर निगम मौजूदा वित्तीय वर्ष में हाउस टैक्स के लिए 20% तक की छूट दे रहा है. इससे साफ है कि कार्रवाई को लेकर नगर निगम का उदासीन रवैया ऐसे संस्थानों और विभागों को ताकत दे रहा है और इसके कारण हाउस टैक्स में ठीक से वसूली नहीं हो पा रही है. हालांकि बड़े बकायेदार कुल बकायदारों में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं,लेकिन इनके पास टैक्स की भारी रकम दबी हुई है.
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