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बीकानेर में इस अभियान के जरिए मातृ मृत्यु व शिशु मृत्यु दर में लाई गई कमी - Reforms through campaigns

सरकार के स्तर पर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश और मातृ शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर चलाई जा रहे अभियान का बीकानेर में सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है.

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में दर्ज हुई गिरावट
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में दर्ज हुई गिरावट (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 14, 2024, 10:37 AM IST

बीकानेर. जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश और मातृ शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर चलाए जा रहे सरकारी कार्यक्रमों और अभियान के बीच जमीनी स्तर पर बीकानेर में इसका परिणाम देखने को मिल रहा है. बीकानेर जिले में जिला प्रशासन तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सतत प्रयासों से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. इन प्रयासों से जिले में मातृ मृत्यु दर में आमूल चूल गिरावट दर्ज हुई है.

सकारात्मक प्रयासों से आई कमी : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2022-23 में जहां प्रति एक लाख जीवित जन्म पर 99 प्रसूताओं की मृत्यु हो जाती थी. वहीं, वर्ष 2023-24 में यह संख्या घटकर 66 रह गई है. संख्या की बात करें तो 2022-23 में जिले में 55 मातृ मृत्यु दर्ज की गई थी, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 34 रह गई. वर्तमान वर्ष के दो माह में मात्र दो मातृ मृत्यु ही दर्ज हुई है. गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को नीचे लाने के लक्ष्य को ही स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय लक्ष्य के रूप में स्थापित किया गया है. ऐसे में विभाग के सभी प्रयासों के केंद्र में मातृ मृत्यु नियंत्रण रहता है.

पढ़ें: सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान के जरिए मातृ और शिशु मृत्यु दर हुई कम

जिला स्तर पर मॉनिटरिंग : बीकानेर में जिला प्रशासन की ओर से लगातार इसको लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है और उसी का परिणाम सामने आ रहा है. पूर्व में प्रतिमाह 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता था, जिसे बढ़ाते हुए हर माह 9, 18 तथा 27 तारीख को अभियान के तहत गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच चिकित्सक द्वारा की जाती है. इसके चलते हाई रिस्क प्रेग्नेंट महिलाओं की अलग से सूची तैयार हो जाती है और उनके सुरक्षित प्रसव का प्रबंधन व योजना भी इस अभियान के अंतर्गत बनाई जाती है. डॉ गुप्ता ने बताया कि हाल ही में बीकानेर में नवाचार करते हुए समस्त जनता क्लीनिक पर भी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन शुरू किया गया है.

एनीमिया मुक्त अभियान ने बढ़ाया हीमोग्लोबिन : डॉ गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार के एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के अंतर्गत किशोरियों व गर्भवतियों के हीमोग्लोबिन स्तर को ऊपर लाने के लिए बेहतरीन प्रयास हुए हैं. इसका परिणाम यह रहा कि गत वर्ष 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं की संख्या 4 हजार 373 थी जो वर्ष 2023-24 में घटकर मात्र 2 हजार 467 रह गई. आयरन की शक्ति के साथ गर्भवती की प्रसव के समय रिस्क की गुंजाइश भी बहुत कम हो जाती है. प्रसव के समय कॉम्प्लिकेशन से यदि रक्तस्राव अधिक भी हो जाए तो भी मातृ मृत्यु नहीं होती क्योंकि हीमोग्लोबिन का स्तर अच्छा होता है.

संस्थागत प्रसव बढ़ा, होम डिलीवरी से दूरी : जिले में वर्ष 2022-23 में 50,715 संस्थागत प्रसव हुए. वहीं 2023-24 में 52,135 संस्थागत प्रसव हुए हैं. इसी कारण घर पर प्रसव की संख्या 161 से घटकर मात्र 8 रह गई. सुरक्षित संस्थागत प्रसव ने मातृ मृत्यु दर को नीचे लाने में बड़ा योगदान दिया है.

बीकानेर. जिले में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर प्रभावी अंकुश और मातृ शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर चलाए जा रहे सरकारी कार्यक्रमों और अभियान के बीच जमीनी स्तर पर बीकानेर में इसका परिणाम देखने को मिल रहा है. बीकानेर जिले में जिला प्रशासन तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सतत प्रयासों से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. इन प्रयासों से जिले में मातृ मृत्यु दर में आमूल चूल गिरावट दर्ज हुई है.

सकारात्मक प्रयासों से आई कमी : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2022-23 में जहां प्रति एक लाख जीवित जन्म पर 99 प्रसूताओं की मृत्यु हो जाती थी. वहीं, वर्ष 2023-24 में यह संख्या घटकर 66 रह गई है. संख्या की बात करें तो 2022-23 में जिले में 55 मातृ मृत्यु दर्ज की गई थी, जो वर्ष 2023-24 में घटकर 34 रह गई. वर्तमान वर्ष के दो माह में मात्र दो मातृ मृत्यु ही दर्ज हुई है. गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को नीचे लाने के लक्ष्य को ही स्वास्थ्य विभाग के केंद्रीय लक्ष्य के रूप में स्थापित किया गया है. ऐसे में विभाग के सभी प्रयासों के केंद्र में मातृ मृत्यु नियंत्रण रहता है.

पढ़ें: सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान के जरिए मातृ और शिशु मृत्यु दर हुई कम

जिला स्तर पर मॉनिटरिंग : बीकानेर में जिला प्रशासन की ओर से लगातार इसको लेकर मॉनिटरिंग की जा रही है और उसी का परिणाम सामने आ रहा है. पूर्व में प्रतिमाह 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जाता था, जिसे बढ़ाते हुए हर माह 9, 18 तथा 27 तारीख को अभियान के तहत गर्भवतियों की प्रसव पूर्व जांच चिकित्सक द्वारा की जाती है. इसके चलते हाई रिस्क प्रेग्नेंट महिलाओं की अलग से सूची तैयार हो जाती है और उनके सुरक्षित प्रसव का प्रबंधन व योजना भी इस अभियान के अंतर्गत बनाई जाती है. डॉ गुप्ता ने बताया कि हाल ही में बीकानेर में नवाचार करते हुए समस्त जनता क्लीनिक पर भी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन शुरू किया गया है.

एनीमिया मुक्त अभियान ने बढ़ाया हीमोग्लोबिन : डॉ गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार के एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के अंतर्गत किशोरियों व गर्भवतियों के हीमोग्लोबिन स्तर को ऊपर लाने के लिए बेहतरीन प्रयास हुए हैं. इसका परिणाम यह रहा कि गत वर्ष 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं की संख्या 4 हजार 373 थी जो वर्ष 2023-24 में घटकर मात्र 2 हजार 467 रह गई. आयरन की शक्ति के साथ गर्भवती की प्रसव के समय रिस्क की गुंजाइश भी बहुत कम हो जाती है. प्रसव के समय कॉम्प्लिकेशन से यदि रक्तस्राव अधिक भी हो जाए तो भी मातृ मृत्यु नहीं होती क्योंकि हीमोग्लोबिन का स्तर अच्छा होता है.

संस्थागत प्रसव बढ़ा, होम डिलीवरी से दूरी : जिले में वर्ष 2022-23 में 50,715 संस्थागत प्रसव हुए. वहीं 2023-24 में 52,135 संस्थागत प्रसव हुए हैं. इसी कारण घर पर प्रसव की संख्या 161 से घटकर मात्र 8 रह गई. सुरक्षित संस्थागत प्रसव ने मातृ मृत्यु दर को नीचे लाने में बड़ा योगदान दिया है.

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