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बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर फैसला सुरक्षित - WOMEN WRESTLERS HARASSMENT CASE - WOMEN WRESTLERS HARASSMENT CASE

Women Wrestlers Case: राउज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों से कथित यौन उत्पीड़न के मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले में अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी.

बृजभूषण शरण सिंह
बृजभूषण शरण सिंह
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 4, 2024, 7:15 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के मामले में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 18 अप्रैल को फैसला सुनाने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने 27 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुन ली थी. 27 फरवरी को दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि अगर हम चाहते तो आरोपियों के खिलाफ छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर सकते थे, लेकिन इससे ट्रायल में देरी होती. इसका विरोध करते हुए बृजभूषण सिंह के वकील ने कहा था कि अगर आरोपों में निरंतरता नहीं है तो अलग-अलग आरोपों में एक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती.

बृजभूषण सिंह की ओर से इस मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की गई थी. बृजभूषण की तरफ से कहा गया था कि अपराध की सूचना देने में काफी देरी की गई. उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है. सिंह की ओर से कहा गया था कि टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है.

बता दें, 23 जनवरी को महिला पहलवानों की ओर से ओवरसाइट कमेटी के गठन और उसकी जांच पर सवाल उठाया गया था. महिला पहलावानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट के प्रावधानों के अनुरुप नहीं किया गया था. ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है. ऐसे में इस कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

रेबेका जॉन ने कहा था कि मंगोलिया में कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ की गई. अप्रैल 2016 में मंगोलिया के एक होटल के डाइनिंग हॉल में आरोपी ने पीड़िता को छुआ और अपना हाथ उसके पेट पर ले गया. जबकि, स्वर्ण पदक जीतने के बाद अगस्त 2018 में जकार्ता में गले मिले. वहीं, 2019 में कजाकिस्तान में उसकी सांस चेक करने के बहाने छेड़छाड़ की. जॉन ने कहा कि फरवरी 2022 में बुल्गारिया में भी महिला पहलवान की सांस चेक करने के बहाने छेड़छाड़ की गई.

हालांकि, दिल्ली पुलिस ने 6 जनवरी को सुनवाई के दौरान कहा था कि इस मामले का क्षेत्राधिकार इसी कोर्ट का बनता है. इसके पहले दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण पर आरोप लगाया था कि उसने महिला पहलवानों को धमकाते हुए मुंह बंद रखने को कहा था. दिल्ली पुलिस ने एक पुरुष पहलवान के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि इस मामले के सह आरोपी विनोद तोमर के दफ्तर में केवल महिलाओं को ही प्रवेश करने की इजाजत थी.

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 188 तभी लागू होगी जब संपूर्ण अपराध भारत के बाहर किया गया हो. इस मामले में अपराध इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में भी हुआ है. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपराध में उद्देश्य की समानता के आधार पर यह तर्क भी स्वीकार्य नहीं किया जा सकता कि यह अपराध एक सतत अपराध नहीं है. जहां तक सजा की अवधि का सवाल है तो तीन साल से अधिक की सजा वाले अपराध के लिए मुकदमा चलाने पर कोई रोक नहीं है. इस मामले में पांच साल की सजा का प्रावधान है.

कोर्ट ने 20 जुलाई 2023 को बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपी विनोद तोमर को जमानत दी थी. 7 जुलाई 2023 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 15 जून 2023 को दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों के मामले में भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 18 अप्रैल को फैसला सुनाने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने 27 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुन ली थी. 27 फरवरी को दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि अगर हम चाहते तो आरोपियों के खिलाफ छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर सकते थे, लेकिन इससे ट्रायल में देरी होती. इसका विरोध करते हुए बृजभूषण सिंह के वकील ने कहा था कि अगर आरोपों में निरंतरता नहीं है तो अलग-अलग आरोपों में एक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती.

बृजभूषण सिंह की ओर से इस मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की गई थी. बृजभूषण की तरफ से कहा गया था कि अपराध की सूचना देने में काफी देरी की गई. उन्होंने कहा था कि शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है. सिंह की ओर से कहा गया था कि टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है.

बता दें, 23 जनवरी को महिला पहलवानों की ओर से ओवरसाइट कमेटी के गठन और उसकी जांच पर सवाल उठाया गया था. महिला पहलावानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट के प्रावधानों के अनुरुप नहीं किया गया था. ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है. ऐसे में इस कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

रेबेका जॉन ने कहा था कि मंगोलिया में कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान महिला पहलवानों के साथ छेड़छाड़ की गई. अप्रैल 2016 में मंगोलिया के एक होटल के डाइनिंग हॉल में आरोपी ने पीड़िता को छुआ और अपना हाथ उसके पेट पर ले गया. जबकि, स्वर्ण पदक जीतने के बाद अगस्त 2018 में जकार्ता में गले मिले. वहीं, 2019 में कजाकिस्तान में उसकी सांस चेक करने के बहाने छेड़छाड़ की. जॉन ने कहा कि फरवरी 2022 में बुल्गारिया में भी महिला पहलवान की सांस चेक करने के बहाने छेड़छाड़ की गई.

हालांकि, दिल्ली पुलिस ने 6 जनवरी को सुनवाई के दौरान कहा था कि इस मामले का क्षेत्राधिकार इसी कोर्ट का बनता है. इसके पहले दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण पर आरोप लगाया था कि उसने महिला पहलवानों को धमकाते हुए मुंह बंद रखने को कहा था. दिल्ली पुलिस ने एक पुरुष पहलवान के बयान का हवाला देते हुए कहा था कि इस मामले के सह आरोपी विनोद तोमर के दफ्तर में केवल महिलाओं को ही प्रवेश करने की इजाजत थी.

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 188 तभी लागू होगी जब संपूर्ण अपराध भारत के बाहर किया गया हो. इस मामले में अपराध इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में भी हुआ है. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अपराध में उद्देश्य की समानता के आधार पर यह तर्क भी स्वीकार्य नहीं किया जा सकता कि यह अपराध एक सतत अपराध नहीं है. जहां तक सजा की अवधि का सवाल है तो तीन साल से अधिक की सजा वाले अपराध के लिए मुकदमा चलाने पर कोई रोक नहीं है. इस मामले में पांच साल की सजा का प्रावधान है.

कोर्ट ने 20 जुलाई 2023 को बृजभूषण शरण सिंह और सह आरोपी विनोद तोमर को जमानत दी थी. 7 जुलाई 2023 को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था. 15 जून 2023 को दिल्ली पुलिस ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 354डी, 354ए और 506 (1) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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