पटनाः संपूर्ण क्रांति के नायक जयप्रकाश नारायण की आज जयंती मनायी जा रही है. इस मौके पर जेपी के बारे में ऐसी सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं जिससे आज के नेताओं को सीख लेनी चाहिए. आज के नेता सत्ता के लिए राजनीतिक करते हैं लेकिन जेपी एक ऐसा नेता थे जिन्होंने कभी भी सत्ता को चिमटा से बी नहीं छूआ. आज भी ऐसे जेपी के लिए बिहार इंतजार कर रहा है.
सिताब दियारा में जन्मः 11 अक्टूबर 1902 का समय था. बिहार के सिताब दियारा में जयप्रकाश नारायण का जन्म हुआ था. जेपी काफी गरीब परिवार से थे. इनकी परिवार का जीवन सादगी भरा था. इसी सादगी को जेपी ने भी अपनाया और अपने जीवन में कभी भी सत्ता को गले से नहीं लगाया. आंदोलन के जरिए संपूर्ण क्रांति का सपना देखने वाले जेपी आज भी प्रासंगिक हैं.
कम उम्र में उपन्यास पढ़े: जयप्रकाश नारायण का जन्म मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. पिता हरशु दयाला और माता का नाम फुल रानी देवी था. जयप्रकाश नारायण के पिता स्टेट गवर्नमेंट के कैनाल विभाग में कार्यरत थे. 9 साल की उम्र में जेपी पटना आ गए थे. सातवीं कक्षा में उनका नामांकन हुआ था. बचपन में ही मैथिलीशरण गुप्त और भारतेंदु हरिश्चंद्र जैसे बड़े लेखकों की रचना को पढ़ाना शुरू कर दिया था. जेपी ने 1918 में बोर्ड परीक्षा पास की और अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त की.
18 साल की उम्र में शादीः अक्टूबर 1920 में जयप्रकाश नारायण वैवाहिक सूत्र में बंद गए. इनका विवाह बृज किशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती देवी के साथ हुआ था. जयप्रकाश नारायण की आयु उस समय 18 साल और प्रभावती देवी की आयु 14 वर्ष की थी. प्रभावती देवी महात्मा गांधी के आमंत्रण पर आश्रम चली गई और जेपीपटना में कार्यरत थे. इस कारण से वह पत्नी के साथ नहीं रह सके.
आजाद से प्रेरित थे जेपीः 1920 में महात्मा गांधी ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किए गए रोलेट एक्ट के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे. इसी आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के भाषण को सुना था. मौलाना आजाद ने लोगों से अंग्रेजी हुकूमत की शिक्षा को त्यागने को कहा मौलाना के तर्कों से जय प्रकाश नारायण प्रभावित हुए. पटना लौटकर परीक्षा के 20 दिन पहले इन्होंने कॉलेज छोड़ दिया.
पढ़ाई के लिए अमेरिका तक गएः बाद में जयप्रकाश नारायण ने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा स्थापित कॉलेज बिहार विद्यापीठ में अपना नामांकन कराया. जयप्रकाश संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में पढ़ाई करने के सपने देखे थे. उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए महज 20 वर्ष की उम्र में जानूस नाम के अमेरिका जाने वाली एक कार्गो शिप में सवार होने का फैसला लिया और अमेरिका के लिए रवाना हो गए.
होटल में बर्तन भी धोयाः 8 अक्टूबर 1922 को जयप्रकाश कैलिफोर्निया पहुंच गए. जनवरी 1927 में इन्हें बर्कले में दाखिला प्राप्त हुआ. उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए जेपी को आर्थिक सहायता प्राप्त नहीं थी. इस वजह से उन्होंने कभी मिल की फैक्ट्री में तो कभी होटल में बर्तन धोने का काम किया. जेपी ने गेराज में गाड़ी बनाने का काम भी विदेश में रहकर किया. सोशलॉजी विषय पर जेपी ने सोशल वेरिएशन शोध पत्र लिखा तो उसकी खूब सराहना हुई.
राजनीति में एंट्रीः वर्ष 1929 में जयप्रकाश नारायण उच्च शिक्षा हासिल कर अमेरिका से भारत लौट आए. महात्मा गांधी को जेपी ने अपना राजनीतिक गुरु बनाया और लगातार उनसे सीखते रहे. 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने जेपी को जेल में डाल दिया. नासिक जेल में उनकी मुलाकात राम मनोहर लोहिया जैसे शख्सियत से हुई. इसी समय कांग्रेस में वामपंथी दल का निर्माण हुआ जिसे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी कहा गया आचार्य नरेंद्र देव अध्यक्ष हुए और जयप्रकाश नारायण महासचिव चुने गए.
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' : जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन चलाया. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. लोकनायक शब्द को जेपी ने चरितार्थ भी किया. संपूर्ण क्रांति का नारा भी दिया. 5 जून 1974 को विशाल सभा में पहली बार 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है'. का नारा दिया था.
रामधारी सिंह दिनकर भी दिए साथः ऐतिहासिक संपूर्ण क्रांति से प्रभावित होकर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने ये नारा दिया था. दिनकर की कविता का असर जन मानस में व्यापक था. महान कवि दिनकर ने भी आंदोलन को समर्थन दिया था, हालांकि वह जेपी के साथ किसी मंच पर नहीं आए, फिर भी आंदोलन को अपने कलम की धार के जरिए ताकत दी.
संपूर्ण क्रांति के जनक: भारतीय इतिहास में यह क्रांति एक अहम मुकाम रखती है. राजनीतिक विचारक जय प्रकाश नारायण ने छात्रों के बीच तत्कालीन व्यवस्था और सरकार के खिलाफ आंदोलन की ऐसी मशाल जलाई कि उसकी चिंगारी पूरे देश में फैल गई. जेपी ने संपूर्ण क्रांति की विचारधारा से छात्र आंदोलन को एक जन आंदोलन में बदल दिया.
कैसे होगा बिहार का विकासः अपने ही देश की सरकारी व्यवस्था के खिलाफ शुरू किया गया यह पहला अनोखा आंदोलन था, जिसे देश और दुनिया ने हाथों हाथ लिया. जेपी आंदोलन के गवाह बने राजनीतिक विशेषज्ञ और चिंतक प्रेम कुमार मणि कहते हैं कि जेपी ने राजनीति के उच्च प्रतिमान स्थापित किया जयप्रकाश नारायण के रस बताएं रास्तों पर चलकर ही बिहार जैसे राज्य का विकास हो सकता है.
"जयप्रकाश नारायण ने सप्त क्रांति के जरिए बिहार में बदलाव का सपना देखा था. शिक्षा में सुधार, भ्रष्टाचार और राजनीति में सच्चरित्रता उनके मंत्र थे. आज की तारीख में नेता जेपी की राह से भटक गए हैं. ऐसे नेता को जेपी से सीखना चाहिए." -प्रेम कुमार मणि, राजनीतिक विशेषज्ञ
राह से भटक रहे बिहार के नेताः डॉ संजय कुमार कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण की जीवन शैली आज भी बिहार वासियों को प्रेरणा देती है. जयप्रकाश नारायण सादगी के प्रति मूर्ति थे. जीवन चरित्र यह बताते हैं कि समाज सेवा बगैर सत्ता के भी हो सकता है. जयप्रकाश नारायण ने कभी भी सत्ता को गले नहीं लगाया. जयप्रकाश भली ही दुनिया में नहीं है लेकिन उनके बताए गए रास्ते और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं.
"बिहार के नेताओं ने भी जयप्रकाश को भुला दिया है. पुण्यतिथि और जयंती के मौके पर माल्यार्पण जरूर करते हैं लेकिन जेपी के सपनों का बिहार कैसे बने इसे लेकर गंभीरता किसी भी नेता में नहीं दिखती है." -डॉ संजय कुमार
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