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Rajasthan: कोटा में बिक रहे जानलेवा प्रसाद, खाने से कैंसर का खतरा, 90 फीसदी नमूने फेल - KOTA DEADLY PRASAD

कोटा में मंदिरों के बाहर से लिए गए प्रसादों के सैंपल हुए फेल. सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई.

KOTA DEADLY PRASAD
कोटा में बिक रहे जानलेवा प्रसाद (Etv Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 17, 2024, 9:24 PM IST

कोटा : तिरुपति मंदिर के प्रसाद में गड़बड़झाले का मामला सामने आया था. उसके बाद पूरे देश के मंदिरों के बाहर बिकने वाले प्रसाद की जांच की गई. इसी के तहत कोटा में भी मंदिर के बाहर बिकने वाले प्रसाद के नूमने लेकर उसकी जांच की गई थी. वहीं, खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने अब चौंकाने वाला खुलासा किया है. सामने आए जांच रिपोर्ट के मुताबिक 90 फीसदी नमूने फेल पाए गए. साथ ही सभी नमूने अनसेफ कैटेगरी में मिले हैं. इन मामलों में न्यायालय में केस फाइल किया जाता है. अनसेफ कैटेगरी का मतलब है कि ये प्रसाद बिल्कुल भी खाने योग्य नहीं थे. दूसरी तरफ चिकित्सकों की मानें तो इन प्रसादों को खाने से ब्रेन, लिवर और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.

कोटा के फूड सेफ्टी ऑफिसर चंद्रवीर सिंह जादौन ने बताया कि उन्होंने संदीप अग्रवाल और नितेश गौतम के साथ मिलकर तिरुपति मंदिर की कंट्रोवर्सी के बाद कोटा में भी सैंपल लिए थे. ये सैंपल उन्होंने मथुराधीश मंदिर, गोदावरी धाम और खड़े गणेश जी मंदिर के बाहर से लिए थे. उनके लिए गए 10 सैंपल, जिसमें बूंदी के लड्डू, मिल्क केक और बेसन के लड्डू शामिल थे. उन्हें जांच के लिए खाद सुरक्षा लेबोरेटरी में भेजा गया था. अभी रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी है. फिलहाल तक आठ की रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है. इनमें केवल एक नमूना पास हुआ है, जबकि शेष सात अनसेफ कैटेगरी में पाए गए हैं. ऐसे में अब इन सभी दुकान मालिकों के खिलाफ विभाग कोर्ट में चालान पेश करने की तैयारी कर रहा है.

प्रसाद से कैंसर का खतरा (ETV BHARAT KOTA)

इसे भी पढ़ें - तिरुपति प्रसाद विवाद पर SC बोली- नई SIT करेगी जांच - SC On Tirupati Laddu Row

इनके नमूने हुए फेल : फूड सेफ्टी ऑफिसर संदीप अग्रवाल ने बताया कि गोदावरी धाम के सामने स्थित जैन मिष्ठान भंडार से मिल्क केक का नमूना लिया गया था. ये दूध, घी और चीनी से बना हुआ बताया गया था. इसमें दूध की जगह अन्य तरह की भी फैट मिली थी. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि इसको बनाने में पाम ऑयल का इस्तेमाल किया गया. इसी तरह से शेष 6 नमूने खड़े गणेश जी मंदिर गणेश नगर के बाहर स्थित दुकानों से लिए गए थे. इसमें बूंदी के लड्डू और बेसन के लड्डू शामिल थे, जिनको बनाने में वनस्पति घी, चीनी, बेसन के साथ ही कलर का इस्तेमाल किया गया था. वहीं, कुछ में फूड एडेड कलर की मात्रा बहुत अधिक पाए जाने की बात सामने आई, जिनमें जय मां फलोदी, अग्रवाल, हाड़ा, जैन और अग्रवाल मिष्ठान भंडार शामिल रहे.

बढ़ाई गई मॉनिटरिंग, दुकान मालिकों को हिदायत : फूड सेफ्टी ऑफिसर नितेश गौतम ने बताया कि लगातार मंदिरों के बाहर मॉनिटरिंग की जा रही है, क्योंकि ये पूरा मसला आस्था से जुड़ा है. साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है. ऐसे में प्रसाद की गुणवत्ता बनी रहे और पूरी तरह से शुद्ध हो इसके लिए सरकार भी प्रयासरत हैं. नितेश गौतम ने बताया कि कोटा में तीन ही बड़े मंदिर हैं, इसलिए आसपास के दुकानदारों को हिदायत दी गई है.

गौतम ने आगे बताया कि मेटानिल येलो एक कलरिंग कार्बनिक सोडियम साल्ट है. ये जहर की तरह काम करता है. इसकी वजह से ब्रेन, लिवर से लेकर कैंसर तक की बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा मिलावटी पदार्थ का अधिक सेवन करने से पेट संबंधी कई रोग होते हैं. लगातार इस तरह की चीजों को खाने से बच्चों की ग्रोथ भी रुक जाती है.

कोटा : तिरुपति मंदिर के प्रसाद में गड़बड़झाले का मामला सामने आया था. उसके बाद पूरे देश के मंदिरों के बाहर बिकने वाले प्रसाद की जांच की गई. इसी के तहत कोटा में भी मंदिर के बाहर बिकने वाले प्रसाद के नूमने लेकर उसकी जांच की गई थी. वहीं, खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने अब चौंकाने वाला खुलासा किया है. सामने आए जांच रिपोर्ट के मुताबिक 90 फीसदी नमूने फेल पाए गए. साथ ही सभी नमूने अनसेफ कैटेगरी में मिले हैं. इन मामलों में न्यायालय में केस फाइल किया जाता है. अनसेफ कैटेगरी का मतलब है कि ये प्रसाद बिल्कुल भी खाने योग्य नहीं थे. दूसरी तरफ चिकित्सकों की मानें तो इन प्रसादों को खाने से ब्रेन, लिवर और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.

कोटा के फूड सेफ्टी ऑफिसर चंद्रवीर सिंह जादौन ने बताया कि उन्होंने संदीप अग्रवाल और नितेश गौतम के साथ मिलकर तिरुपति मंदिर की कंट्रोवर्सी के बाद कोटा में भी सैंपल लिए थे. ये सैंपल उन्होंने मथुराधीश मंदिर, गोदावरी धाम और खड़े गणेश जी मंदिर के बाहर से लिए थे. उनके लिए गए 10 सैंपल, जिसमें बूंदी के लड्डू, मिल्क केक और बेसन के लड्डू शामिल थे. उन्हें जांच के लिए खाद सुरक्षा लेबोरेटरी में भेजा गया था. अभी रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी है. फिलहाल तक आठ की रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है. इनमें केवल एक नमूना पास हुआ है, जबकि शेष सात अनसेफ कैटेगरी में पाए गए हैं. ऐसे में अब इन सभी दुकान मालिकों के खिलाफ विभाग कोर्ट में चालान पेश करने की तैयारी कर रहा है.

प्रसाद से कैंसर का खतरा (ETV BHARAT KOTA)

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इनके नमूने हुए फेल : फूड सेफ्टी ऑफिसर संदीप अग्रवाल ने बताया कि गोदावरी धाम के सामने स्थित जैन मिष्ठान भंडार से मिल्क केक का नमूना लिया गया था. ये दूध, घी और चीनी से बना हुआ बताया गया था. इसमें दूध की जगह अन्य तरह की भी फैट मिली थी. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि इसको बनाने में पाम ऑयल का इस्तेमाल किया गया. इसी तरह से शेष 6 नमूने खड़े गणेश जी मंदिर गणेश नगर के बाहर स्थित दुकानों से लिए गए थे. इसमें बूंदी के लड्डू और बेसन के लड्डू शामिल थे, जिनको बनाने में वनस्पति घी, चीनी, बेसन के साथ ही कलर का इस्तेमाल किया गया था. वहीं, कुछ में फूड एडेड कलर की मात्रा बहुत अधिक पाए जाने की बात सामने आई, जिनमें जय मां फलोदी, अग्रवाल, हाड़ा, जैन और अग्रवाल मिष्ठान भंडार शामिल रहे.

बढ़ाई गई मॉनिटरिंग, दुकान मालिकों को हिदायत : फूड सेफ्टी ऑफिसर नितेश गौतम ने बताया कि लगातार मंदिरों के बाहर मॉनिटरिंग की जा रही है, क्योंकि ये पूरा मसला आस्था से जुड़ा है. साथ ही बड़ी संख्या में लोगों को प्रसाद वितरित किया जाता है. ऐसे में प्रसाद की गुणवत्ता बनी रहे और पूरी तरह से शुद्ध हो इसके लिए सरकार भी प्रयासरत हैं. नितेश गौतम ने बताया कि कोटा में तीन ही बड़े मंदिर हैं, इसलिए आसपास के दुकानदारों को हिदायत दी गई है.

गौतम ने आगे बताया कि मेटानिल येलो एक कलरिंग कार्बनिक सोडियम साल्ट है. ये जहर की तरह काम करता है. इसकी वजह से ब्रेन, लिवर से लेकर कैंसर तक की बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा मिलावटी पदार्थ का अधिक सेवन करने से पेट संबंधी कई रोग होते हैं. लगातार इस तरह की चीजों को खाने से बच्चों की ग्रोथ भी रुक जाती है.

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