कबीरधाम : पंडरिया के तालाबों का पानी प्रदूषित होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ी गई है. तालाब की सैकड़ों मछलियां मरने लगी हैं. मछलियों की मौत के बाद स्थानीय लोगों ने तालाब का पानी उपयोग करना बंद कर दिया है. गर्मी के दिनों में वैसे ही पानी की किल्लत रहती है. ऐसे में तालाब के प्रदूषित होने से लोगों की समस्या और बढ़ गई है.
घरों के गंदे पानी से दूषित हुआ तालाब: पंडरिया नगर के दुर्जाबान्द तालाब और बांधा तालाब के आसपास बस्ती है. जिसमें रहने वाले लोगों के घरों से निकलने वाला सेप्टिक टैंक और बाथरूम का गंदा पानी तालाब में जाता है. इस वजह से तालाब का पानी प्रदूषित हो गया है. अब स्थिति यह है कि तालाब की मछलियां मरने लगी हैं. गुरुवार को बड़ी संख्या में मछली मर कर तालाब के पानी की सतह पर आने लगी. यह देखकर स्थानीय लोगों में हड़कंप मच गया. लोग तालाब के पानी का उपयोग करने से डर रहे हैं.
लगातार सुख रहा तालाब: स्थानीय लोगों ने बताया, "पहले शहर में आठ से ज्यादा तालाब था. नगर के लोग नहाने, कपड़े धोने और जानवरों को पानी पिलाने के लिए इन तालाबों के पानी का उपयोग करते थे. काफी मात्रा में तालाब होने से शहर का जल स्तर भी बेहतर था. लेकिन स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते तालाब एक-एक कर सूख रहे हैं. अब शहर में सिर्फ दो ही तालाब बचे हुए है. "
"प्रदूषित होने से तालाब का पानी उपयोग करना संभव नहीं है. प्रशासन जल्द ही तालाब को बचाने कोई पहल नहीं करेगा तो बहुत जल्द यह तालाब भी अपनी अस्तित्व खो देगा. फिर नगर में एक भी तालाब नहीं बचेगा." - स्थानीय निवासी
क्या कहती है प्रशासन: वार्डवासियों की शिकायत पर पंडरिया नगर पालिका के सीएमओ शुक्रवार को मौके पर पहुंचे. पंडरिया नगर पालिका सीएमओ कोमल ठाकुर ने बताया, "तालाब में मछली मरने की सूचना पर अपनी टीम के साथ मौके पर गया था. पता चला कि तालाब के आसपास रहने वाले लोग अपने मकान का गंदा पानी तालाब में गिरा रहे हैं. इस वजह से तालाब गंदा हुआ है और मछली मरने लगी है."
"हम पहले आसपास के मकानों का सर्वे करा कर नोटिस देंगे. साथ ही तालाब में जाने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए आसपास नाली निर्माण कराया जाएगा. ताकि लोग घरों का पानी तालाब की जगह नाली में भेजे." - कोमल ठाकुर, सीएमओ, पंडरिया नगर पालिका
तेजी से घटता भूजल स्तर चिंता का विषय: कवर्धा जिले में तेजी से घटता भूजल स्तर चिंता की वजह बनी हुई है. शासन और प्रशासन के अलावा जिलेवासी पानी की समस्या को लेकर काफी चिंतित हैं. शासकीय, निजी भवनों और कार्यालयों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य है. यहां के तालाबों और नहरों को पुनर्जीवित कर बारिश के पानी को सहेजने का प्रयास किया जा रह है. लेकिन पंडरिया के नगरीय प्रशासन को इससे कोई लेना देना नहीं है.