नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में 31 जुलाई की शाम गाजीपुर इलाके में नाले में डूबने से मां-बेटे की मौत मामले में DDA ने मुआवजे पर अपनी स्थिति साफ कर दी है. डीडीए की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 31 जुलाई की गाजीपुर पेपर मार्केट के पास खुले नाले में गिरकर तनुजा उर्फ तन्वी (22) और उसके बेटे प्रियांश (3) की मौत हो गई थी. यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. डीडीए और उपराज्यपाल के बारे में इस मामले को लेकर गलत सूचनाओं का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. अलग-अलग तरह के आरोप लगा कर इस हादसे को लेकर डीडीए को दोषी ठहराया जा रहा है.
मानवीय आधार पर मुआवजा देने पर सहमत डीडीए: बयान के मुताबिक, डीडीए ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष मृतक परिवार के कानूनी उत्तराधिकारी को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने की इच्छा जाहिर की है. बिना पूर्वाग्रह के अपने अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, अपनी ओर से कोई दायित्व स्वीकार किए बिना डीडीए कानूनी उत्तराधिकारी को मुआवजा देने को सहमत है. इसके अलावा डीडीए पूरी तरह से मानवीय आधार पर मुआवजा देने पर सहमत हुआ है.
ये भी पढ़ें: गाजीपुर नाले में मां-बेटे की गिरकर मौत मामले में परिजनों को मुआजवा देने पर विचार करे डीडीएः हाईकोर्ट
डीडीए ने एक बार फिर से दोहराते हुए कहा है कि जिस खुले नाले में यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई थी वह एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में आता है. इस नाले को, 9.9 किमी सड़क के साथ, मार्च 2023 में 26.05 करोड़ रुपये के न्यूनतम शुल्क का भुगतान करके डीडीए की तरफ से एमसीडी को हस्तांतरित कर दिया गया था. डीडीए अब भी उसी रुख पर कायम है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट उसके द्वारा जारी आदेशों से प्रभावित हुए बिना अपनी कार्यवाही जारी रखेगा. डीडीए ने निराधार गलत सूचना फैलाने वाले निहित स्वार्थों को किसी भी भ्रामक बयानबाजी से बचने की सलाह दी गई है. डीडीए इस संबंध में एक राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों की ओर से लगाए गए आरोपों को स्पष्ट तौर से खारिज करता है.
ये भी पढ़ें: गाजीपुर नाले में मां-बेटे की गिरकर मौत मामले में परिजनों को 20 लाख मुआवजा दे DDA: हाईकोर्ट