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जन्म से दिव्यांग सुनीता ने चुनौतियों से जूझकर हासिल किया मुकाम, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित, इस फिल्म में आ चुकी हैं नजर

दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए दौसा की सुनीता गुप्ता को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से सम्मानित किया गया. इससे पहले भी सुनीता को जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर के करीब 80 अवार्ड मिल चुके हैं. जानिए कैसे जन्म से ही दिव्यांग सुनीता ने अपने हौसले से हासिल किया ये मुकाम.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 30, 2024, 7:01 PM IST

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता

दौसा. दिव्यांगता को अभिशाप समझने वाले लोगों के लिए दौसा जिले की सुनीता गुप्ता प्रेरणा बनकर उभरीं हैं. 70 प्रतिशत डिसेबल होने के बाद भी सुनीता गुप्ता ने अपने जीवन में आने वाली हर परेशानी को चुनौती के रूप में लिया और लगातार सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ती चली गईं. इसी का नतीजा है कि सुनीता गुप्ता ने दौसा रत्न सहित जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के करीब 80 अवॉर्ड अपने नाम किए हैं. इसी के साथ उन्हें 3 दिसंबर को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इससे पहले सुक्ष्म एवं लघु उद्योग MSME- 2022 दिव्यांग श्रेणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सुनीता गुप्ता को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

जन्म से ही दिव्यांग हैं सुनीता, पति भी दिव्यांग : ईटीवी भारत से खास बातचीत में सुनीता गुप्ता ने बताया कि वो जन्म से ही दिव्यांग थीं. 1992 में दौसा के गिर्राज प्रसाद गुप्ता से उनकी शादी हुई. बता दें कि सुनीता गुप्ता के पति गिर्राज प्रसाद भी 60 प्रतिशत डिसेबल हैं. ससुराल में भी माली हालत ठीक नहीं होने के कारण सुनीता ने पति के साथ मिलकर 2007 में ज्वेलरी का काम शुरू किया. सुनीता ने बताया कि इस दौरान कच्चा माल लाकर, घर में ही उसे राजस्थानी लुक दिया जाता था, लेकिन दिमाग में एक ही ख्याल रहता था कि जो माल तैयार किया है उसे बाहर कैसे ले जाया जाए?.

पढ़ें. Special : मिलिए जयपुर की मनभर से...बाल विवाह की बेड़ियां तोड़ लिखी सफलता की कहानी, अब बच्चियों को बना रही सशक्त

भारत सरकार से 50 हजार का लोन लिया : सुनीता ने बताया कि इसके बाद "मैंने सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार से 50 हजार का लोन लिया. इसके बाद सरकार की ओर से एग्जीबिशन में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाता था. यहां इंटरनेशनल एग्जीबिशन भी लगते थे. ऐसे में मैंने 1 से 10 लाख रुपए तक का लोन लिया और अपने कार्य को धीरे-धीरे आगे बढ़ाती रही."

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता
पीएम मोदी से मुलाकात करती राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता.

एक फिल्म में भी मिला रोल: उन्होंने बताया कि वो हर साल देश सहित विदेशों में भी लगने वाली नेशनल और इंटरनेशनल एग्जीबिशन में हिस्सा लेती थीं. एग्जीबिशन में 100 स्टॉल लगती थी, जिसमें प्रथम पुरस्कार मिलता था. इसी के चलते "मुझे 2022 में सांसद हेमा मालिनी की ओर से भी पुरस्कार दिया गया था. सुनीता ने बताया कि एग्जीबिशन के दौरान मैं दिल्ली के कनॉट पैलेस में आयोजित एग्जीबिशन में शामिल होने गई थी, जहां विक्की डॉनर के हीरो आयुष्मान खुराना ने अपनी फिल्म में रोल प्ले करने का ऑफर दिया था. विक्की डॉनर फिल्म में सुनीता ने एक छोटा सा रोल प्ले किया था."

पढ़ें. बॉडी बिल्डर प्रिया मेघवाल, हुनर और हौसले की जिंदा मिसाल...लोगों ने मारे ताने फिर भी हार न मानी

3 दिसंबर को राष्ट्रपति से मिला अवॉर्ड : सुनीता गुप्ता ने आगे बताया कि 3 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग श्रेणी में उन्हें प्रथम पुरस्कार दिया गया था. इसके बाद 26 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में मिलने के लिए बुलाया गया था. उन्होंने 26 जनवरी के बेहतरीन पल के बारे में बताया कि "मुझे राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण आया कि 26 जनवरी को 4 बजे राष्ट्रपति भवन पहुंचना है. उस समय मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं कोई सपना देख रही हूं. जब मैं वहां गई तो मुझसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति ने बात करते हुए और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. ये पल मेरी जिंदगी का सबसे सुनहरा पल था." बता दें कि सुनीता गुप्ता और उनके पति गिर्राज प्रसाद गुप्ता खुद 10वीं क्लास तक ही पढ़ पाए हैं, लेकिन उन्होंने अपनी बड़ी पारुल खंडेलवाल को एमबीए की शिक्षा दिलाई. वहीं, छोटी बेटी कनिका को बीएससी की डिग्री हासिल करवाई है.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता

दौसा. दिव्यांगता को अभिशाप समझने वाले लोगों के लिए दौसा जिले की सुनीता गुप्ता प्रेरणा बनकर उभरीं हैं. 70 प्रतिशत डिसेबल होने के बाद भी सुनीता गुप्ता ने अपने जीवन में आने वाली हर परेशानी को चुनौती के रूप में लिया और लगातार सफलता के रास्ते पर आगे बढ़ती चली गईं. इसी का नतीजा है कि सुनीता गुप्ता ने दौसा रत्न सहित जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के करीब 80 अवॉर्ड अपने नाम किए हैं. इसी के साथ उन्हें 3 दिसंबर को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से दिव्यांगजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इससे पहले सुक्ष्म एवं लघु उद्योग MSME- 2022 दिव्यांग श्रेणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से सुनीता गुप्ता को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

जन्म से ही दिव्यांग हैं सुनीता, पति भी दिव्यांग : ईटीवी भारत से खास बातचीत में सुनीता गुप्ता ने बताया कि वो जन्म से ही दिव्यांग थीं. 1992 में दौसा के गिर्राज प्रसाद गुप्ता से उनकी शादी हुई. बता दें कि सुनीता गुप्ता के पति गिर्राज प्रसाद भी 60 प्रतिशत डिसेबल हैं. ससुराल में भी माली हालत ठीक नहीं होने के कारण सुनीता ने पति के साथ मिलकर 2007 में ज्वेलरी का काम शुरू किया. सुनीता ने बताया कि इस दौरान कच्चा माल लाकर, घर में ही उसे राजस्थानी लुक दिया जाता था, लेकिन दिमाग में एक ही ख्याल रहता था कि जो माल तैयार किया है उसे बाहर कैसे ले जाया जाए?.

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भारत सरकार से 50 हजार का लोन लिया : सुनीता ने बताया कि इसके बाद "मैंने सामाजिक न्याय मंत्रालय भारत सरकार से 50 हजार का लोन लिया. इसके बाद सरकार की ओर से एग्जीबिशन में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाता था. यहां इंटरनेशनल एग्जीबिशन भी लगते थे. ऐसे में मैंने 1 से 10 लाख रुपए तक का लोन लिया और अपने कार्य को धीरे-धीरे आगे बढ़ाती रही."

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता
पीएम मोदी से मुलाकात करती राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुनीता गुप्ता.

एक फिल्म में भी मिला रोल: उन्होंने बताया कि वो हर साल देश सहित विदेशों में भी लगने वाली नेशनल और इंटरनेशनल एग्जीबिशन में हिस्सा लेती थीं. एग्जीबिशन में 100 स्टॉल लगती थी, जिसमें प्रथम पुरस्कार मिलता था. इसी के चलते "मुझे 2022 में सांसद हेमा मालिनी की ओर से भी पुरस्कार दिया गया था. सुनीता ने बताया कि एग्जीबिशन के दौरान मैं दिल्ली के कनॉट पैलेस में आयोजित एग्जीबिशन में शामिल होने गई थी, जहां विक्की डॉनर के हीरो आयुष्मान खुराना ने अपनी फिल्म में रोल प्ले करने का ऑफर दिया था. विक्की डॉनर फिल्म में सुनीता ने एक छोटा सा रोल प्ले किया था."

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3 दिसंबर को राष्ट्रपति से मिला अवॉर्ड : सुनीता गुप्ता ने आगे बताया कि 3 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग श्रेणी में उन्हें प्रथम पुरस्कार दिया गया था. इसके बाद 26 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में मिलने के लिए बुलाया गया था. उन्होंने 26 जनवरी के बेहतरीन पल के बारे में बताया कि "मुझे राष्ट्रपति भवन से निमंत्रण आया कि 26 जनवरी को 4 बजे राष्ट्रपति भवन पहुंचना है. उस समय मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं कोई सपना देख रही हूं. जब मैं वहां गई तो मुझसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति ने बात करते हुए और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. ये पल मेरी जिंदगी का सबसे सुनहरा पल था." बता दें कि सुनीता गुप्ता और उनके पति गिर्राज प्रसाद गुप्ता खुद 10वीं क्लास तक ही पढ़ पाए हैं, लेकिन उन्होंने अपनी बड़ी पारुल खंडेलवाल को एमबीए की शिक्षा दिलाई. वहीं, छोटी बेटी कनिका को बीएससी की डिग्री हासिल करवाई है.

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