ETV Bharat / state

दंतेवाड़ा में बसंत पंचमी पर त्रिशूल स्थापना के साथ मेला मड़ई का हुआ आगाज - DANTEWADA MADAI MELA

बस्तर में मेला मड़ई का बड़ा धार्मिक महत्व है.

Dantewada Madai Mela
दंतेवाड़ा में बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 2, 2025, 9:00 PM IST

Updated : Feb 2, 2025, 9:06 PM IST

दंतेवाड़ा: मां दंतेश्वरी को बस्तर की आराध्य देवी माना जाता है. देश और दुनिया के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी का मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि मां दंतेश्ववरी का एक दांत दंतेवाड़ा में गिरा था. मां का एक दांत यहां गिरा था इसी वजह से इस जगह नाम दंतेश्वरी पड़ा. बस्तर की परंपरा के मुताबिक आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की बसंत पंचमी पर विशेष पूजा अर्चना होती है. बसंत पंचमी के दिन से मेला मड़ई की शुरुआत होती है. एक महीने पहले से मेला मड़ई की तैयारियां पुजारी शुरु कर देते हैं. रविवार को पूरे विधि विधान से बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना की गई.

बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना: बसंत पंचमी के अवसर पर बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी माता की विशेष पूजा अर्चना की गई. दंतेश्वरी मंदिर के 12 लंकवार, सेवादार और पुजारी ने मिलकर बेलपत्र, आम के फूलों से मां दंतेश्वरी की पूजा की. भक्तों ने इस मौके पर मां से बस्तर की सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. सुबह 10:00 मंदिर प्रांगण में में त्रिशूल की पूजा कर उसे स्थापित किया गया.

दंतेवाड़ा में बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना (ETV Bharat)

पुलिस ने दी सलामी: पूजा के बाद माता के छत्र को पुलिस के जवानों ने सलामी दी. शाम 3:00 बजे धूमधाम से ढोलबाजों के साथ माता के छत्र को नगर भ्रमण कराया गया. जगह जगह पर नगरवासियों ने मां की आरती की और उनका आशीर्वाद लिया. नगर भ्रमण के बाद छत्र को वापस मंदिर लाया गया. यह परंपरा 800 सालों से लगातार चली आ रही है. ये परंपरा मां दंतेश्वरी मंदिर के सेवादारों और 12 लंकावारों के सहयोग से निभाई जाती है.

क्या है परंपरा: मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जिया ने बताया कि बस्तर की आराधना देवी मां दंतेश्वरी कि यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है जिसे मंदिर कमेटी के द्वारा आज भी निभाया जा रहा है. त्रिशूल स्तंभ में रोज शिवरात्रि तक दीपक जलाया जाता है और महाशिवरात्रि के बाद से मेला मड़ई का आगाज हो जाता है. जो हर गांव में धूमधाम से मनाया जाता है. इसके बाद मां दंतेश्वरी के धाम में 9 दिनों का मेला लगता है जो विश्व प्रसिद्ध है.

9 दिनों तक चलता है मेला: 9 दिन तक चलने वाले मेले के लिए 504 गांव के देवी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है. 9 दिनों तक मेला चलता है. जिसमें बस्तर की परंपरा के अनुसार 9 दिनों तक माता के अलग-अलग स्वरूपों में मां दंतेश्वरी का छात्र नगर भ्रमण कराया जाता है और हर रस्म निभाई जाती है जिसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक दंतेवाड़ा पहुंचते हैं. दसवें दिन विधि-विधान से होलिका दहन किया जाता है. जिसके बाद दूर दराज से आए देवी-देवताओं को सम्मान भेंट कर विदाई दी जाती है.

नए साल से पहले दंतेश्वरी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, लेकिन सुविधाओं का टोटा, टेंपल कमिटी से की यह मांग
बस्तर दशहरा और मावली परघाव में शामिल होने के लिए माईजी की डोली जगदलपुर रवाना
मां दंतेश्वरी ने बुलाया भक्त घुटनों के बल चलकर आया, गृहमंत्री ने चांदी का सिक्का देकर बढ़ाया हौसला - Maa Danteshwari called devotee

दंतेवाड़ा: मां दंतेश्वरी को बस्तर की आराध्य देवी माना जाता है. देश और दुनिया के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी का मंदिर है. ऐसी मान्यता है कि मां दंतेश्ववरी का एक दांत दंतेवाड़ा में गिरा था. मां का एक दांत यहां गिरा था इसी वजह से इस जगह नाम दंतेश्वरी पड़ा. बस्तर की परंपरा के मुताबिक आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की बसंत पंचमी पर विशेष पूजा अर्चना होती है. बसंत पंचमी के दिन से मेला मड़ई की शुरुआत होती है. एक महीने पहले से मेला मड़ई की तैयारियां पुजारी शुरु कर देते हैं. रविवार को पूरे विधि विधान से बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना की गई.

बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना: बसंत पंचमी के अवसर पर बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी माता की विशेष पूजा अर्चना की गई. दंतेश्वरी मंदिर के 12 लंकवार, सेवादार और पुजारी ने मिलकर बेलपत्र, आम के फूलों से मां दंतेश्वरी की पूजा की. भक्तों ने इस मौके पर मां से बस्तर की सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. सुबह 10:00 मंदिर प्रांगण में में त्रिशूल की पूजा कर उसे स्थापित किया गया.

दंतेवाड़ा में बसंत पंचमी पर त्रिशूल की स्थापना (ETV Bharat)

पुलिस ने दी सलामी: पूजा के बाद माता के छत्र को पुलिस के जवानों ने सलामी दी. शाम 3:00 बजे धूमधाम से ढोलबाजों के साथ माता के छत्र को नगर भ्रमण कराया गया. जगह जगह पर नगरवासियों ने मां की आरती की और उनका आशीर्वाद लिया. नगर भ्रमण के बाद छत्र को वापस मंदिर लाया गया. यह परंपरा 800 सालों से लगातार चली आ रही है. ये परंपरा मां दंतेश्वरी मंदिर के सेवादारों और 12 लंकावारों के सहयोग से निभाई जाती है.

क्या है परंपरा: मंदिर के पुजारी विजेंद्र नाथ जिया ने बताया कि बस्तर की आराधना देवी मां दंतेश्वरी कि यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है जिसे मंदिर कमेटी के द्वारा आज भी निभाया जा रहा है. त्रिशूल स्तंभ में रोज शिवरात्रि तक दीपक जलाया जाता है और महाशिवरात्रि के बाद से मेला मड़ई का आगाज हो जाता है. जो हर गांव में धूमधाम से मनाया जाता है. इसके बाद मां दंतेश्वरी के धाम में 9 दिनों का मेला लगता है जो विश्व प्रसिद्ध है.

9 दिनों तक चलता है मेला: 9 दिन तक चलने वाले मेले के लिए 504 गांव के देवी देवताओं को आमंत्रित किया जाता है. 9 दिनों तक मेला चलता है. जिसमें बस्तर की परंपरा के अनुसार 9 दिनों तक माता के अलग-अलग स्वरूपों में मां दंतेश्वरी का छात्र नगर भ्रमण कराया जाता है और हर रस्म निभाई जाती है जिसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक दंतेवाड़ा पहुंचते हैं. दसवें दिन विधि-विधान से होलिका दहन किया जाता है. जिसके बाद दूर दराज से आए देवी-देवताओं को सम्मान भेंट कर विदाई दी जाती है.

नए साल से पहले दंतेश्वरी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, लेकिन सुविधाओं का टोटा, टेंपल कमिटी से की यह मांग
बस्तर दशहरा और मावली परघाव में शामिल होने के लिए माईजी की डोली जगदलपुर रवाना
मां दंतेश्वरी ने बुलाया भक्त घुटनों के बल चलकर आया, गृहमंत्री ने चांदी का सिक्का देकर बढ़ाया हौसला - Maa Danteshwari called devotee
Last Updated : Feb 2, 2025, 9:06 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.