हल्द्वानी: उत्तराखंड की लोककला, संस्कृति और विरासत की पहचान पूरे देश दुनिया में है. इनमें एक नाम कुमाऊं के अल्मोड़ा के निवासी दान सिंह फर्त्याल का भी है, जो करीब 15 सालों से कठपुतलियों के माध्यम से उत्तराखंड की लोक संस्कृति और यहां की विरासत को एक नई पहचान दिलाने का काम कर रहे हैं.
कठपुतली कलाकार दान सिंह फर्त्याल ने बताया कि जिस तरह से कठपुतली के माध्यम से राजस्थान की लोक संस्कृति जगह-जगह देखने को मिलती है. इसी को देखते हुए उन्होंने भी कठपुतली के माध्यम से उत्तराखंड के पहाड़ की लोककला और लोक संस्कृति और विरासत को सहेजने की ठानी. जिसके चलते वो कठपुलती नचा रहे हैं. इसके जरिए वो लोगों को संस्कृति के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि यहां की लोककलाओं के माध्यम से उत्तराखंड के कलाकारों ने हर जगह अपनी अलग ही छाप छोड़ी है, लेकिन इसको एक नई पहचान मिले, इसके लिए वो उत्तराखंडी कठपुतली तैयार करते आ रहे हैं. वो कठपुतलियां के माध्यम से उत्तराखंड की पारंपरिक पहनावा, कुमाऊं क्षेत्र की पारंपरिक वेशभूषा यहां के वाद्य यंत्रों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. दान सिंह फर्त्याल के कठपुतलियां सभी का मन मोह लेती हैं.
उत्तराखंड की लोककला और संस्कृति को बचाने की पहल: दान सिंह फर्त्याल ने बताया कि पिछले 15 सालों से उत्तराखंड की संस्कृति और यहां की विरासत को बचाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. जहां कठपुतली और सांस्कृतिक मंच के माध्यम से अलग-अलग शहरों में जाकर प्रदर्शनी लगाते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति और पहनावा हमेशा लोगों को याद रहे, इसके लिए वो पारंपरिक कठपुतली बना रहे हैं. ताकि, आज की पीढ़ी के बच्चे और युवा यहां की संस्कृति को भली भांति पहचान सके.
अपने हाथों से तैयार करते हैं कठपुतलियां: कठपुतली कलाकार दान सिंह फर्त्याल बताते हैं कि 15 साल पहले उन्होंने राजस्थान की पारंपरिक कठपुतलियां देखी, इसके बाद उनके मन में आइडिया आया कि क्यों न कठपुतली के माध्यम से कुमाऊं की लोककला और लोक संस्कृति को लोगों तक पहुंचा जाए. इसके बाद उन्होंने अपने हाथों से कठपुतली तैयार की. जिन्हें तैयार कर वो उत्तराखंड के साथ-साथ कई राज्यों में अपनी प्रदर्शन लगा चुके हैं. जहां उनके प्रदर्शनी को काफी सराहा जाता है.
दान सिंह फर्त्याल की पत्नी देतीं हैं बखूबी साथ: इतना ही नहीं कठपुतली प्रदर्शनी के दौरान उत्तराखंड की पारंपरिक वाद्य यंत्र के माध्यम से सांस्कृतिक कार्यक्रम को भी दिखाते हैं. जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू हो सके. दान सिंह फर्त्याल ने इन दिनों अपनी टीम के साथ हल्द्वानी में आयोजित किताब कौतिक मेले में अपने कठपुतली का प्रदर्शनी लगाया है. जहां लोग उनकी प्रदर्शनी की खूब सराहना कर रहे हैं. वहीं, पहाड़ के इस विरासत को बचाने में उनकी पत्नी पुष्पा फर्त्याल भी उनका बखूबी साथ निभाती हैं. जो सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान अपनी लोककला को दर्शाती हैं.
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