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गजब का फर्जीवाड़ा: दमोह के दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में 18 साल से नौकरी कर रहे 3 फर्जी कर्मचारी, अब हुई FIR - Damoh fraud employees - DAMOH FRAUD EMPLOYEES

दमोह के दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (DAMOH REHABILITATION CENTER) में फर्जीवाड़ा करके की गईं 3 नियुक्तियों को न्यायालय आयुक्त नि:शक्तजन ने निरस्त कर दिया है. गजब ये है कि ये तीनों कर्मचारी 18 साल से यहां पदस्थ हैं. इसके साथ ही तीनों कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर करने के निर्देश दिए हैं.

DAMOH FRAUD EMPLOYEES
18 साल से नौकरी कर रहे 3 फर्जी कर्मचारी अब हटाया (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 14, 2024, 1:53 PM IST

दमोह। सामाजिक न्याय एवं दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत संचालित दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में फर्जीवाड़े के तहत की गई नियुक्तियों को रद्द कर 45 दिन के भीतर रिक्त पदों को विधिवत भरने के आदेश दिए गए हैं. गौरतलब है कि दिव्यांग पुनर्वास केंद्र में वर्ष 2006 से फिजियोथैरेपिस्ट डॉ.रियाज कुरैशी, लेखपाल धर्मेंद्र परिहार एवं अटेंडर प्रदीप नामदेव नियम विरुद्ध तरीके से बिना नियुक्ति एवं बिना संविदा आधार के पिछले 18 वर्षों से नौकरी कर रहे थे. साथ ही वह वेतन के साथ अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे थे.

फर्जी कर्मचारियों के मामले को ETV भारत ने उठाया

इस मामले को ETV भारत ने प्रमुखता से उठाया था. इसके बाद कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने लंबित पड़ी जांच को पूरा करने के निर्देश जांच कमेटी को दिए थे. मामले की जांच आयुक्त न्यायालय नि:शक्तजन भोपाल को भेज दी गई. इसके बाद जांच प्रतिवेदन का परीक्षण करने के बाद न्यायालय ने कर्मचारियों की नियुक्तियों को अवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया है. तीनों ही आरोपित कर्मचारियों ने राहत पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि तीनों कर्मचारी नियम विरुद्ध तरीके से नौकरी कर रहे थे. 18 वर्षों से वेतन का आहरण भी कर रहे थे. जबकि संविदा अथवा नियमितीकरण से संबंधित कोई भी नियुक्ति आदेश तीनों कर्मचारियों के पास नहीं थे.

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कर्मचारियों के पास कोई भी दस्तावेज नहीं

न्यायालय ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि जब तीनों कर्मचारियों के कोई दस्तावेज विभाग में मौजूद नहीं हैं तो आखिर इतनी लंबी अवधि तक आखिर कैसे वेतन लेते रहे? क्या ये सारे मामले तत्कालीन अधिकारियों के संज्ञान में नहीं आए ? इस मामले में जांच कमेटी ने बीती 15 मई को रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी थी. तब से लेकर अभी तक तीनों कर्मचारियों ने अपने प्रभार संबंधित दूसरे कर्मचारियों को नहीं सौंपे हैं. इसके अलावा विभागों की अलमारी की चाबियां लेखपाल और फिजियोथैरेपिस्ट के पास हैं. जिसके कारण कोई दूसरे कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं.

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फर्जी कर्मचारियों के मामले को ETV भारत ने उठाया

इस मामले को ETV भारत ने प्रमुखता से उठाया था. इसके बाद कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने लंबित पड़ी जांच को पूरा करने के निर्देश जांच कमेटी को दिए थे. मामले की जांच आयुक्त न्यायालय नि:शक्तजन भोपाल को भेज दी गई. इसके बाद जांच प्रतिवेदन का परीक्षण करने के बाद न्यायालय ने कर्मचारियों की नियुक्तियों को अवैधानिक मानते हुए निरस्त कर दिया है. तीनों ही आरोपित कर्मचारियों ने राहत पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि तीनों कर्मचारी नियम विरुद्ध तरीके से नौकरी कर रहे थे. 18 वर्षों से वेतन का आहरण भी कर रहे थे. जबकि संविदा अथवा नियमितीकरण से संबंधित कोई भी नियुक्ति आदेश तीनों कर्मचारियों के पास नहीं थे.

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कर्मचारियों के पास कोई भी दस्तावेज नहीं

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