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फसलों को कातरा से खतरा, किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी, पैदावार पर पड़ेगा भारी असर - Damage to crops

डीडवाना कुचामन जिले में खरीफ की फसलों पर कातरा जीव का प्रकोप है, जो फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है. खेतों में कातरा जीव तेजी से पनप रहा है. इससे बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार, तिल आदि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है.

फसलों को कातरा से खतरा
फसलों को कातरा से खतरा (ETV Bharat Kuchmancity)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 23, 2024, 6:26 PM IST

फसलों पर कातरा का प्रकोप (ETV Bharat Kuchmancity)

कुचामनसिटी : जिले में मानसून की बरसात से किसानों को इस साल खरीफ की फसलों की बंपर पैदावार की उम्मीद जगी थी, लेकिन किसानों की इन उम्मीदों पर कातरा नाम का जीव पानी फेर रहा है. डीडवाना क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांव में कातरा कीट फसलों को चट कर रहा है. खेतों में कातरा जीव तेजी से पनप रहा है और फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. कातरा के कारण बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार, तिल आदि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. माना जा रहा है कि कातरा से फसलों को 70 से 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है.

किसान खेतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव कर कातरा कीट से फसल बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारी संख्या में कीट पैदा होने के कारण दवा के छिड़काव भी बेअसर नजर आ रहा है. खेतों में कातरा से फसलों को हो रहे नुकसान के बाद कृषि विभाग भी हरकत में आया है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कल्प वर्मा ने बताया कि खरीफ की फसलों को कातरा से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारी क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर किसानों को इस कीट के प्रबंधन के लिए जागरुक कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- फसलों की बीमारियों से निपटने और स्वास्थ्य निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक वरदान - IARI - Drone Technology for Farming

बुवाई से पहले करें प्रबंधन : बता दें कि कातरा कीट मानसून की वर्षा के साथ जमीन से निकलतें हैं. मादा पतंगे पत्तियों की निचली सतह पर समूह में पोस्त के दाने के आकार के पीले रंग के अंडे देती है, जिसे कातरा कहा जाता है. कीट की यही अवस्था फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहंचाती है. कातरा के प्रबंधन की शुरुआत फसलों की बुवाई से पूर्व मानसून की पहली वर्षा से करनी चाहिए. इसके लिए खेतों के आस-पास उगी घास, खरपतवार, बंजर या चारागाह में उगे जंगली पेड़ों पर मादा पतंगा द्वारा दिए अंडों पर कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए.

फसलों पर कातरा का प्रकोप (ETV Bharat Kuchmancity)

कुचामनसिटी : जिले में मानसून की बरसात से किसानों को इस साल खरीफ की फसलों की बंपर पैदावार की उम्मीद जगी थी, लेकिन किसानों की इन उम्मीदों पर कातरा नाम का जीव पानी फेर रहा है. डीडवाना क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांव में कातरा कीट फसलों को चट कर रहा है. खेतों में कातरा जीव तेजी से पनप रहा है और फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहा है. कातरा के कारण बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार, तिल आदि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. माना जा रहा है कि कातरा से फसलों को 70 से 80 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है.

किसान खेतों में कीटनाशक दवा का छिड़काव कर कातरा कीट से फसल बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारी संख्या में कीट पैदा होने के कारण दवा के छिड़काव भी बेअसर नजर आ रहा है. खेतों में कातरा से फसलों को हो रहे नुकसान के बाद कृषि विभाग भी हरकत में आया है. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कल्प वर्मा ने बताया कि खरीफ की फसलों को कातरा से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. इसके लिए कृषि विभाग के अधिकारी क्षेत्र के गांवों में भ्रमण कर किसानों को इस कीट के प्रबंधन के लिए जागरुक कर रहे हैं.

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बुवाई से पहले करें प्रबंधन : बता दें कि कातरा कीट मानसून की वर्षा के साथ जमीन से निकलतें हैं. मादा पतंगे पत्तियों की निचली सतह पर समूह में पोस्त के दाने के आकार के पीले रंग के अंडे देती है, जिसे कातरा कहा जाता है. कीट की यही अवस्था फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहंचाती है. कातरा के प्रबंधन की शुरुआत फसलों की बुवाई से पूर्व मानसून की पहली वर्षा से करनी चाहिए. इसके लिए खेतों के आस-पास उगी घास, खरपतवार, बंजर या चारागाह में उगे जंगली पेड़ों पर मादा पतंगा द्वारा दिए अंडों पर कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जाना चाहिए.

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