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डेयरी किसानों ने की डेयरी पॉलिसी की मांग, कहा- पूंजीपति जमीन हथियाने की रच रहे साजिश, सरकार से मांगी मदद - Dairy farmers demanded dairy policy

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 2, 2024, 1:19 PM IST

Dairy farmers demanded dairy policy: पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर डेयरी फार्म में डेयरी किसानों ने जनसभा का आयोजन किया. इस जनसभा में दिल्ली के डेयरी फार्म के किसानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. डेयरी किसानों ने आरोप लगाया कि पूंजीपति उनकी जमीन हड़पने की फिराक में है. इसलिए सरकार डेयरी पॉलिसी जल्द लागू करे अगर सरकार उनकी मांग की अनदेखी करेगी तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे.

डेयरी किसानों ने की डेयरी पॉलिसी की मांग
डेयरी किसानों ने की डेयरी पॉलिसी की मांग (ETV BHARAT REPORTER)

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर डेयरी फार्म में डेयरी किसानों ने जनसभा का आयोजन किया . इस जनसभा में दिल्ली के सभी डेयरी फार्म के किसानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. जनसभा में डेयरी किसानों ने अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी. डेयरी किसानों ने आरोप लगाया कि पूंजीपतियों के निगाह डेयरी फार्म की जमीन पर है. पूंजीपति उनकी जमीन हथियाने की साजिश रच रहे हैं. उन्हें परेशान किया जा रहा है ताकि वह अपनी जमीन छोड़ कर चले जाएं.

संतराम प्रधान ने बताया कि पूंजीपति उनकी जमीन हड़पने के फिराक में है. एनजीओ के माध्यम से उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं,अदालती कार्रवाई में उन्हें फंसाया जा रहा है. ताकि वे लोग अपनी जमीन छोड़कर भाग जाएं . संतराम प्रधान का कहना है कि सरकार भी उनका साथ नहीं दे रही है. संत राम प्रधान ने कहा कि दिल्ली में डेयरी फार्म के लिए बनाई गई पॉलिसी को लागू किया जाए. वे लोग इस पॉलिसी पर चलने को तैयार है. प्रधान ने कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह लोग बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे.


जनसभा में शामिल पूर्व निगम पार्षद राजीव चौधरी ने बताया कि सन 1972 में दिल्ली के अलग-अलग इलाके से डेयरी किसानों को गाजीपुर में बसाया गया था . 1978 में आई बाढ़ में डेयरी किसानों की सभी पूंजी बर्बाद हो गयी . इसके बाद वे लोग अपने-अपने जगह पर वापस चले गए. लेकिन सरकार ने उन्हें सभी सुविधा उपलब्ध कराने का वादा कर दोबारा वापस बुलाया. सरकार की तरफ से उन्हें सुविधा भी दी गई . मवेशियों के रहने और चारा के लिए भी जमीन उपलब्ध कराई गई. तालाब और गोबर प्लांट की व्यवस्था की गई. 926 डेयरी के साथ ही किसानों को रहने के लिए 926 फ्लैट भी दिए गए.

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लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे डेयरी फॉर्म की ज़मीन पर कब्जा शुरू हो गया . तालाब की जमीन पर स्लॉटर हाउस बनाया गया. चारे की जमीन पर डंपिंग यार्ड बनाया गया. गोबर गैस प्लांट की जगह बिजली घर बना दिया गया. इसके बाद अब एक एनजीओ के माध्यम से डेयरी किसानों पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं. राजीव चौधरी ने बताया कि डेयरी किसानों और दिल्ली की अलग-अलग सिविक एजेंसियों के साथ मिलकर दिल्ली सरकार ने एक पॉलिसी बनाई थी, लेकिन इस पॉलिसी को अब तक लागू नहीं किया गया. डेयरी किसने की मांग है कि इस पॉलिसी को लागू किया जाए

ये भी पढ़ें : दिल्ली के 5 स्टार होटल हयात रीजेंसी में शेड गिरा, लुधियाना से आए पति-पत्नी घायल, फोर्टिस अस्पताल में चल रहा इलाज

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर डेयरी फार्म में डेयरी किसानों ने जनसभा का आयोजन किया . इस जनसभा में दिल्ली के सभी डेयरी फार्म के किसानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. जनसभा में डेयरी किसानों ने अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी. डेयरी किसानों ने आरोप लगाया कि पूंजीपतियों के निगाह डेयरी फार्म की जमीन पर है. पूंजीपति उनकी जमीन हथियाने की साजिश रच रहे हैं. उन्हें परेशान किया जा रहा है ताकि वह अपनी जमीन छोड़ कर चले जाएं.

संतराम प्रधान ने बताया कि पूंजीपति उनकी जमीन हड़पने के फिराक में है. एनजीओ के माध्यम से उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं,अदालती कार्रवाई में उन्हें फंसाया जा रहा है. ताकि वे लोग अपनी जमीन छोड़कर भाग जाएं . संतराम प्रधान का कहना है कि सरकार भी उनका साथ नहीं दे रही है. संत राम प्रधान ने कहा कि दिल्ली में डेयरी फार्म के लिए बनाई गई पॉलिसी को लागू किया जाए. वे लोग इस पॉलिसी पर चलने को तैयार है. प्रधान ने कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह लोग बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे.


जनसभा में शामिल पूर्व निगम पार्षद राजीव चौधरी ने बताया कि सन 1972 में दिल्ली के अलग-अलग इलाके से डेयरी किसानों को गाजीपुर में बसाया गया था . 1978 में आई बाढ़ में डेयरी किसानों की सभी पूंजी बर्बाद हो गयी . इसके बाद वे लोग अपने-अपने जगह पर वापस चले गए. लेकिन सरकार ने उन्हें सभी सुविधा उपलब्ध कराने का वादा कर दोबारा वापस बुलाया. सरकार की तरफ से उन्हें सुविधा भी दी गई . मवेशियों के रहने और चारा के लिए भी जमीन उपलब्ध कराई गई. तालाब और गोबर प्लांट की व्यवस्था की गई. 926 डेयरी के साथ ही किसानों को रहने के लिए 926 फ्लैट भी दिए गए.

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लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे डेयरी फॉर्म की ज़मीन पर कब्जा शुरू हो गया . तालाब की जमीन पर स्लॉटर हाउस बनाया गया. चारे की जमीन पर डंपिंग यार्ड बनाया गया. गोबर गैस प्लांट की जगह बिजली घर बना दिया गया. इसके बाद अब एक एनजीओ के माध्यम से डेयरी किसानों पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं. राजीव चौधरी ने बताया कि डेयरी किसानों और दिल्ली की अलग-अलग सिविक एजेंसियों के साथ मिलकर दिल्ली सरकार ने एक पॉलिसी बनाई थी, लेकिन इस पॉलिसी को अब तक लागू नहीं किया गया. डेयरी किसने की मांग है कि इस पॉलिसी को लागू किया जाए

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