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साइबर ठगी का नया तरीका 'डिजिटल अरेस्ट', हल्द्वानी का सॉफ्टवेयर इंजीनियर आया झांसे में, लगा एक लाख का चूना - digital arrest

digital arrest आजकल साइबर ठगों ने ठगी का नया तरीका खोज लिया है, जिस कहते हैं 'डिजिटल अरेस्ट'. इस हथियार के जरिए साइबर ठग आजकल आम लोगों को निशाना बना रहे है. डिजिटल अरेस्ट का ऐसे ही एक मामला उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर से सामने आया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 8, 2024, 10:36 AM IST

Updated : Apr 8, 2024, 2:30 PM IST

हल्द्वानी: साइबर अपराधी ठगी के नए-नए तरीके निकल रहे हैं. साइबर अपराधियों के झांसे में पढ़े-लिखे लोग ज्यादा आ रहे हैं. जन जागरूकता के बाद भी लोग साइबर अपराधियों के झांसे में आकर अपना जमा पूंजी गंवा रहे हैं. मामला हल्द्वानी से सामने आया है, जहां साइबर ठगों ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किया और उससे 1 लाख रुपए ठग लिए

दरअसल, इंजीनियर को ड्रग्स का नाम लेकर डराया और कहा कि उसके नाम से ताइवान जा रहे कोरियर में ड्रग्स बरामद हुई है. इसके बाद डरे सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने जलसाजों के झांसे में आकर ₹100000 गंवा दिए. इस मामले में साइबर पुलिस स्टेशन ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

haldwani
साइबर ठगी का नया तरीका 'डिजिटल अरेस्ट'

बताया जा रहा है कि मुखानी थाना क्षेत्र लामाचौड़ निवासी निखिलेश गुणवंत पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. पुलिस को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा कि बीती एक अप्रैल को उनके पास फोन आया. फोन करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और कहा कि ताइवान जा रहे एक कोरियर में निखिलेश का आधार कार्ड लगा है. पूछताछ के लिए जालसाज ने निखिलेश को मुंबई बुलाया, लेकन निखिलेश ने असहमति जताई.

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आप न करें इस तरह की गलती

इस पर जालसाजों ने कहा कि अगर आपको मुंबई आने से बचाना है तो हमारे कहने के अनुसार चलो. इसके बाद आरोपियों ने स्काइप एप से वीडियो कॉल की. वीडियो कॉल पर आरोपी ने पहले तो निखिलेश से कमरे के दरवाजे बंद करवाए और इसके बाद पारिवारिक, व्यवसायिक और साथ ही बैंक खातों की जानकारी मांगी. आखिर में आरोपियों ने निखिलेश से ही उसके हाथ बंधवा दिए, जिसे आरोपियों की भाषा में डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है. फिर अरेस्ट वारंट की धमकी देकर एक लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए.

रकम मिलने के बाद जालसाजों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को वीडियो कॉल पर ही हाथ बांधकर बैठने को बोला और मोबाइल आदि इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी. यही नहीं इस मामले को किसी से नहीं बताने को कहा. कमरे में डरे-सहमे निखिलेश को देखकर परिजनों ने बात पूछी तो पूरा मामला सामने आया. इसके बाद परिवार वालों को ठगी का एहसास हुआ. पूरे मामले में परिवार वाले मुखानी थाने पहुंचे मामला दर्ज कराया है, जिसके बाद मामले को साइबर सेल ट्रांसफर किया गया है.

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हल्द्वानी: साइबर अपराधी ठगी के नए-नए तरीके निकल रहे हैं. साइबर अपराधियों के झांसे में पढ़े-लिखे लोग ज्यादा आ रहे हैं. जन जागरूकता के बाद भी लोग साइबर अपराधियों के झांसे में आकर अपना जमा पूंजी गंवा रहे हैं. मामला हल्द्वानी से सामने आया है, जहां साइबर ठगों ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किया और उससे 1 लाख रुपए ठग लिए

दरअसल, इंजीनियर को ड्रग्स का नाम लेकर डराया और कहा कि उसके नाम से ताइवान जा रहे कोरियर में ड्रग्स बरामद हुई है. इसके बाद डरे सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने जलसाजों के झांसे में आकर ₹100000 गंवा दिए. इस मामले में साइबर पुलिस स्टेशन ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

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साइबर ठगी का नया तरीका 'डिजिटल अरेस्ट'

बताया जा रहा है कि मुखानी थाना क्षेत्र लामाचौड़ निवासी निखिलेश गुणवंत पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. पुलिस को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा कि बीती एक अप्रैल को उनके पास फोन आया. फोन करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और कहा कि ताइवान जा रहे एक कोरियर में निखिलेश का आधार कार्ड लगा है. पूछताछ के लिए जालसाज ने निखिलेश को मुंबई बुलाया, लेकन निखिलेश ने असहमति जताई.

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आप न करें इस तरह की गलती

इस पर जालसाजों ने कहा कि अगर आपको मुंबई आने से बचाना है तो हमारे कहने के अनुसार चलो. इसके बाद आरोपियों ने स्काइप एप से वीडियो कॉल की. वीडियो कॉल पर आरोपी ने पहले तो निखिलेश से कमरे के दरवाजे बंद करवाए और इसके बाद पारिवारिक, व्यवसायिक और साथ ही बैंक खातों की जानकारी मांगी. आखिर में आरोपियों ने निखिलेश से ही उसके हाथ बंधवा दिए, जिसे आरोपियों की भाषा में डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है. फिर अरेस्ट वारंट की धमकी देकर एक लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए.

रकम मिलने के बाद जालसाजों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को वीडियो कॉल पर ही हाथ बांधकर बैठने को बोला और मोबाइल आदि इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी. यही नहीं इस मामले को किसी से नहीं बताने को कहा. कमरे में डरे-सहमे निखिलेश को देखकर परिजनों ने बात पूछी तो पूरा मामला सामने आया. इसके बाद परिवार वालों को ठगी का एहसास हुआ. पूरे मामले में परिवार वाले मुखानी थाने पहुंचे मामला दर्ज कराया है, जिसके बाद मामले को साइबर सेल ट्रांसफर किया गया है.

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Last Updated : Apr 8, 2024, 2:30 PM IST
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