मेरठ: जिले में सेवानिवृत्त महिला अध्यापिका को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी बताकर साइबर ठगों ने 9 लाख रुपये की ठगी कर ली. पीड़िता का आरोप है कि उसे इस कदर मजबूर कर दिया कि उसने अपने बैंक में रखी एफडी और पोस्ट ऑफिस में जमा रकम को निकालकर ठगों के खाते में ट्रांसफर कर दिया. फिलहाल इस मामले में पुलिस साइबर अपराध थाने में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई कर रही है.
जानकारी के अनुसार, शहर के रेलवे रोड थाना क्षेत्र की न्यू प्रेमपुरी में रिटायर्ड अध्यापिका अंजू सिंघल रहती हैं. अंजू का आरोप है कि उनके नंबर पर बीते दिनों एक कॉल आई, जिसमें कॉलर ने उनसे कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में उनका नाम सामने आ रहा है, लिहाजा अब जेल जाना पड़ेगा. इससे रिटायर्ड अध्यापिका डर गई.
अंजू सिंघल ने बताया कि बीते माह 29 नवंबर को उनके मोबाइल पर कॉल आई थी. कॉल करने वाले ने उन्हें बताया कि ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) से कॉल कर रहे हैं. कॉल करने वाले ने अपना नाम चिराग ठाकुर बताया. उसने कहा कि आपकी आईडी पर हरियाणा के गुरुग्राम से मोबाइल सिम लेकर उसे मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया गया है. इससे वह टेंशन में आ गईं. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लिप्त बताकर उन्हें जेल भेजने की धमकी दी, तो वह घबरा गईं, जिसके बाद ठगों ने पूरे 9 दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा. इस बीच कॉलर बार-बार उन्हें धमकी देता था कि किसी से बात की या मिलने की कोशिश की तो जेल भेज देंगे.
पीड़िता अंजू का कहना है कि इस बीच कई अन्य लोगों का कॉल भी उनके नंबर पर आता रहा, जो कि खुद को हरियाणा पुलिस के अधिकारी बताकर धमकाते रहे और जेल भेजने का डर दिखाता रहे.
पीड़िता ने इस बारे में साइबर क्राइम थाने में गुहार लगाई है कि कॉल करने वाले ने वीडियो कॉल भी उन्हें की. कॉल करने वाले ने खाकी पहनी हुई थी. उसने अपना नाम रणवीर सिंह बताया था. उसके बाद कॉल को ट्रांसफर करने की बात कहकर एसआई अनुराग चहल नाम बताकर फिर तीसरे शख्स ने बात की. उसने भी कहा कि सीनियर ऑफिसर रघुनाथ पांडे बात करेंगे. इसके बाद फिर एक और व्यक्ति ने वीडियो कॉल पर बात की. सभी ने जेल भेजने और सजा भुगतने को कहा जिस पर दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया.
उन्होंने बताया कि बार-बार कॉल करने वालों ने बताया कि उनके पास ऐसे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिनमें किसी नरेश गोयल नाम के एक मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधी के साथ नाम जुड़ा है. कॉलर ने कहा कि आपको अपने बैंक का सारा बैलेंस और एफडी आदि रकम हमें ट्रांसफर करनी होगी. साथ ही ठगों ने उन्हें यह भी कहा कि अगर वह बेकसूर हुईं तो उन्हें ब्याज के साथ पैसा वापस मिलेगा. एफडी समय से पहले टूटेगी तो उसका भी हर्जाना आरबीआई भरेगा. इसके बाद वॉट्सऐप पर उन्हें दो लेटर प्राप्त हुए. एक में केस से जुड़ी जानकारी दी गई थी और दूसरे लेटर में में कॉन्फिडेंशियल एग्रीमेंट जैसा एक दस्तावेज भेजा गया था.
पीड़िता का कहना है कि डर के मारे मैंने बैंक FD और पोस्ट ऑफिस में जमा पैसे को निकालकर लिया और उसके बाद अलग-अलग तारीख में कई टुकड़ों में कुल 9 लाख 7 हजार 976 रुपये 8 दिसंबर तक कॉलर के द्वारा बताये गये खातों में ट्रांसफर कर दिए. इसके बाद उसे यह एहसास हुआ कि उनके साथ साइबर ठगी हुई है. जबकि उसके बाद कॉलर के न हीं तो वह नंबर ही मिले और न फिर कोई कॉल ही आई.
इस मामले में एसपी क्राइम अवनीश कुमार का कहना है पीड़िता के द्वारा जो शिकायत अब की गईं है. यह पूरी तरह से साइबर फ्रॉड से जुड़ा मामला है. उनकी रिपोर्ट रविवार को दर्ज कर ली गई है. इस मामले में जानकारी करके जिन खातों में रकम गईं है उन्हें फ्रीज करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोशिश है कि साइबर ठगी करने वाले बदमाशों को जल्द दबोचा जाएगा.
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