हिसार: अग्रोहा धाम में रविवार को माता लक्ष्मी जी के वरदान दिवस व पूर्णिमा के पावन पर्व पर छप्पन भोग और भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम अग्रोहा धाम वैश्य समाज के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग गर्ग की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें देश भर से समाज के प्रतिनिधियों ने भारी संख्या में भाग लिया.
"यहां खुदाई का काम जल्द शुरू हो" : बजरंग गर्ग ने समारोह में उपस्थित नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि हजारों भक्तों ने आज शक्ति सरोवर स्नान के बाद माता लक्ष्मी जी के दर्शन किए. अग्रोहा धाम के साथ देश के नागरिकों की आस्था जुड़ी हुई है और जनता के सहयोग से अग्रोहा धाम में करोड़ों रुपए की लागत से लगातार विकास कार्य हो रहे हैं. सरकार को अपनी घोषणा के अनुसार तुरंत प्रभाव से अग्रोहा धाम टीलें की खुदाई का काम शुरु करना चाहिए. केंद्र सरकार को अग्रोहा में विकास के लिए अग्रोहा को पर्यटन स्थल बनना चाहिए, जबकि अग्रोहा महाराजा अग्रसेन जी की राजधानी थी और अब धर्मनगरी है.
अग्रोहा को उपतहसील बनाये सरकार : उन्होंने कहा कि अग्रोहा धाम में दर्शन के लिए लाखों भक्त देश के कोन-कोने से आते हैं. हरियाणा सरकार को अपने वायदे के अनुसार अग्रोहा को उपतहसील का दर्जा देना चाहिए. अग्रोहा में सीवरेज लाइन भी नहीं है. सभी बरसाती नाले बंद पड़े हैं. स्ट्रीट लाइट तक यहां जलती नहीं हैं और सड़कें टूटी पड़ी है. सफाई व्यवस्था का बहुत बुरा हाल है. सरकार को अग्रोहा में विकास के लिए विशेष पैकेज देना चाहिए, जबकि अग्रोहा आज शहर का रूप ले चुका है.
धार्मिक प्रस्तुति ने मोहा मन : बता दें कि कार्यक्रम में कलाकारों की ओर से भगवान श्रीकृष्ण, हनुमान, भगवान शिव-पार्वती, भगवान कृष्ण, सुदामा पर आधारित सुंदर-सुंदर झांकियां प्रस्तुत की गई. साथ ही राजस्थान के कलाकारों ने अनेकों धार्मिक प्रस्तुति देकर दर्शकों का मन मोहा है.
क्या है अग्रोहा धाम : हिसार के पास स्थित अग्रोहा धाम एक ऐतिहासिक नगरी है. अग्रोहा गांव को महाराज अग्रसेन ने बसाया था, जबकि अग्रोहा धाम को 1976 में बनवाया गया. धाम को तीन भागों में बांटा गया है, जो महाराजा अग्रेसन, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती को समर्पित है. यहां 41 पवित्र नदियों के पानी का सरोवर भी है, तो वहीं 12 ज्योतिर्लिंग भी यहां स्थित है. शरद पूर्णिमा पर यहां बड़ा मेला लगता है. यहां पर हनुमान जी की विशालकाय प्रतिमा भी है. ये मंदिर अग्रवालों की कुलदेवी महालक्ष्मी को समर्पित है.