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लोकसभा चुनाव के लिए पलामू में सीआरपीएफ की दो कंपनियां तैनात, नक्सल प्रभावित इलाकों में लैंड माइंस की तलाश शुरू

CRPF searching for land mines in Palamu. लोकसभा चुनाव के लिए पलामू में सीआरपीएफ की दो कंपनियां तैनात हैं. सुरक्षाबलों ने नक्सल प्रभावित इलाकों को सैनेटाइज करना शुरू कर दिया है. नक्सलियों द्वारा बिछाए गए लैंड माइंस की तलाश शुरू कर दी गई है.

CRPF searching for land mines in Palamu
CRPF searching for land mines in Palamu
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 17, 2024, 2:09 PM IST

पलामू: लोकसभा चुनाव को लेकर पलामू में सीआरपीएफ की दो कंपनी उपलब्ध करायी गयी है. एक कंपनी सीआरपीएफ की 112वीं बटालियन की है जबकि दूसरी कंपनी सीआरपीएफ की 172वीं बटालियन की है. सीआरपीएफ की एक कंपनी पलामू के मनातू में जबकि एक कंपनी हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र में तैनात की गयी है. सीआरपीएफ के साथ-साथ आईआरबी और जैप के जवानों को भी तैनात किया गया है.

झारखंड-बिहार बॉर्डर के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है और पूरे इलाके को सैनिटाइज किया जा रहा है. पुलिस और सुरक्षा बलों ने मिलकर ऐसे कई इलाकों की पहचान की है जहां लैंड माइंस होने की आशंका है. ऐसे इलाकों में लैंड माइंस की तलाश शुरू कर दी गई है.

"सीआरपीएफ की दो कंपनियां मिली हैं, दोनों कंपनियों के माध्यम से इलाके में डिमाइनिंग का काम शुरू कर दिया गया है." - रिष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

पलामू से हटाई गई सीआरपीएफ की बटालियन

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पलामू में सीआरपीएफ की पूरी बटालियन थी. कुछ माह पहले पलामू से सीआरपीएफ बटालियन को हटाकर सारंडा इलाके में तैनात किया गया है. पलामू में सीआरपीएफ 134 बटालियन की टीम पिछले एक दशक से नक्सल विरोधी अभियान की कमान संभाल रही थी. 2004-05 के बाद पहली बार सीआरपीएफ के बिना पलामू क्षेत्र में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हुई.

किन इलाकों में है लैंड माइंस की आशंका?

पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से पलामू की 31 सड़कों की पहचान की गयी, जो संवेदनशील हैं. इन सड़कों को पहले सेनिटाइज किया जा रहा है. आशंका है कि नक्सली हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के हैदरनगर के जोगनी पहाड़ व सिंघना रोड, हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के जपला-छतरपुर रोड, जपला-महुदंड रोड, झरगड़ा-चारकोल रोड, झरगड़ा-करबार रोड पुल, महुदंड-केमो प्रतापपुर इलाके में लैंड माइंस लगा सकते हैं.

यह भी पढ़ें: लैंड माइंस से कैसे बचें, जवानों को दी जा रही ट्रेनिंग, चुनाव के दौरान बढ़ जाता है खतरा

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा, नक्सल सहित हिस्ट्रीशीटरों पर भी कार्रवाई के निर्देश

यह भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव से पूर्व दोहरे अभियान पर झारखंड पुलिसः नक्सलियों के खिलाफ वार और ग्रामीणों को बताई जा रही वोट की ताकत

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झारखंड-बिहार बॉर्डर के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है और पूरे इलाके को सैनिटाइज किया जा रहा है. पुलिस और सुरक्षा बलों ने मिलकर ऐसे कई इलाकों की पहचान की है जहां लैंड माइंस होने की आशंका है. ऐसे इलाकों में लैंड माइंस की तलाश शुरू कर दी गई है.

"सीआरपीएफ की दो कंपनियां मिली हैं, दोनों कंपनियों के माध्यम से इलाके में डिमाइनिंग का काम शुरू कर दिया गया है." - रिष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

पलामू से हटाई गई सीआरपीएफ की बटालियन

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पलामू में सीआरपीएफ की पूरी बटालियन थी. कुछ माह पहले पलामू से सीआरपीएफ बटालियन को हटाकर सारंडा इलाके में तैनात किया गया है. पलामू में सीआरपीएफ 134 बटालियन की टीम पिछले एक दशक से नक्सल विरोधी अभियान की कमान संभाल रही थी. 2004-05 के बाद पहली बार सीआरपीएफ के बिना पलामू क्षेत्र में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हुई.

किन इलाकों में है लैंड माइंस की आशंका?

पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के सहयोग से पलामू की 31 सड़कों की पहचान की गयी, जो संवेदनशील हैं. इन सड़कों को पहले सेनिटाइज किया जा रहा है. आशंका है कि नक्सली हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के हैदरनगर के जोगनी पहाड़ व सिंघना रोड, हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के जपला-छतरपुर रोड, जपला-महुदंड रोड, झरगड़ा-चारकोल रोड, झरगड़ा-करबार रोड पुल, महुदंड-केमो प्रतापपुर इलाके में लैंड माइंस लगा सकते हैं.

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