उत्तरकाशी: जरड़ा गांव की ध्याणियों ने रुद्रेश्वर देवता को चांदी के चूड़े और गांव के रक्षक पांच पांडवों को चांदी की पट्टी भेंट की. जरड़ा गांव में हर वर्ष रुद्रेश्वर देवता के नाम से असाढ़ की जातर मनाई जाती है. जिसमें पड़ोसी क्षेत्रों से लोग बड़ी संख्या में भागीदारी करते हैं. यह पहला अवसर था जब 65 गांव के आराध्य देव ने जरड़ा गांव में तीन दिन तक रात्री विश्राम किया.
जरड़ा गांव की ध्याणियों ने मेले के दिन अपने आराध्य देव रुद्रेश्वर महाराज को चांदी के चूड़े और गांव के रक्षक पांच पांडवों को चांदी की पट्टी भेंट की. जिसमे युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, पांचाली कुंती सहित अन्य देवताओं के चित्रों को उकेरा गया है. ध्याणियों ने ढोल बाजों के साथ पच्चीस किमी दूर गंगनानी कुंड की यात्रा कर देव निशाणों के साथ स्नान किया. गांव लौटने पर देवताओं को भेंट की. ध्याणियों और असाढ़ की जातर के लिए जरड़ा पहुंचे श्रद्धालुओं ने महाराज को हरियाली, श्रीफल चुनरी चढ़ा कर मन्नतें मांगी,देव माली संकित थपलियाल ने श्रद्धालुओं को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया.
जरड़ा गांव के पांच पांडवों की क्षेत्र में विशेष मान्यता है, जिनकी गांव के लोग वर्ष भर धार्मिक पर्व पर पूजा करते हैं. गांव में बनी पांडवों की चौंरी का अलग महत्व है, जहां जूते चप्पल और मदिरा का सेवन कर जाना प्रतिबंधित है. इस अवसर पर ग्राम प्रधान राजेन्द्र लाल,क्षेत्र पंचायत सदस्य संगीता चौहान, प्रताप चौहान, जुमली देवी,लुंगी देवी,मंडली देवी नारो देवी, चंपा देवी,बचनी देवी,अबली देवी आदि उपस्थित रहे.