छपरा: अगर आप भी खाने के शौकीन हैं तो चले आइए छपरा. इस बार हम आपको बताएंगे छपरा की प्रसिद्ध मिठाई पेड़किया के बारे में. जब भी छपरा आएंगे तो इसका स्वाद आपको चखने का जरूर मिलेगा. सभी मिठाई दुकानों में एक खास तरह की मिठाई खाने को मिल जायेगी, जिससे शायद आप भी परिचित हो. अगर आप पेड़किया के स्वाद से अनजान हैं, तो पटना से करीब 60 किमी की दूरी पर यह खास पेड़किया का स्वाद जरूर चखे.
सारण में है ये मशहूर पेड़किया की दुकान: पुनीत साह की दुकान अपने पेड़किया के स्वाद के लिए काफी मशहूर है. दुकानदार प्रदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि इस दुकान की स्थापना उनके दादा पुनीत साह ने की थी. पहले यह एक साधारण सी दुकान थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बदला पुनीत साह के पुत्र और पौत्रों ने इस दुकान का विस्तार किया. आज से लगभग 30 से 40 साल पहले से यहां पर पेड़किया बनाने का काम शुरू किया गया था.
"इस दुकान की स्थापना मेरे दादा पुनीत साह ने की थी. जिसके बाद यहां समोसा, रसगुल्ला और अन्य व्यंजन बनाया जाने लगा. 30 से 40 साल पहले से यहां पर पेड़किया बनाने का काम शुरू हुआ, जिसके बाद अभी तक ये काम जारी है. दूर-दूर से लोग यहां पर पेड़किया खाने आते हैं. हम पेड़किया में खोया डालकर बनाते हैं और इसकी पूरी सफाई के साथ तैयार किया जाता है."-प्रदीप कुमार गुप्ता, दुकानदार
पलक झपकते खाली हो जाता है स्टॉक: बता दें कि आज पुनीत साह की चौथी पीढ़ी इस दुकान को चला रही है. पेड़किया की बिक्री से यह लोग लगातार तरक्की कर रहे हैं. आज यह स्थिति है कि पेड़किया का एक स्टॉक काउंटर पर पहुंचता है, तब तक दूसरा स्टॉक तैयार हो जाता है. काउंटर पर पेड़किया लेने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है और 10 मिनट के अंदर काउंटर से सभी पेड़किया बिक जाता है.
यहां से गुजरने वाला हर शख्स चखता है स्वाद: आज स्थिति यह है कि दुकानदार और काउंटर पर काम करने वाले सेल्समेन को आपस में बात करने की भी फुरसत नहीं मिलती है. इधर से गुजरने वाला हर शख्स एक बार जरूर यहां की पेड़किया का स्वाद चखता है. वहीं कई लोग तो अपने घर के लिए पैक भी करा कर ले जाते हैं.
यहां जानें पेड़किया की खास रेसेपी:दुकानदार प्रदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि इस व्यंजन को बनाने में कभी भी क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया गया है. इसके लिए सबसे पहले इसमें मैदा को पानी और दूध के साथ गूंथा जाता है और इसमें करारापन लाने के लिए थोड़ी मात्रा में मोइन भी दिया जाता है. इसकी छोटी-छोटी पुरी बनाई जाती है. जिसके अंदर खोया को अच्छी से भूनकर, चीनी मिलाकर भरा जाता है. इसके बाद इसे लाल होने तक फ्राई किया जाता है. फ्राई करने के बाद इसे चीनी से बनी चाशनी में डाला जाता है. फिर से वहां से निकाल कर ग्राहकों को दिया जाता है.
इसका रेट सुनकर हो जाएंगे हैरान: इस दुकान को इतनी प्रसिद्धि मिली है कि कभी-कभी सड़क पर जाम लग जाता है. वहीं दुकान पर आए सार्थक कुमार कहते हैं कि जब इधर से गुजरते हैं तो पेड़किया जरूर खाते है और परिवार के लिए भी ले जाते हैं. इस पेड़किया का निर्माण लगभग 40 साल से किया जा रहा है. आज इसे 240 रुपया प्रति किलो और 15 रुपया प्रति पीस बेचा जाता है.
"मैं जब भी यहां से गुजरता हूं पेड़किया जरूर खाता हूं. यहां 40 साल से पेड़किया बनाने का काम किया जा रहा है. फिलहाल 240 रुपया प्रति किलो और 15 रुपया प्रति पीस यहां पेड़किया मिलता है." -सार्थक कुमार, ग्राहक