वाराणसी: काशी की महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली खेली जा रही. जलती चिताओं के बीच लाखों शिवभक्तों ने चिता भस्म से होली खेली. मसान में भस्म की होली काशी की खास पहचान है. मान्यता है कि मणिकर्णिका घाट पर मसान की होली में देव, गंधर्व, किन्नर, नगरवधुएं, भूत-प्रेत, पिशाच, बेताल सहित पूरा संसार ही शामिल होता है. लाखों देश-विदेश के सैलानी इस खास पल के साक्षी बनें हैं.
रंगभरी एकादशी से काशी में होली: होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाना है, लेकिन उसके पहले बुधवार को रंगभरी एकादशी के मौके पर होली का उत्सव काशी में शुरू हो चुका है. बुधवार को बाबा विश्वनाथ को पहले गुलाल अर्पित करके भक्तों ने जमकर होली खेली. उसके बाद हरिश्चंद्र घाट पर होली खेली गई. चिता भस्म की होली के बाद गुरुवार को महाश्मशान मणिकर्णिका पर मसान की होली खेली गई.
बाबा मसान नाथ मंदिर में पूजा के बाद मसान की होली शुरू: बाबा मसान नाथ मंदिर में पूजन पाठ के बाद मसान की होली शुरू हो गई. महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लाखों की जुटी. पूरा श्मशान घाट भीड़ से पटा नजर आया. काशी की गलियों से लेकर घाट तक भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. हर तरफ जाम की स्थिति बनी हुई है. पुलिस प्रशासन उमड़े सैलाब को देखते हुए सड़क पर गाड़ियों को प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया है. विश्वनाथ मंदिर और चौक की तरफ कोई भी वाहन को नहीं जाने दिया जा रहा.
बाबा भोलेनाथ अपने गणों के साथ श्मशान में खेलते होली: शिवभक्तों की टोली महाश्मशान पर मसान की होली का आनंद ले रहे. जमकर होली खेली जा रही. आयोजकों की माने तो पुरानी परंपरा के अनुरूप बाबा भोलेनाथ रंगभरी एकादशी के अगले दिन अपने गढ़ों, भूत पिशाच और नंदी के साथ होली खेलने के लिए श्मशान पर पहुंचते हैं. और औघड़, किन्नर और अन्य लोग उनके साथ होली खेलते हैं. इसी परंपरा को निभाते हुए काशी में मसान की होली का आयोजन किया गया. हालांकि इसका विरोध भी काशी के विद्वानों ने किया था, लेकिन विरोध के बाद भी जबरदस्त भीड़ गंगा घाट पर देखने को मिली.
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