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बांग्लादेश में छापते नकली करेंसी, पश्चिम बंगाल में करते डंप, फिर ऐसे पहुंचाते यूपी के बाजारों में - fake currency news

यूपी के बाजारों तक आखिर नकली नोट कैसे पहुंचते हैं. कैसे इन्हें यूपी तक पहुंचाया जाता है. यूपी एटीएस की जांच में ऐसे कई तथ्यों का खुलासा हुआ है.चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 10, 2024, 11:26 AM IST

लखनऊ: बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के रास्ते यूपी में छोटी फेक करेंसी की तस्करी करवा रहा है. ये खुलासा तब हुआ जब यूपी एटीएस ने बीते दिनों वाराणसी से फेक करेंसी की तस्करी करने वाले दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. जांच में सामने आया कि, बांग्लादेश में नकली नोटों की छपाई कर वेस्ट बंगाल के मालदा के रास्ते यूपी में लाया जा रहा है। इन नकली नोटों की खेप में ज्यादातर छोटी नोट रखी जाती है , ताकि आसानी से इसे बाजार में खपाया जा सके.


बांग्लादेश में छप रही, पश्चिम बंगाल में डंप और यूपी में तस्करी
यूपी एटीएस के मुताबिक, 6 फरवरी को अंकुर मौर्य व विपिन गुप्ता और 8 फरवरी को अच्छे लाल मौर्य को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से कुल 2 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए गए थे. इनसे पूछताछ के आधार पर सामने आया कि फेक करेंसी का जखीरा बांग्लादेश से अलग अलग बॉर्डर से पश्चिम बंगाल के रास्ते उत्तर प्रदेश भेजा जाता है. इसके लिए मालदा में नोटों के जखीरे को डंप किया जाता है फिर सप्लायर को नोट सप्लाई करने का काम सौंप दिया जाता है और फिर यहां से अलग-अलग रास्तों के जरिये नोटों को यूपी में सप्लाई कर दिया जाता है.

छोटे नोटों को ज्यादा छाप रहे अपराधी
एटीएस के मुताबिक, बीते दिनों हुई दोनो गिरफ्तारी से बरामद हुई फेक करेंसी में सबसे अधिक नोट 100 व 200 की है. इसके पीछे का कारण इन नोटों का आसानी से बाजार में खपत हो जाना है. लोग 500 और 2000 की नोट की अपेक्षा 50, 100 व 200 की नोट को ज्यादा नहीं जांचते है और ये बाजार में चलन में आ जाती है. यही कारण है कि फेक करेंसी के सौदागर बड़ी नोट पर अधिक केंद्रित नहीं है और इनका धंधा फल फूल रहा है.


बैंककर्मी भी खा रहे फेक करेंसी से गच्चा
ऐसा नही है कि बांग्लादेश से आने वाली फेक करेंसी सिर्फ आम लोगों को ही धोखा दे सकती है, बल्कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और बैंक कर्मी भी गच्चा खा रहे है. बीते छह वर्षों में लखनऊ के महानगर थाने में आरबीआई द्वारा 44 एफआईआर दर्ज कराई गई है. हैरानी की बात है कि आए दिन मुकदमों की लंबी कतार लग रही है. दरअसल, आम लोग 100,200 और 500 की नोट बैंकों में जमा करते है और फिर ये चलते हुए आरबीआई तक पहुंचती है. यहां गहन जांच में नकली नोट पाई जाती है जिसके बाद आरबीआई कर्मी थाने में एफआईआर दर्ज कराती है.


नकली नोट सबसे ज्यादा यूपी में मिले
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डाले तो साल 2019 से 2022 तक देश में 10, 20,50 व 100 की नकली नोट सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में बरामद की गई है जबकि 500 और 2000 की नोट की बरामदगी काफी कम हुई है. हालांकि यूपी के बाद गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी इन छोटी नकली नोट काफी संख्या में केंद्रीय व राज्य एजेंसियों ने पकड़ा है. इसके पीछे के कारणों पर नजर डालने से पहले यह जानते है कि यूपी में कब , कितनी नकली नोट बरामद की गई है.

वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश 10 की 931, 20 की 35, 50 की 944 और 100 की 5484 नकली नोट बरामद की गई थी। जो इस साल देश के सभी राज्यों से कहीं अधिक मात्रा थी। वहीं वर्ष 2021 में 10 की 136, 20 की 183, 50 की 518 और 100 की 15137 नकली नोट बरामद की गई थी। जबकि यूपी के बाद गुजरात, गोवा और आंध्र प्रदेश में छोटी नकली नोट सबसे अधिक बरामद हुई थी। यूपी में वर्ष 2020 में कुल 18,449 और 2021 में 21,014 नोट बरामद हुई.



कानून और सजा का प्रावधान
फेक करेंसी छपने व तस्करी करने वाले को उम्रकैद तक सजा का प्रावधान
हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रिंस लेनिन के मुताबिक, फेक करेंसी के धंधे में लिप्त आरोपियों पर पुलिस आईपीसी की धारा 489-बी के तहत एफआईआर दर्ज करती है. यह एक गैरजमानती धारा है, यानी की गिरफ्तारी के बाद सीधे जेल भेज दिया जाता है. लेनिन बताते है कि, यदि आरोप साबित होते है तो दोषी को दस वर्ष से लेकर उम्रकैद तक सजा का प्रावधान है.

नकली नोटों की पहचान होना जरूरी
RBI के अधिकारी के मुताबिक, आमतौर पर देखा गया है कि ज्यादातर लोग 500 व 2000 की नोट ही चेक करते है लेकिन जरूरी है कि 20, 50, 100 और 200 रुपए की भी नोट पहचाना जरूरी है कि वो असली है या फेक. इसके लिए आरबीआई ने नोट की पहचान करने के लिए कई पहचान चिन्ह बताए हैं, जिनकी मदद से आप नोट की पहचान कर सकते हैं.



ऐसे पहचाने असली नोट

  • 200 के नोट को रोशनी की ओर करके देखने पर महात्मा गांधी की तस्वीर दिखती है.
  • नोट के बीच में महात्मा गांधी की तस्वीर और रुपए वाटरमार्क होगा.
  • नोट के आगे और पिछले हिस्से में देवनागरी लिपि में दो सौ लिखा है.
  • नोट में हरे रंग का सुरक्षा धागा जो तिरछा करने पर चमकेगा, जिस पर भारत और RBI लिखा होता है.
  • महात्मा गांधी की तस्वीर के बगल में गारंटी क्लॉज, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होगा.
  • वादे का क्लॉज और भारतीय रिजर्व बैंक की सील दिखाई देगी.
  • नीचे की तरफ रुपये लिखा हुआ, जिसका रंग नोट को तिरछा करने पर हरे से नीले रंग का होगा.
  • नोट के आगे हिस्से के दायीं ओर अशोक स्तंभ का चिह्न होता है और नोट की छपाई का वर्ष पीछे की तरफ बायीं ओर लिखा होगा. साथ ही छपाई वर्ष के नीचे ही हिंदी में दो सौ रुपये लिखा हुआ है.
  • पीछे की ओर बायीं ओर नीचे की तरफ स्वच्छ भारत का लोगो यानी गांधीजी का चश्मा बना है.
  • इसके नीचे स्वच्छ भारत का स्लोगन एक कदम स्वच्छता की ओर लिखा होगा.
  • इसके नीचे भारतीय रिजर्व बैंक लिखा है.
  • नोट के पिछले हिस्से में भाषाओं की एक सूची होगी, जिसमें 15 भाषाओं में रुपये लिखा हुआ है, जिसमें हिंदी नहीं होगा.
    नोट पर कुल 16 भाषाओं में रुपये लिखा होगा.


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लखनऊ: बांग्लादेश पश्चिम बंगाल के रास्ते यूपी में छोटी फेक करेंसी की तस्करी करवा रहा है. ये खुलासा तब हुआ जब यूपी एटीएस ने बीते दिनों वाराणसी से फेक करेंसी की तस्करी करने वाले दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. जांच में सामने आया कि, बांग्लादेश में नकली नोटों की छपाई कर वेस्ट बंगाल के मालदा के रास्ते यूपी में लाया जा रहा है। इन नकली नोटों की खेप में ज्यादातर छोटी नोट रखी जाती है , ताकि आसानी से इसे बाजार में खपाया जा सके.


बांग्लादेश में छप रही, पश्चिम बंगाल में डंप और यूपी में तस्करी
यूपी एटीएस के मुताबिक, 6 फरवरी को अंकुर मौर्य व विपिन गुप्ता और 8 फरवरी को अच्छे लाल मौर्य को वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था. इनके पास से कुल 2 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए गए थे. इनसे पूछताछ के आधार पर सामने आया कि फेक करेंसी का जखीरा बांग्लादेश से अलग अलग बॉर्डर से पश्चिम बंगाल के रास्ते उत्तर प्रदेश भेजा जाता है. इसके लिए मालदा में नोटों के जखीरे को डंप किया जाता है फिर सप्लायर को नोट सप्लाई करने का काम सौंप दिया जाता है और फिर यहां से अलग-अलग रास्तों के जरिये नोटों को यूपी में सप्लाई कर दिया जाता है.

छोटे नोटों को ज्यादा छाप रहे अपराधी
एटीएस के मुताबिक, बीते दिनों हुई दोनो गिरफ्तारी से बरामद हुई फेक करेंसी में सबसे अधिक नोट 100 व 200 की है. इसके पीछे का कारण इन नोटों का आसानी से बाजार में खपत हो जाना है. लोग 500 और 2000 की नोट की अपेक्षा 50, 100 व 200 की नोट को ज्यादा नहीं जांचते है और ये बाजार में चलन में आ जाती है. यही कारण है कि फेक करेंसी के सौदागर बड़ी नोट पर अधिक केंद्रित नहीं है और इनका धंधा फल फूल रहा है.


बैंककर्मी भी खा रहे फेक करेंसी से गच्चा
ऐसा नही है कि बांग्लादेश से आने वाली फेक करेंसी सिर्फ आम लोगों को ही धोखा दे सकती है, बल्कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और बैंक कर्मी भी गच्चा खा रहे है. बीते छह वर्षों में लखनऊ के महानगर थाने में आरबीआई द्वारा 44 एफआईआर दर्ज कराई गई है. हैरानी की बात है कि आए दिन मुकदमों की लंबी कतार लग रही है. दरअसल, आम लोग 100,200 और 500 की नोट बैंकों में जमा करते है और फिर ये चलते हुए आरबीआई तक पहुंचती है. यहां गहन जांच में नकली नोट पाई जाती है जिसके बाद आरबीआई कर्मी थाने में एफआईआर दर्ज कराती है.


नकली नोट सबसे ज्यादा यूपी में मिले
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डाले तो साल 2019 से 2022 तक देश में 10, 20,50 व 100 की नकली नोट सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में बरामद की गई है जबकि 500 और 2000 की नोट की बरामदगी काफी कम हुई है. हालांकि यूपी के बाद गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी इन छोटी नकली नोट काफी संख्या में केंद्रीय व राज्य एजेंसियों ने पकड़ा है. इसके पीछे के कारणों पर नजर डालने से पहले यह जानते है कि यूपी में कब , कितनी नकली नोट बरामद की गई है.

वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश 10 की 931, 20 की 35, 50 की 944 और 100 की 5484 नकली नोट बरामद की गई थी। जो इस साल देश के सभी राज्यों से कहीं अधिक मात्रा थी। वहीं वर्ष 2021 में 10 की 136, 20 की 183, 50 की 518 और 100 की 15137 नकली नोट बरामद की गई थी। जबकि यूपी के बाद गुजरात, गोवा और आंध्र प्रदेश में छोटी नकली नोट सबसे अधिक बरामद हुई थी। यूपी में वर्ष 2020 में कुल 18,449 और 2021 में 21,014 नोट बरामद हुई.



कानून और सजा का प्रावधान
फेक करेंसी छपने व तस्करी करने वाले को उम्रकैद तक सजा का प्रावधान
हाईकोर्ट के अधिवक्ता प्रिंस लेनिन के मुताबिक, फेक करेंसी के धंधे में लिप्त आरोपियों पर पुलिस आईपीसी की धारा 489-बी के तहत एफआईआर दर्ज करती है. यह एक गैरजमानती धारा है, यानी की गिरफ्तारी के बाद सीधे जेल भेज दिया जाता है. लेनिन बताते है कि, यदि आरोप साबित होते है तो दोषी को दस वर्ष से लेकर उम्रकैद तक सजा का प्रावधान है.

नकली नोटों की पहचान होना जरूरी
RBI के अधिकारी के मुताबिक, आमतौर पर देखा गया है कि ज्यादातर लोग 500 व 2000 की नोट ही चेक करते है लेकिन जरूरी है कि 20, 50, 100 और 200 रुपए की भी नोट पहचाना जरूरी है कि वो असली है या फेक. इसके लिए आरबीआई ने नोट की पहचान करने के लिए कई पहचान चिन्ह बताए हैं, जिनकी मदद से आप नोट की पहचान कर सकते हैं.



ऐसे पहचाने असली नोट

  • 200 के नोट को रोशनी की ओर करके देखने पर महात्मा गांधी की तस्वीर दिखती है.
  • नोट के बीच में महात्मा गांधी की तस्वीर और रुपए वाटरमार्क होगा.
  • नोट के आगे और पिछले हिस्से में देवनागरी लिपि में दो सौ लिखा है.
  • नोट में हरे रंग का सुरक्षा धागा जो तिरछा करने पर चमकेगा, जिस पर भारत और RBI लिखा होता है.
  • महात्मा गांधी की तस्वीर के बगल में गारंटी क्लॉज, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होगा.
  • वादे का क्लॉज और भारतीय रिजर्व बैंक की सील दिखाई देगी.
  • नीचे की तरफ रुपये लिखा हुआ, जिसका रंग नोट को तिरछा करने पर हरे से नीले रंग का होगा.
  • नोट के आगे हिस्से के दायीं ओर अशोक स्तंभ का चिह्न होता है और नोट की छपाई का वर्ष पीछे की तरफ बायीं ओर लिखा होगा. साथ ही छपाई वर्ष के नीचे ही हिंदी में दो सौ रुपये लिखा हुआ है.
  • पीछे की ओर बायीं ओर नीचे की तरफ स्वच्छ भारत का लोगो यानी गांधीजी का चश्मा बना है.
  • इसके नीचे स्वच्छ भारत का स्लोगन एक कदम स्वच्छता की ओर लिखा होगा.
  • इसके नीचे भारतीय रिजर्व बैंक लिखा है.
  • नोट के पिछले हिस्से में भाषाओं की एक सूची होगी, जिसमें 15 भाषाओं में रुपये लिखा हुआ है, जिसमें हिंदी नहीं होगा.
    नोट पर कुल 16 भाषाओं में रुपये लिखा होगा.


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