हल्द्वानी: बाल मजदूरी कराना अपराध है, इसके बावजूद भी कई प्रतिष्ठानों में खुलेआम बाल मजदूरी कराई जा रही है.जिला श्रम प्रवर्तन के टीम ने पिछले साल बाल मजदूरी के 26 मामले पकड़े हैं. जिसमें 9 मामलों पर एफआईआर दर्ज की गई है.
जिला श्रम प्रवर्तन अधिकारी पूनम कांडपाल ने बताया कि श्रम विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए होटल, ढाबा और मैकेनिक की दुकान में छापेमारी की, जहां साल 2023 के जनवरी माह से दिसंबर माह तक श्रम विभाग के प्रवर्तन दल ने 26 बाल मजदूरों को मुक्त कराया. जिसमें 11 बाल श्रमिक जबकि 15 किशोर श्रमिक शामिल हैं. इन मामलों में कार्रवाई के बाद बाल कल्याण विकास समिति (CWC) के सामने पेश किया.साथ ही बच्चों को उनके परिवार के सुपुर्द किया गया. साथ ही बच्चों के पुनर्वास और उनकी शिक्षा के लिए खास कदम उठाए गए. बाल श्रमिक करने के मामले में सात प्रतिष्ठान स्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है, जबकि किशोर श्रमिक के मामले में दो प्रतिष्ठान स्वामी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
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उन्होंने बताया कि बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 की धारा 2 के अनुसार किसी भी दुकान वर्कशॉप, होटल , रेस्टोरेंट्स या अन्य स्थान पर कार्यरत 17 वर्ष से काम उम्र का बालक या बालिका बाल और किशोर श्रमिक माने जाते हैं. बाल श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम के अनुसार बाल श्रम कराने वाले नियोक्ता को दो साल तक की कैद की सजा या जुर्माना लगाया जा सकता है, या फिर कैद और जुर्माना दोनों ही लगाया जा सकता है.14 साल से कम उम्र के काम करने वाले बच्चे बाल श्रमिक, जबकि 14 साल से 17 साल से कम उम्र के बच्चों को किशोर श्रमिक माना जाता है. उन्होंने बताया कि बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है. बच्चों को समाज के मुख्यधारा में लाने के साथ-साथ उनकी अच्छी शिक्षा को देखते हुए कार्रवाई की गई है.