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मौत के बाद भी इलाज और मरीजों को ठगने के मामले में डॉक्टर सहित 8 गिरफ्तार - gorakhpur

गोरखपुर में डॉक्टर और एंबुलेंस चालक मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पताल में लाकर भर्ती कराते थे. यही नहीं ये लोग मरीज की मौत हो जाने के बाद भी इलाज कराते थे. ऐसे मामलों में एक डॉक्टर सहित 8 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार (Doctor Arrested in Gorakhpur) किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 21, 2024, 10:44 PM IST

गोरखपुर: डॉक्टर और एंबुलेंस चालकों की साठगांठ के बड़े कारनामे का एक बार फिर गोरखपुर में पर्दाफाश हुआ. एंबुलेंस चालकों द्वारा बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पताल में लाकर भर्ती करने और मरीज की मौत हो जाने के बाद भी इलाज करने के मामले में एक डॉक्टर सहित कुल 8 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर बुधवार को जेल भेज दिया.

पुलिस लाइन में इस मामले का खुलासा करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने कहा कि मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में कार्यरत संविदाकर्मियों से गठजोड़ कर मरीजों को गलत व अवैधानिक रूप से रोकने और प्राइवेट एम्बुलेंस से ले जाकर अन्य नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराने का खेल चल रहा था, जो अंशु हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद भी इलाज किए जाते रहने से उजागर हुआ. इस क्रम में जांच-पड़ताल में लोगों से धन उगाही करने के आरोप में 7 आरोपियों के साथ एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि ऐसी ही शिकायत पर मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर और अपर मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर मय टीम द्वारा यूनिवर्सल हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज रोड झुंगिया के पंजीकरण और मानकों की जांच की गयी तो हॉस्पिटल में तीन मरीज भर्ती पाए गए. लेकिन, मौके पर कोई भी चिकित्सक उपस्थित नहीं मिला. हॉस्पिटल में उमेश पुत्र रामकेवल निवासी संतकबीरनगर मिला. उसकी स्वास्थ विभाग से सम्बन्धित कोई डिग्री नहीं थी. उसने बताया कि उक्त हॉस्पिटल को उसके बड़े भाई महेश कुमार द्वारा संचालित किया जाता है. हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि उक्त तीनों मरीज पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने गए थे. जहां पर आरोपियों ने मिलकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को उचित स्वास्थ सुविधाओं के न होने की बात कहकर झांसे में लेकर निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया.

तीमारदारों को बरगलाकर मरीजों को यूनिवर्सल हॉस्पिटल और अन्य प्राइवेट अस्पतालों में अच्छी व्यवस्था का झांसा देकर निजी एम्बुलेंस से भर्ती कराया. यूनिवर्सल हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद हॉस्पिटल संचालक के साथ आरोपियों ने मिलकर तीमारदारों से लाखों रुपये जमा करा लिया. बाद में मरीज को वहां पर किसी डॉक्टर के अटेंड न करने पर मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी. इसके बाद हंगामा हुआ तो पुलिस और स्वास्थ्य विभाग टीम मौके पर पहुंची. इसमें कुल आठ लोगों की गिरफ्तारी हुई.

एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि गोपनीय जांच, पूछताछ और अन्य श्रोतों से प्राप्त जानकारी से यह ज्ञात हुआ कि आरोपी प्राइवेट अस्पतालों की दलाली करते हैं. अस्पताल संचालक महेश कुमार व उसके भाई उमेश और एम्बुलेंस चालक, बीआरडी के संविदा ट्रॉलीमैन और संविदा वार्ड ब्वाय और अन्य भी इसमें शामिल हैं. यह सभी आपसी मिलीभगत करते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से मरीजों को गेट पर ही ट्रॉलीमैन और एम्बुलेंस चालकों की सहायता से अन्य किसी हॉस्पिटल ले जाकर भर्ती कराते हैं. उसके बाद अस्पताल संचालक इन्हें आर्थिक लाभ देते हैं. गिरफ्तार लोगों में उमेश कुमार, बिट्टू यादव, मो. असलम, महेन्द्र, सहनवाज, उमेश भारती और दीनदयाल शामिल हैं.

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गोरखपुर: डॉक्टर और एंबुलेंस चालकों की साठगांठ के बड़े कारनामे का एक बार फिर गोरखपुर में पर्दाफाश हुआ. एंबुलेंस चालकों द्वारा बीआरडी मेडिकल कॉलेज से मरीजों को झांसा देकर निजी अस्पताल में लाकर भर्ती करने और मरीज की मौत हो जाने के बाद भी इलाज करने के मामले में एक डॉक्टर सहित कुल 8 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर बुधवार को जेल भेज दिया.

पुलिस लाइन में इस मामले का खुलासा करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने कहा कि मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में कार्यरत संविदाकर्मियों से गठजोड़ कर मरीजों को गलत व अवैधानिक रूप से रोकने और प्राइवेट एम्बुलेंस से ले जाकर अन्य नर्सिंग होम व प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराने का खेल चल रहा था, जो अंशु हॉस्पिटल में मरीज की मौत के बाद भी इलाज किए जाते रहने से उजागर हुआ. इस क्रम में जांच-पड़ताल में लोगों से धन उगाही करने के आरोप में 7 आरोपियों के साथ एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि ऐसी ही शिकायत पर मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर और अपर मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर मय टीम द्वारा यूनिवर्सल हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज रोड झुंगिया के पंजीकरण और मानकों की जांच की गयी तो हॉस्पिटल में तीन मरीज भर्ती पाए गए. लेकिन, मौके पर कोई भी चिकित्सक उपस्थित नहीं मिला. हॉस्पिटल में उमेश पुत्र रामकेवल निवासी संतकबीरनगर मिला. उसकी स्वास्थ विभाग से सम्बन्धित कोई डिग्री नहीं थी. उसने बताया कि उक्त हॉस्पिटल को उसके बड़े भाई महेश कुमार द्वारा संचालित किया जाता है. हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने बताया कि उक्त तीनों मरीज पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने गए थे. जहां पर आरोपियों ने मिलकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को उचित स्वास्थ सुविधाओं के न होने की बात कहकर झांसे में लेकर निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया.

तीमारदारों को बरगलाकर मरीजों को यूनिवर्सल हॉस्पिटल और अन्य प्राइवेट अस्पतालों में अच्छी व्यवस्था का झांसा देकर निजी एम्बुलेंस से भर्ती कराया. यूनिवर्सल हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद हॉस्पिटल संचालक के साथ आरोपियों ने मिलकर तीमारदारों से लाखों रुपये जमा करा लिया. बाद में मरीज को वहां पर किसी डॉक्टर के अटेंड न करने पर मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी. इसके बाद हंगामा हुआ तो पुलिस और स्वास्थ्य विभाग टीम मौके पर पहुंची. इसमें कुल आठ लोगों की गिरफ्तारी हुई.

एसएसपी डॉक्टर गौरव ग्रोवर ने बताया कि गोपनीय जांच, पूछताछ और अन्य श्रोतों से प्राप्त जानकारी से यह ज्ञात हुआ कि आरोपी प्राइवेट अस्पतालों की दलाली करते हैं. अस्पताल संचालक महेश कुमार व उसके भाई उमेश और एम्बुलेंस चालक, बीआरडी के संविदा ट्रॉलीमैन और संविदा वार्ड ब्वाय और अन्य भी इसमें शामिल हैं. यह सभी आपसी मिलीभगत करते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से मरीजों को गेट पर ही ट्रॉलीमैन और एम्बुलेंस चालकों की सहायता से अन्य किसी हॉस्पिटल ले जाकर भर्ती कराते हैं. उसके बाद अस्पताल संचालक इन्हें आर्थिक लाभ देते हैं. गिरफ्तार लोगों में उमेश कुमार, बिट्टू यादव, मो. असलम, महेन्द्र, सहनवाज, उमेश भारती और दीनदयाल शामिल हैं.

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