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पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में नाबालिगों के साथ सर्वाधिक अत्याचार, देखें आकंड़ें

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 6, 2024, 4:17 PM IST

विधानसभा में गृह विभाग की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में नाबालिग बच्चियों के साथ लैंगिंक अपराध से जुड़े अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र से सामने आए हैं. आंकड़ों के अनुसार तीन साल में 407 मामले दर्ज हुए, जिसमें से 80 में एफआर लगी है.

Crime Against Minors
Crime Against Minors

जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान में नाबालिग बच्चियों के साथ लैंगिंक अपराध से जुड़े अत्याचार के मामले सर्वाधिक जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में हो रहे हैं. राज्य विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गृह विभाग की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में पुलिस के 11 जिलों में 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 2032 मामले दर्ज हुए, इसमें सबसे ज्यादा जोधपुर कमिश्नरेट क्षेत्र के थानों में 407 मामले दर्ज किए गए.

कमिश्नरेट के अलावा पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक 273 मामले बाड़मेर जिले में सामने आए हैं. इसके अतिरिक्त जोधपुर ग्रामीण जिले में 189, पाली में 259, सिरोही में 220, जोधपुर कमिश्नरेट के जिला पश्चिम में 205 और पूर्व में 202 मामले दर्ज हुए हैं. सबसे कम मामले जैसलमेर में 98 और नवगठित सांचौर जिले में 84 मामले दर्ज हुए हैं.

देखें आकंड़ें
देखें आकंड़ें

पढ़ें. राजस्थान : जोधपुर में नाबालिग से गैंगरेप का मामला, आरोपी पॉक्सो कोर्ट में बोले- साहब गलती हो गई

सबसे ज्यादा एफआर बाड़मेर में : इस अवधि में पूरे प्रदेश में पॉक्सो के 13380 से ज्यादा मामल दर्ज हुए, जिनमें 23 फीसदी यानी करीब 3092 केस जांच में सही नहीं पाए गए. उन्हें झूठा मानकर बंद किया गया. शेष में चालान पेश हुए, जबकि कुछ केस पेडिंग या प्रक्रियाधीन हैं. पश्चिमी राजस्थान की बात करें तो यहां दर्ज 2032 मामलों में 431 को सही नहीं पाए जाने पर बंद किया गया. इसमें सबसे ज्यादा 92 मामले बाड़मेर में बंद हुए हैं, जबकि कमिश्नरेट क्षेत्र में 80 मामले झूठे पाए गए. वहीं, सबसे ज्यादा चालान की दर सिरोही जिले की है, यहां दर्ज 220 मामलों में से 184 में चालान हुआ है.

जोधपुर का गैंग रेप केस आया चर्चा में : गत वर्ष जुलाई में पावटा बस स्टेंड के पास कुछ युवकों ने एक नाबालिग और उसके बॉयफ्रेंड को रात को रेलवे स्टेशन पहुंचाने के बहाने से ले गए. इसके बाद जेएनवीयू के ओल्ड कैंपस में दोस्त के सामने नाबालिग का रेप किया गया. हालांकि, पुलिस ने घटना के कुछ घंटों के बाद ही तीनों आरोपियों को पकड़ लिया था.

पढ़ें. Jodhpur Gangrape : जेएनवीयू हॉकी मैदान में नाबालिग के साथ गैंगरेप, तीन छात्र समेत चार आरोपी गिरफ्तार

क्या है वजह : क्रिमिनल लॉयर अशोक जोशी का कहना है कि कई मामलों में लोग अपनी व्यक्तिगत लड़ाई में बच्चों के नाम डलवाते हैं, जिससे उनको लगता है कि केस मजबूत होगा. जांच में केस झूठा पाए जाने पर एफआर लगाई जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा ज्यादा सामने आता है, जिसके चलते मामलों को बंद किया जाता है.

जोधपुर. पश्चिमी राजस्थान में नाबालिग बच्चियों के साथ लैंगिंक अपराध से जुड़े अत्याचार के मामले सर्वाधिक जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में हो रहे हैं. राज्य विधानसभा में एक सवाल के जवाब में गृह विभाग की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार पश्चिमी राजस्थान में पुलिस के 11 जिलों में 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 2032 मामले दर्ज हुए, इसमें सबसे ज्यादा जोधपुर कमिश्नरेट क्षेत्र के थानों में 407 मामले दर्ज किए गए.

कमिश्नरेट के अलावा पश्चिमी राजस्थान में सर्वाधिक 273 मामले बाड़मेर जिले में सामने आए हैं. इसके अतिरिक्त जोधपुर ग्रामीण जिले में 189, पाली में 259, सिरोही में 220, जोधपुर कमिश्नरेट के जिला पश्चिम में 205 और पूर्व में 202 मामले दर्ज हुए हैं. सबसे कम मामले जैसलमेर में 98 और नवगठित सांचौर जिले में 84 मामले दर्ज हुए हैं.

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सबसे ज्यादा एफआर बाड़मेर में : इस अवधि में पूरे प्रदेश में पॉक्सो के 13380 से ज्यादा मामल दर्ज हुए, जिनमें 23 फीसदी यानी करीब 3092 केस जांच में सही नहीं पाए गए. उन्हें झूठा मानकर बंद किया गया. शेष में चालान पेश हुए, जबकि कुछ केस पेडिंग या प्रक्रियाधीन हैं. पश्चिमी राजस्थान की बात करें तो यहां दर्ज 2032 मामलों में 431 को सही नहीं पाए जाने पर बंद किया गया. इसमें सबसे ज्यादा 92 मामले बाड़मेर में बंद हुए हैं, जबकि कमिश्नरेट क्षेत्र में 80 मामले झूठे पाए गए. वहीं, सबसे ज्यादा चालान की दर सिरोही जिले की है, यहां दर्ज 220 मामलों में से 184 में चालान हुआ है.

जोधपुर का गैंग रेप केस आया चर्चा में : गत वर्ष जुलाई में पावटा बस स्टेंड के पास कुछ युवकों ने एक नाबालिग और उसके बॉयफ्रेंड को रात को रेलवे स्टेशन पहुंचाने के बहाने से ले गए. इसके बाद जेएनवीयू के ओल्ड कैंपस में दोस्त के सामने नाबालिग का रेप किया गया. हालांकि, पुलिस ने घटना के कुछ घंटों के बाद ही तीनों आरोपियों को पकड़ लिया था.

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क्या है वजह : क्रिमिनल लॉयर अशोक जोशी का कहना है कि कई मामलों में लोग अपनी व्यक्तिगत लड़ाई में बच्चों के नाम डलवाते हैं, जिससे उनको लगता है कि केस मजबूत होगा. जांच में केस झूठा पाए जाने पर एफआर लगाई जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा ज्यादा सामने आता है, जिसके चलते मामलों को बंद किया जाता है.

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