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देहरादून में 'कोरोना वॉरियर्स' का प्रदर्शन, स्वास्थ्य मंत्री के आवास पर बोला हल्ला, पुलिस के साथ हुई नोकझोंक - कोविड कर्मियों का आवास कूच

Covid workers marched to the Health Minister residence देहरादून में कोविड कर्मियों ने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत आवास कूच किया. लेकिन पुलिस ने उन्हें पहले ही रोक लिया. इस दौरान पुलिस और कोविड कर्मियों की जमकर धक्कामुक्की भी हुई.

DEHRADUN
देहरादून
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 24, 2024, 5:14 PM IST

Updated : Feb 24, 2024, 7:23 PM IST

देहरादून में 'कोरोना वॉरियर्स' का प्रदर्शन.

देहरादूनः उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में समायोजन की मांग को लेकर शनिवार को कोविड कर्मियों ने स्वास्थ्य मंत्री आवास कूच किया. लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के सरकारी आवास से पहले यमुना कॉलोनी के गेट पर रोक दिया. आगे बढ़ने से रोके जाने से नाराज कोविड कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का मुक्की भी हुई.

शनिवार को इससे पहले कोरोना कर्मचारी बिंदाल पुल के निकट स्थित पार्क में एकत्रित हुए. उसके बाद जुलूस की शक्ल में पैदल मार्च निकालते हुए यमुना कॉलोनी स्थित स्वास्थ्य मंत्री आवास कूच करने निकले. लेकिन जैसे ही प्रदर्शनकारी यमुना कॉलोनी के गेट पर पहुंचे पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया. इससे नाराज कोरोना वॉरियर्स सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और अपनी मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया.

कोविड-19 संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष राणा का कहना है कि बीते 8 माह से स्वास्थ्य मंत्री की ओर से उन्हें स्वास्थ्य विभाग में समायोजन का आश्वासन दिया जा रहा है. लेकिन अब तक उनका समायोजन नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि अपनी मांग को लेकर उनका धरना लगातार 238 दिनों से एकता विहार स्थित धरना स्थल पर जारी है. लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है. संतोष राणा का कहना है कि विगत कई माह से करीब 900 कर्मचारी अपने समायोजन की बाट जोह रहे हैं. किंतु सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है.

कोविड कर्मियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने कर्मचारियों की जमकर सेवाएं ली थी. लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो उन्हें अस्पतालों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

बता दें कि कोविड काल के दौरान आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से कई लोगों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रखा गया था. जिसमें वार्ड बॉय, नर्स, एएनएम, टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं. लेकिन प्रदेश में कोविड का असर खत्म होने के बाद इन्हें हटा दिया गया था. इनकी संख्या करीब 3500 थी. इनमें से कुछ को समायोजित कर दिया गया था. लेकिन कई युवा अभी भी समायोजन का इंतजार कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः ​ हल्द्वानी में आशा कार्यकर्ताओं और भोजन माताओं का हल्ला बोल, बुद्ध पार्क में दिया धरना प्रदर्शन, सरकार को दी चेतावनी

देहरादून में 'कोरोना वॉरियर्स' का प्रदर्शन.

देहरादूनः उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में समायोजन की मांग को लेकर शनिवार को कोविड कर्मियों ने स्वास्थ्य मंत्री आवास कूच किया. लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के सरकारी आवास से पहले यमुना कॉलोनी के गेट पर रोक दिया. आगे बढ़ने से रोके जाने से नाराज कोविड कर्मचारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का मुक्की भी हुई.

शनिवार को इससे पहले कोरोना कर्मचारी बिंदाल पुल के निकट स्थित पार्क में एकत्रित हुए. उसके बाद जुलूस की शक्ल में पैदल मार्च निकालते हुए यमुना कॉलोनी स्थित स्वास्थ्य मंत्री आवास कूच करने निकले. लेकिन जैसे ही प्रदर्शनकारी यमुना कॉलोनी के गेट पर पहुंचे पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया. इससे नाराज कोरोना वॉरियर्स सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और अपनी मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया.

कोविड-19 संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष राणा का कहना है कि बीते 8 माह से स्वास्थ्य मंत्री की ओर से उन्हें स्वास्थ्य विभाग में समायोजन का आश्वासन दिया जा रहा है. लेकिन अब तक उनका समायोजन नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि अपनी मांग को लेकर उनका धरना लगातार 238 दिनों से एकता विहार स्थित धरना स्थल पर जारी है. लेकिन अभी तक स्थिति जस की तस है. संतोष राणा का कहना है कि विगत कई माह से करीब 900 कर्मचारी अपने समायोजन की बाट जोह रहे हैं. किंतु सरकार उनकी मांगों को अनदेखा कर रही है.

कोविड कर्मियों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने कर्मचारियों की जमकर सेवाएं ली थी. लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो उन्हें अस्पतालों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

बता दें कि कोविड काल के दौरान आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से कई लोगों को सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रखा गया था. जिसमें वार्ड बॉय, नर्स, एएनएम, टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर शामिल हैं. लेकिन प्रदेश में कोविड का असर खत्म होने के बाद इन्हें हटा दिया गया था. इनकी संख्या करीब 3500 थी. इनमें से कुछ को समायोजित कर दिया गया था. लेकिन कई युवा अभी भी समायोजन का इंतजार कर रहे हैं.

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Last Updated : Feb 24, 2024, 7:23 PM IST
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